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    यहां 30 गांवों में प्रति परिवार मासिक आय है सिर्फ 5000 रुपये, जानिए

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    Updated: Tue, 27 Nov 2018 08:11 PM (IST)

    पौड़ी गढ़वाल जिले में तीस ऐसे गांव है जहां प्रति परिवार औसत मासिक आय 5000 रुपये के इर्द-गिर्द ही सिमटकर रह गर्इ है।

    यहां 30 गांवों में प्रति परिवार मासिक आय है सिर्फ 5000 रुपये, जानिए

    देहरादून, केदार दत्त। उत्तराखंड में सालाना प्रति व्यक्ति आय के आंकड़े भले ही उजली तस्वीर पेश करते हों, लेकिन पहाड़ के ग्रामीण इलाकों की आर्थिक स्थिति नाजुक है। पौड़ी जिले में पलायन की मार से त्रस्त 30 गांवों की तस्वीर इसकी बानगी है। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की ओर से कराए गए सर्वे में खुलासा हुआ कि इन गांवों में प्रति परिवार औसत मासिक आय 5000 रुपये के इर्द-गिर्द सिमटी है, जो राज्य के पर्वतीय क्षेत्र के गांवों की औसत मासिक आय से दो हजार रुपये कम है। इसे देखते हुए ग्रामीणों के आर्थिक स्वावलंबन के मद्देनजर आयोग कार्ययोजना तैयार करने में भी जुट गया है। 

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    आंकड़ों पर निगाह दौड़ाएं तो उत्तराखंड में सालाना प्रति व्यक्ति आय 161102 रुपये है। अलबत्ता, पहाड़ी जिलों में प्रति व्यक्ति आय मैदानी जिलों की तुलना में काफी कम है। इस लिहाज से पौड़ी जिले को देखें तो यहां ओवरऑल प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 109973 रुपये है, लेकिन यहां भी प्रति व्यक्ति वार्षिक आय में शहरी क्षेत्रों का ही योगदान अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति नाजुक है। ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की ओर से पौड़ी जिले के उन 30 गांवों के सर्वे के आंकड़ों में भी यह बात साबित हुई, जहां से 50 फीसद लोग पलायन कर चुके हैं। 

    आयोग के सूत्रों के मुताबिक पौड़ी जिले के 75 गांव ऐसे हैं, जिनमें वर्ष 2011 के बाद 50 फीसद लोगों ने पलायन किया है। इन गांवों की सही स्थिति जानने के मद्देनजर जिले के सभी 15 विकासखंडों से ऐसे 30 गांव चिह्नित कर सर्वे किया गया। सर्वे के दौरान इन गांवों में रह रहे लोगों से वहां की स्थिति, सभी स्रोतों से मासिक आय, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की स्थिति, सड़क-पानी-बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं का हाल समेत विभिन्न बिंदुओं पर आंकड़े जुटाए गए। साथ ही ग्रामीणों से इस बारे में भी राय ली गई कि आर्थिक स्वावलंबन को लेकर वे क्या चाहते हैं। 

    बात सामने आई कि इन गांवों में सभी स्रोतों से प्रति परिवार मासिक आय पांच हजार रुपये है। कुछ ग्रामीण ऐसे भी हैं, जिनकी आय पांच हजार रुपये प्रतिमाह से भी कम है। इसमें कृषि, पशुधन समेत सभी स्रोतों की आय शामिल है। ऐसे में गुजारा करना उन्हें भारी पड़ रहा है। यही नहीं, इन गांवों में मूलभूत सुविधाओं का भी घोर अभाव है। सूत्रों ने बताया कि सर्वे के दौरान तमाम ग्रामीणों ने सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की। पड़ताल में पता चला कि इसके पीछे मुख्य वजह सरकारी कार्मिकों की भारी कमी है।

    ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी ने बताया कि पौड़ी जिले के पलायन से त्रस्त 30 गांवों के सर्वे की रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। अगले सप्ताह तक इसे मुख्यमंत्री को सौंप दिया जाएगा। रिपोर्ट में ग्रामीण आर्थिकी में सुधार के मद्देनजर कुछ सुझाव भी शामिल किए जाएंगे।

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