रोडवेज में 500 कर्मियों की 'नेतागिरी' अब खत्म, पढ़िए पूरी खबर Dehradun News
रोडवेज प्रबंधन की नाक में दम करने वाले करीब 500 कर्मचारी नेताओं की नेतागिरी अब खत्म हो गई है।
देहरादून, जेएनएन। आए दिन किसी न किसी मांग पर धरना-प्रदर्शन और बसों का संचालन रोकने की चेतावनी देकर रोडवेज प्रबंधन की नाक में दम करने वाले करीब 500 कर्मचारी नेताओं की 'नेतागिरी' खत्म हो गई है। कर्मचारी संगठनों पर सख्त कदम उठाते हुए महाप्रबंधक प्रशासन निधि यादव ने नया आदेश जारी किया है। इसमें 4200 ग्रेड-पे और इससे उच्च वेतन वाले कार्मिकों को कर्मचारी संगठन की सदस्यता से बाहर कर दिया गया है। इसके अलावा निगम में 14 पद ऐसे घोषित कर दिए गए, जिन पर आसीन कर्मचारी किसी संगठन में सदस्यता नहीं ले सकते। सूत्रों की मानें तो आदेश की जद में प्रमुख कर्मचारी संगठनों के लगभग 500 कर्मचारी आ रहे।
रोडवेज में यूं तो आठ कर्मचारी संगठन हैं लेकिन इनमें तीन प्रमुख माने जाते हैं। तीनों की सदस्यता करीब 6000 कार्मिकों की है। सदस्यों में अधिकारी एवं कर्मचारी दोनों ही शामिल हैं। इनमें रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन और उत्तराखंड रोडवेज इंप्लाइज यूनियन शामिल हैं। तीनों की संगठन अकसर मांगों को लेकर प्रबंधन के लिए सिरदर्द बने रहते हैं।
हालिया दिनों में कर्मचारी यूनियन द्वारा दो जुलाई से प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार का एलान किया हुआ है। हालांकि, रोडवेज में हड़ताल और धरना-प्रदर्शन पर छह माह तक एस्मा लागू है, लेकिन कर्मचारी संगठन इसे भी दरकिनार कर रहे। इससे आजिज आकर प्रबंधन ने अब सख्त रुख अख्तियार किया है। महाप्रबंधक निधि यादव द्वारा जारी किए गए आदेश में बताया गया कि नियम विरुद्ध सुपरवाइजर, उपाधिकारी और अधिकारियों ने कर्मचारी संगठनों की सदस्यता ली हुई है।
ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 का हवाला देते हुए प्रबंधन ने 4200 व इससे ऊपर के ग्रेड-पे वाले सभी अधिकारियों को किसी संगठन की सदस्यता से प्रतिबंधित कर दिया है। ये चेतावनी भी दी गई है कि अगर इस आदेश के बाद प्रतिबंधित किए गए अधिकारी और कर्मचारी, किसी भी संगठन की सदस्यता से जुड़े मिले तो उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
ये 14 पद किए गए प्रतिबंधित
ड्यूटी लिपिक, सहायक यातायात निरीक्षक, यातायात निरीक्षक, कनिष्ठ केंद्र प्रभारी, वरिष्ठ केंद्र प्रभारी, लेखाकार, चालक प्रशिक्षक, जूनियर फोरमैन, सीनियर फोरमैन, सहायक भंडारपाल, भंडारपाल, स्टोर अधीक्षक, प्रधान/मुख्य लिपिक और कार्यालय अधीक्षक।
संयुक्त परिषद पर पड़ेगा असर
रोडवेज के ताजा आदेश का सबसे ज्यादा असर सबसे पुराने कर्मचारी संगठन रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद पर पड़ना तय माना जा रहा है। इसमें जिन कार्मिकों को संगठनों की सदस्यता लेने से प्रतिबंधित किया गया है, उसमें सबसे ज्यादा सदस्य परिषद के ही बताए जा रहे। वहीं, परिषद के प्रदेश प्रवक्ता विपिन बिजल्वाण ने कहा कि यह आदेश अस्वीकार्य है। प्रबंधन से वार्ता की जाएगी और आदेश बदला नहीं गया तो परिषद भी बड़ा कदम उठा सकती है।
यूनियन की हड़ताल पर नहीं असर
उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी की मानें तो यह आदेश कर्मचारियों की आवाज दबाने को जारी किया गया है। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि इससे दो जुलाई से होने जा रहे यूनियन के प्रदेशव्यापी कार्य बहिष्कार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। चौधरी ने कहा कि उनकी यूनियन में बड़ी संख्या चालकों और परिचालकों की है, जो इस आदेश की जद में नहीं हैं।
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