बीएड कॉलेजों को राहत, अब 23 तक भर सकेंगे पीएआर, पढ़िए पूरी खबर
एनसीटीई ने विश्वविद्यालयों और बीएड कॉलेजों को बड़ी राहत दी है। काउंसिल ने सालाना परफॉरमेंस अप्रेजल रिपोर्ट (पीएआर) जमा करने की तिथि 23 जनवरी तक बढ़ा दी है।

देहरादून, जेएनएन। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने विश्वविद्यालयों और बीएड कॉलेजों को बड़ी राहत दी है। काउंसिल ने सालाना परफॉरमेंस अप्रेजल रिपोर्ट (पीएआर) जमा करने की तिथि 23 जनवरी तक बढ़ा दी है। पहले यह रिपोर्ट 31 दिसंबर 2019 तक एनसीटीई की वेबसाइट पर अपलोड करनी थी।
पीएआर में विवि या कॉलेज प्रबंधन को शिक्षकों की संख्या, शिक्षकों की योग्यता, छात्रों की संख्या, कोर्स की संख्या, कोर्स की मान्यता, पाठ्यक्रम, किताबों, परीक्षा आदि की जानकारी विस्तार से देनी है। पीएआर के लिए हर साल सरकारी कॉलेजों को पांच हजार व निजी कॉलेजों को 15 हजार रुपये फीस भी देनी होगी। कॉलेजों से जो रिपोर्ट भेजी जाएगी, उसका फिजिकल वेरीफिकेशन करने के लिए एनसीटीई की टीम आएगी। उसमें किसी तरह की गड़बड़ी मिलने पर कॉलेज की मान्यता भी रद्द हो सकती है।
एनसीटीई एक्ट में हुआ बदलाव
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एनसीटीई एक्ट में बदलाव किया है। एक्ट के सेक्शन 17(1) में बदलाव किया गया है। इससे देशभर के बीएड कॉलेज जांच के दायरे में आ गए हैं। अब इन कॉलेजों में छात्रों-शिक्षकों को साथ पाठ्यक्रम, किताबों व उपस्थिति की भी जांच हो सकेगी। एनसीटीई एक्ट 1996-97 में बना था। इसके तहत ही बीएड कॉलेजों को मान्यता दी जाती है। उत्तराखंड में 110 शासकीय, अशासकीय व निजी कॉलेजों में दो वर्षीय बीएड कोर्स संचालित किया जा रहा है।
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जांच न होने से बढ़ी मनमानी
एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस कॉलेज उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि एनसीटीई ने 1997 से 2019 तक देशभर में हजारों बीएड कॉलेजों को मंजूरी दी, लेकिन कभी इन कॉलेजों की जांच नहीं की। इससे बीएड कॉलेजों की मनमानी बढ़ती गई। कुछ राज्यों के बीएड कॉलेजों में तो खुलेआम नियमों की अनेदखी हुई।

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