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    उत्तराखंड में अब बदलेगी तस्वीर, उच्च शिक्षा में बढ़ी रोजगार की धमक

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Wed, 01 Jan 2020 06:05 PM (IST)

    उत्तराखंड में उच्च शिक्षा की तस्वीर बदलने जा रही है। नए साल में राज्य का पहला व्यावसायिक कॉलेज और तीन मॉडल कॉलेज आकार लेंगे।

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    उत्तराखंड में अब बदलेगी तस्वीर, उच्च शिक्षा में बढ़ी रोजगार की धमक

    देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में डबल इंजन के दम से उच्च शिक्षा की तस्वीर बदलने जा रही है। नए साल में राज्य का पहला व्यावसायिक कॉलेज और तीन मॉडल कॉलेज आकार लेंगे। वहीं वर्ष 2022 तक सभी मौजूदा सरकारी डिग्री कॉलेजों के पास अपने भवन होंगे। ये सब केंद्र सरकार की मदद से मुमकिन हुआ है। रूसा में अच्छा-खासा बजट मिलने से सरकारी डिग्री कॉलेजों के साथ ही विश्वविद्यालयों को संसाधनों के मामले में सुकून का अहसास हो रहा है। 

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    मिलेगी रोजगारपरक शिक्षा 

    नए साल में पौड़ी जिले के पैठाणी में राज्य का पहला व्यावसायिक कॉलेज आकार लेने लगेगा। पैठाणी व्यावसायिक कॉलेज में टूरिज्म एंड हॉस्पिटेलिटी, हॉस्पिटल हेल्थ केयर, रिन्यूवल एनर्जी, फायर सेफ्टी, फूड प्रोसेसिंग में बीटेक डिग्री और बैचलर ऑफ डिजाइनिंग के तहत प्रोडक्ट डिजाइनिंग की रोजगारपरक शिक्षा आधुनिक पैटर्न पर दी जाएगी।

    वहीं हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र रसूलपुर, ऊधमसिंहनगर जिले के किच्छा और चंपावत जिले के देवीधूरा में तीन मॉडल डिग्री कॉलेजों के भवन निर्माण कार्यों के लिए धनराशि जारी की जा चुकी है। मॉडल कॉलेज में रोजगारोन्मुखी शिक्षा के अंतर्गत बीबीए, लॉजिस्टिक मैनेजमेंट, बीए ऑनर्स अर्थशास्त्र, बी लिब, एम लिब, मॉस कॉम, जर्नलिज्म, योग, नेचुरल पैथी, बी.कॉम, बैंकिंग इंश्योरेंस की शिक्षा दी जाएगी। 

    बदलेगी कॉलेजों की सूरत 

    प्रदेश में 105 सरकारी डिग्री कॉलेजों में से तकरीबन 70 फीसद को यूजीसी से अनुदान नहीं मिल पा रहा है। ये कॉलेज अनुदान के लिए पात्रता नहीं रखते। इसकी वजह ज्यादातर कॉलेजों के अपने भवनों का अभाव है। राज्य में सिर्फ 64 के पास ही अपनी भूमि और भवन हैं। 29 कॉलेजों के भवन निर्माणाधीन हैं, जबकि 11 कॉलेजों के पास भवन तो दूर की बात, अपनी भूमि तक नहीं हैं। 

    कॉलेजों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से किसी तरह का अनुदान पाने के लिए लंबा रास्ता तय करना होगा। अनुदान के लिए नैक (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल) की ग्रेडिंग अनिवार्य है। इस वजह से प्रदेश सरकार ने तय किया है कि वर्ष 2022 तक भूमि-भवनों से वंचित कॉलेजों की ये कमी पूरी की जाएगी। साथ ही कॉलेजों में जरूरी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। साथ में बड़ी संख्या में कॉलेज स्मार्ट क्लास और ई-ग्रंथालय जैसी आधुनिक डिजिटल सेवाओं से जुड़ेंगे। विश्व बैंक की मदद से उच्च शिक्षा की दशा-दिशा बदली जाएगी। 

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    30 जून तक हर हाल में संबद्धता 

    प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों के लिए अब कॉलेजों और शिक्षण संस्थानों को संबद्धता देने में ढुलमुल रवैया अपनाना भारी पड़ेगा। राजभवन ने इस मामले में विश्वविद्यालयों की जवाबदेही तय कर दी है। शैक्षिक सत्र 2018-19 तक लटके संबद्धता मामलों में राजभवन ने छात्रहित में उदारता दिखाते हुए एक बार समाधान के तौर पर सैद्धांतिक संबद्धता को हरी झंडी दिखा दी है। वहीं अगले शैक्षिक सत्र 2020-21 से संबद्धता के लिए टाइमटेबल तय कर दिया है। 

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