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    लॉकडाउन में संजीवनी पहुंचाकर आशीष कमा रहे मनीष पंत, पढ़िए पूरी खबर

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 27 Apr 2020 09:02 AM (IST)

    अग्निशमन विभाग में फायरमैन के रूप में कार्यरत मनीष पंत 35 लोगों तक जरूरी दवाइयां पहुंचा चुके हैं। इसके लिए मनीष ने फेसबुक पर ‘ऑपरेशन संजीवनी’ नाम से पेज बनाया है।

    लॉकडाउन में संजीवनी पहुंचाकर आशीष कमा रहे मनीष पंत, पढ़िए पूरी खबर

    देहरादून, जेएनएन। कोरोना के कारण उपजे विपरीत हालातों से पूरा प्रदेश जूझ रहा है। लेकिन, सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हो रही है जो बीमार हैं। खासकर प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में लोगों को छोटी-मोटी परेशानी होने पर भी दवा के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ रहा है। ऐसे लोगों के लिए अग्निशमन विभाग में फायरमैन के रूप में कार्यरत मनीष पंत इन दिनों संकटमोचक की भूमिका निभा रहे हैं।

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    लॉकडाउन लागू होने के बाद से अब तक वह दूर-दराज के गांवों में 35 लोगों तक जरूरी दवाइयां पहुंचा चुके हैं। इसके लिए मनीष ने फेसबुक पर ‘ऑपरेशन संजीवनी’ नाम से पेज बनाया है, जिस पर कोई भी जरूरतमंद दवा आदि से संबंधित परेशानी साझा कर सकता है।

    ऐसे शुरू किया अभियान

    दून में तैनात मनीष ने बताया कि 22 मार्च को उनके पड़ोस में रहने वाली महिला का बीपी अचानक बढ़ गया। उनके लिए वह श्री महंत इंदिरेश अस्पताल से दवा लेकर आए। उसी दिन लॉकडाउन की घोषणा होने पर उन्हें अहसास हुआ कि गांवों में ऐसे कई बुजुर्ग लोग होंगे, जिन्हें इस आपात स्थिति में दवाइयों की जरूरत होगी। इसके बाद उन्होंने फेसबुक पर पेज बनाया और जुट गए लोगों की सेवा में।

    दवाइयां देने खुद चले गए चकराता

    मनीष ने बताया कि चकराता में एक दिल के रोगी को दवाइयों की जरूरत थी। दवाइयां देहरादून में नहीं मिलीं तो दिल्ली से मंगवाईं। इसके बाद आइजी अमित कुमार सिन्हा से इजाजत लेकर वह खुद मरीज तक दवा पहुंचाने के लिए चकराता गए। वह पैठाणी, पाबौ, चमोली तक लोगों को दवा पहुंचा चुके हैं।

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    विपरीत परिस्थितियों में उत्तरकाशी भेजी दवाइयां

    मनीष ने बताया कि उत्तरकाशी के बनचौरा से उन्हें फेसबुक पर मैसेज आया कि गांव में दो लोगों को दवा की जरूरत है। मनीष ने दवाइयां तो एकत्र कर लीं, लेकिन सबसे बड़ी समस्या थी, उन्हें जरूरतमंदों तक पहुंचाना। ऐसे में उन्होंने अखबार ले जाने वाली एक टैक्सी से उत्तरकाशी तक दवाइयां भिजवाईं। वहां अग्निशमन विभाग में तैनात रविकांत को फोन किया, जिन्होंने बाइक से धरासू तक दवाई पहुंचाई। जहां से दवा गांव तक पहुंची।

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