चार साल के बेटे को बहन के घर पर छोड़ निभा रही अपनी जिम्मेदारी; रक्तदान भी किया
सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ पूरी तन्मयता से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। ऐसी ही एक कोरोना योद्धा हैं दून अस्पताल की स्टाफ नर्स संगीता थपलियाल।
देहरादून, जेएनएन। कोरोना संकट के इस दौर में सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ पूरी तन्मयता से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। ड्यूटी की खातिर किसी ने अपना घर छोड़ रखा है तो कोई अर्से से अपनों से दूर है। यही नहीं, कई कोरोना योद्धा ऐसे भी हैं, जो अपना चिकित्सा धर्म निभाने के लिए रोजाना नई मिसाल पेश कर रहे हैं।
ऐसी ही एक कोरोना योद्धा हैं दून अस्पताल की स्टाफ नर्स संगीता थपलियाल। दरअसल, संगीता की ड्यूटी कोरोना वार्ड में लगी हुई है। उन्होंने अपने चार साल के बेटे को बहन के घर पर छोड़ रखा है, जबकि वह खुद घर नहीं जातीं, बल्कि होटल में रह रही हैं। शनिवार को संगीता ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए अस्पताल के ब्लड बैंक में पहुंचकर रक्तदान भी किया।
प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना, डिप्टी एमएस डा. एनएस खत्री, एएनएस रामेश्वरी नेगी ने उनके कार्य की सराहना की। 15 अप्रैल से वह कोरोना वार्ड में ड्यूटी कर रही हैं। पहले बेटे को अपनी सास के पास रखा, लेकिन उनकी तबीयत ठीक नहीं होने पर बेटे को रेसकोर्स में अपनी बहन के घर छोड़ा। उनके पति भी स्वास्थ्य विभाग में ही कार्यरत हैं।
दून अस्पताल की स्टाफ नर्स संगीता थपलियाल की कोरोना वार्ड में लगी हुई है ड्यूटी
कोरोना से जंग लड़ने में सिविल डिफेंस के योद्धा भी कहीं पीछे नहीं हैं। इन योद्धाओं ने इंसानियत का फर्ज निभाते हुए अपनी जेब से पैसे खर्च कर मासूम की जान बचाई। सेक्टर वार्डन गौरव जायसवाल ने बताया कि बीती 22 अप्रैल को उनकी टीम सहारनपुर चौक पर तैनात थी। इसी दौरान एक दंपती बेटी को गोद में उठाए कहीं जा रहे थे, जो कि काफी परेशान लग रहे थे। जब उनसे परेशानी का कारण पूछा तो दंपती ने बताया कि बच्ची की तबीयत बहुत खराब है। बच्ची का शुगर काफी बढ़ चुका है।
इतना सुनते ही वार्डन बच्ची को कोरोनेशन अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां बच्ची की हालत को गंभीर देखते हुए डॉक्टरों ने आइसीयू की सुविधा न होने के कारण उसे रेफर कर दिया। गौरव ने बताया कि इसी दौरान उन्होंने चीफ वार्डन सतीश अग्रवाल को फोन कर बच्ची की जानकारी दी। फोन पर बात करने के बाद वह बच्ची को लेकर इंदिरेश अस्पताल पहुंचे। यहां चिकित्सकों ने बच्ची को तुरंत आइसीयू में भर्ती करने को कहा। बच्ची के माता-पिता आर्थिक रूप से कमजोर थे तो सिविल डिफेंस के वार्डनों ने पैसे जमा किए और बच्ची का इलाज शुरू करवाया। शनिवार को बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ होकर घर वापस जा चुकी है। दवाओं का खर्चा भी वार्डनों ने खुद ही किया।
एसपी सिटी, अजीम प्रेमजी व बीओबी कोरोना वॉरियर
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए एक कदम आगे बढ़कर काम करने वाले कोरोना वॉरियर की दून में कमी नहीं है। शनिवार को भी जिला प्रशासन ने तीन और कर्मठ व्यक्तियों/संस्थान को कोरोना वॉरियर ऑफ दि डे का खिताब दिया। जिलाधिकारी ने बताया कि कोरोना वॉरियर बनाई गई एसपी सिटी श्वेता चौबे लॉकडाउन का पालन कराने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
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इस लिहाज से उन्हें शनिवार को कोरोना वॉरियर के खिताब से नवाजा गया। इसी तरह अजीम प्रेमजी फाउंडेशन जरूरतमंदों की मदद के लिए प्रशासन को राशन उपलब्ध करा रहा है। इसके लिए सिविल सोसायटी की श्रेणी में फाउंडेशन को यह खिताब दिया गया। दानदाता की श्रेणी में बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की तरफ से क्षेत्रीय प्रबंधक सूरज कुमार श्रीवास्तव को कोरोना वॉरियर ऑफ दि डे का खिताब दिया गया। बैंक ने कोरोना से जंग लड़ने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में ढाई लाख रुपये जमा कराए हैं।