Lockdown खुलने के बाद भी हो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन, नई टेक्नोलॉजी विकसित करेगा आइआइटी रुड़की
आइआइटी रुड़की एक ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित करेगा जिससे लॉकडाउन खुलने के बाद भी शारीरिक दूरी स्वच्छता आदि बातों का ख्याल रखा जा सके।
रुड़की, जेएनएन। कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए जहां भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के विभिन्न विभागों में कई अनुसंधान किए जा रहे हैं। वहीं, डिजाइन इनोवेशन सेंटर (डीआइसी) ने लॉकडाउन खुलने के बाद सामने आने वाली चुनौतियों पर भी मंथन शुरू कर दिया है। इसके तहत आइआइटी अपने छात्रों के साथ ही स्पोक पार्टनर्स के छात्रों से भी सुझाव मांगेगा, ताकि ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित की जा सके, जिससे लॉकडाउन खुलने के बाद भी शारीरिक दूरी, स्वच्छता आदि बातों का ख्याल रखा जा सके।
कोरोना वायरस से दुनियाभर में अब तक लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण से बचाव के लिए देश में पिछले एक महीने से लॉकडाउन चल रहा है। इसी बीच देश-दुनिया में कई अनुसंधान किए जा रहे हैं। वहीं, विशेषज्ञों की ओर से कोरोना वायरस का खतरा लंबे समय तक रहने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में लॉकडाउन खुलने के बाद भी कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, इसे ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से आइआइटी रुड़की में बनाए गए डिजाइन इनोवेशन सेंटर से जुड़े शिक्षण संस्थानों ने लॉकडाउन के बाद सामने आने वाली चुनौतियों पर मंथन शुरू कर दिया है।
डीआइसी के को-आर्डिनेटर और आइआइटी रुड़की के प्रबंधन अध्ययन विभाग के प्रोफेसर रजत अग्रवाल ने बताया कि लॉकडाउन खुलने के बाद भी शारीरिक दूरी, स्वच्छता को लेकर कई चुनौतियों सामने आएंगी। ऐसे में लॉकडाउन खुलने के बाद जब शिक्षण और अन्य संस्थान खुलेंगे तो वहां किस प्रकार से शारीरिक दूरी और स्वच्छता का ख्याल रखा जा सके, इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इसके मद्देनजर डीआइसी के हब इंस्टीट्यूट आइआइटी रुड़की ने स्पोक पार्टनर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड (श्रीनगर), भारतीय प्रबंधन संस्थान काशीपुर और जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के प्रौद्योगिकी कॉलेज के प्रोफेसरों के साथ इस संबंध में ऑनलाइन कांफ्रेंस की।
प्रो. अग्रवाल ने बताया कि आइआइटी रुड़की समेत इन सभी संस्थानों के छात्रों से ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित करने के लिए कहा जाएगा कि लॉकडाउन खुलने के बाद स्कूलों और अन्य संस्थानों में स्वच्छता और शारीरिक दूरी बनाई रखी जा सके। इसके लिए छात्रों से ऑनलाइन प्रस्ताव मांगे जाएंगे। प्रोफेसरों की एक कमेटी बनाई जाएगी, जो छात्रों से प्राप्त प्रस्तावों की स्क्रीनिंग करेगी। इसके बाद जो टेक्नोलॉजी बेहतर होगी, छात्र से उसकी डिटेल रिपोर्ट मांगी जाएगी।
स्कूलों पर फोकस
प्रो. अग्रवाल के अनुसार स्कूलों में बच्चे एक-दूसरे के काफी नजदीक बैठते हैं। साथ ही स्कूलों में बच्चे काफी संख्या में होते हैं। ऐसे में वहां स्वच्छता का विशेष ध्यान देने की जरूरत होगी। कोई ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित करने पर जोर है, जिससे बच्चों को कक्षा में प्रवेश करने से पहले ही सैनिटाइज किया जा सके। वहीं शौचालय, वॉश बेसिन पर भी ऐसी व्यवस्था की जा सके कि एक बच्चे के इस्तेमाल करने के बाद वह खुद ही सैनिटाइज हो जाए। इसी तरह से बस अड्डे, रेलवे स्टेशन आदि जगहों के लिए भी इस प्रकार की टेक्नोलॉजी विकसित करने की योजना है।
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