Move to Jagran APP

आइए, चरित्रों में समाकर समाज का अक्स देखें

जागरण फिल्म फेस्टिवल की यात्रा के हम आठ महत्वपूर्ण पड़ाव पार कर चुके हैं, जिन्हें दर्शकों का असीम प्यार मिला। जेएफएफ अपनी इस परंपरा को आगे भी जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 27 Jul 2018 10:45 AM (IST)Updated: Sat, 28 Jul 2018 08:34 AM (IST)
आइए, चरित्रों में समाकर समाज का अक्स देखें
आइए, चरित्रों में समाकर समाज का अक्स देखें

देहरादून, [जेएनएन]: बीते वर्षों में मिली असाधारण प्रतिक्रियाओं के साथ, फिल्म निर्माताओं की बेहतरीन कहानियों को लोगों तक पहुंचाने और इस यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए हम दृढ़ संकल्पित हैं। अच्छी फिल्मों को समझने की संस्कृति विकसित करने और सामूहिक रूप से किए जा रहे इस प्रयास में यह महत्व नहीं रखता कि हम कहां से आए हैं। 'जागरण फिल्म फेस्टिवल' इसी का प्रतिबिंब है।

prime article banner

जेएफएफ की इस यात्रा के हम आठ महत्वपूर्ण पड़ाव पार कर चुके हैं, जिन्हें दर्शकों का असीम प्यार मिला। इन पड़ावों पर हम फिल्मी दुनिया के उन कलाकारों और यूनिट सदस्यों से भी रूबरू हुए, जिनके माध्यम से चरित्रों में समाकर हम समाज का अक्स देखते हैं। साथ ही इन कलाकारों व यूनिट सदस्यों से सिने प्रेमियों को बहुत-कुछ सीखने का भी मौका मिला। इनमें अभिनेत्री रत्ना पाठक शाह, नंदना सेन, माही गिल, सारिका, श्रुति हसन व रागिनी खन्ना, अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, फारुख शेख, अंजन श्रीवास्तव, राजकुमार राव, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, पंकज त्रिपाठी व अक्षम ओबराय, निर्देशक तिग्मांशु धूलिया व सौरभ शुक्ला शामिल हैं।

इनमें से कई यूनिट सदस्य व कलाकारों से तो दर्शक इस कदर घुल-मिल गए थे, मानो वह उनके ही बीच के सदस्य हों। दर्शकों ने उनके सामने न केवल खुलकर अपनी जिज्ञासाएं रखीं, बल्कि उन्हें सिनेमा के अनछुए पहलुओं से परिचित होने का मौका भी मिला। यही जेएफएफ का ध्येय भी है कि हम सिनेमा को महज मनोरंजन का साधन मात्र न समझें, बल्कि उसे विभिन्न समाजों में आ रहे बदलावों की कड़ी के रूप में भी देखें। इसके अलावा जेएफएफ में बीते वर्ष पहली बार एनएसडी मास्टर क्लास भी आयोजित हुई। जिसमें अभिनय में रुचि रखने वाले और फिल्मों में जाने के इच्छुक युवाओं को एक्सपर्ट से सिनेमा की बारीकियां सीखी। जेएफएफ अपनी इस परंपरा को आगे भी जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

खुद अकेला है दिल जीतने वाला अल्फाज

फिल्म: कुछ भीगे अल्फाज (हिंदी)

अवधि: 116 मिनट

निर्देशक: ओनिर

निर्देशक ओनिर इस बार नए रंग में हैं और उन्होंने दिल के कोने में छुपे अहसासों के साथ 'कुछ भीगे अल्फाज' की कहानी रची है। फिल्म तेज रफ्तार संचार और संपर्कों की दुनिया में भावनाओं की बात करती प्यार भरी कविताओं, छोटे-छोटे नोट्स और प्रेम संदेशों को प्रमोट करती है। यहां नायक-नायिका का सामना फिल्म के आखिरी पलों में होता है। कोलकाता में हर रात एफएम रेडियो के कार्यक्रम में आरजे अल्फाज (जेन खान दुर्रानी) रोमांटिक शायरी और रोमांस में सलाह-मशविरा देता है।

टूटते-बिखरते रिश्तों को जोड़ता है। उसका कार्यक्रम बेहद लोकप्रिय है, मगर रोमांस की बातों से लोगों का दिल जीतने वाला अल्फाज खुद अकेला है। उसका एक दर्दनाक अतीत है और वह लोगों से ज्यादा सड़क पर घूमने वाले कुत्तों के साथ वक्त बिताता है। दूसरी तरफ है अल्फाज को हर रोज सुनने वाली अर्चना (गीतांजली थापा)। वह अल्फाज से बिल्कुल विपरीत है। उससे मिले बगैर उसकी फैन। वह एक विज्ञापन एजेंसी में काम करती है, लेकिन चेहरे के सफेद दाग (ल्यूकोडर्मिया) से ग्रस्त है। इसलिए कमतरी की भावना से भी ग्रस्त है। नतीजा यह कि वह टिंडर के माध्यम से ब्लाइंड डेट्स पर जाती है।

विपरीत स्वभाव और हालात में पड़े अल्फाज व अर्चना बिना मिले भी प्रेम में पड़ते हैं और कहानी के नाजुक मोड़ पर मिलते हैं। फिर एक-दूसरे को उनके कठिन हालात से निकलने में मदद देते हैं। ओनिर ने फिल्म को नाजुक पलों से बुना है, इसलिए किसी को लग सकता है कि इसकी रफ्तार धीमी है। परंतु, कहानी का संतुलन रफ्तार में संभव भी नहीं था। निर्देशक के रूप में यहां उनका दायरा विस्तृत नजर आता है। जेन खान दुर्रानी की यह पहली फिल्म है और उनका अभिनय अच्छा है।

दर्दभरा अतीत उनके चेहरे और चाल-ढाल में झलकता है। गीतांजलि ने अपनी भूमिका को संवेदना के साथ निभाया है। फिल्म बताती है कि कोई इंसान संपूर्ण नहीं है, उसमें कोई न कोई कमी अवश्य होती है। बस! जरूरत इस बात की है कि कमियों के बावजूद लगातार कुछ खूबसूरत रचा जाए।

जागरण शाटर्स

सिंगल वूमन की जंग 'काउंटरफीट कुनकू'

सपनों की मायानगरी मुंबई में घर पाना किसी जंग से कम नहीं है। एक सिंगल वूमन के लिए तो इस जंग को लडऩा और भी कठिन है। ऐसी ही एक मध्यम वर्गीय महिला स्मिता के संघर्ष की कहानी है 'काउंटरफीट कुनकू'। 15 वर्षो में यह इकलौती भारतीय लघु फिल्म है, जो सनडांस फिल्म फेस्टिवल, यूएसए में दाखिल हो सकी। फिल्म की लेखक एवं निर्देशक रीमा सेन गुप्ता हैं।

मां को 'माया' के खोने का डर 

हिंदी शॉर्ट फिल्म 'माया' की कहानी एक परिवार की बेटी पर केंद्रित है। वह अपने जीवन में आगे बढऩा चाहती है, लेकिन उसकी मां को इस उम्र में बेटी के साथ की जरूरत है। कहानी कई भावनात्मक पहलुओं को छूती है, जिसमें अपनों को खोने का डर प्रमुख है। इसमें 'पिंक' फेम कीर्ति कुल्हारी और वरिष्ठ अभिनेत्री अल्का आमिन ने अभिनय किया है। फिल्म के निर्देशक एवं लेखक विकास चंद्र हैं। इससे पहले वह फिल्म जासूस व्योमकेश बख्शी में बतौर एसोसिएट क्रिएटिव प्रोड्यूसर काम कर चुके हैं।

तनाव से मुक्ति, 'एवरीथिंग इज फाइन' 

'एवरीथिंग इज फाइन' एक ऐसी लघु फिल्म है, जिसमें व्यक्ति की मनोस्थिति पर प्रकाश डाला गया है। एक व्यक्ति का किसी से झगड़ा हो जाता है। वह गुस्से में तेज रफ्तार से गाड़ी चलाता है, जिससे उसकी चपेट में आकर एक बच्चे की मौत हो जाती है। अब उसका मानसिक तनाव और बढ़ जाता है। यह समय उसके लिए किसी उथल-पुथल से कम नहीं है। इस स्थिति से वह बाहर कैसे निकलता है, यह जानने के लिए फिल्म जरूर देखें।

पूरा हुआ घर का सपना 

'बिस्मार घर' एक गुजराती शॉर्ट फिल्म है। फिल्म की कहानी अहमदाबाद के एक पुराने घर पर केंद्रित है। इस घर पर रह रहे तीन लोग नए आशियाने का सपना देखते हैं। उनके इस सपने को आकार देती है प्रधानमंत्री आवास योजना और परिवार को नया घर मिल जाता है। फिल्म के निर्देशक श्रेयस दशरथे हैं।

कब तक चलेगी 'लुका-छिपी'

खुले में शौच देश की बहुत बड़ी समस्या है। विशेषकर उन महिलाओं और लड़कियों के लिए, जो गांव-कस्बों में रहती हैं। यह कहानी है नौ साल की भूरी की, जिसे खुले में शौच जाने के कारण छेड़छाड़ जैसी घटनाओं से शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। फिल्म शौचालय के बहाने इस महत्वपूर्ण मुद्दे को भूरी के माध्यम से उठाती है।

यह भी पढ़ें: जागरण फिल्म फेस्टिवल में इन फिल्मों का उठाइए लुत्फ, ये है शेड्यूल

यह भी पढ़ें: जागरण फिल्म फेस्टिवल के लिए पास मिलने शुरू, यहां से लें 

यह भी पढ़ें: दून का रहा है फिल्मों से गहरा नाता, बना है बॉलीवुड-टॉलीवुड का हॉट च्वाइस


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.