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    वाट्सएप पर अंजान नंबरों से आने वाले आडियो व वीडियो कॉल को करें नजरअंदाज

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 11 Nov 2019 12:04 PM (IST)

    उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स ने वाट्सएप यूजर्स को सतर्क करते हुए एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि वाट्सएप पर अंजान नंबरों से आने वाले आडियो व वीडियो कॉल को नजरअंदाज करें।

    वाट्सएप पर अंजान नंबरों से आने वाले आडियो व वीडियो कॉल को करें नजरअंदाज

    देहरादून, संतोष तिवारी। राजनीति और सामाजिक सरोकारों से जुड़े देश के सैकड़ों शख्सियतों के फोन टैपिंग को लेकर हाल में खड़े हुए सियासी बवंडर के पीछे एक स्पाइवेयर (जासूसी करने वाला साफ्टवेयर) था। पिगासस नाम के इस स्पाइवेयर के खतरे की जद में वह सभी हैं, जो वाट्सएप का प्रयोग करते हैं और ऐसे लोगों की संख्या अच्छी-खासी है। लिहाजा इस संभावित खतरे को देखते हुए उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स ने वाट्सएप यूजर्स को सतर्क करते हुए एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि वाट्सएप पर अंजान और विदेशी नंबरों से आने वाले आडियो व वीडियो कॉल को नजरअंदाज तो करें हीं, साथ ही एप का हमेशा अपडेट वर्जन यूज करें।

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    साइबर एक्सपर्ट की मानें तो पिगासस दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसी साफ्टवेयर्स में से एक है, जो एंड्रायड और आइओएस ऑपरेटिंग सिस्टम वाले स्मार्ट फोन में घुस कर जासूसी कर सकता है। एसटीएफ के अनुसार इजरायल में तैयार किए गए इस स्पाइवेयर को लेकर इसलिए भी सतर्क हो जाने की जरूरत है कि यह स्मार्ट फोन यूजर्स की इजाजत के बिना ही इंस्टाल हो सकता है और इसे आसानी से हटाया भी नहीं जा सकता। एक बार इस स्पाइवेयर के इंस्टाल हो जाने के बाद हैकर मोबाइल में प्रयोग किए जा चुके तमाम पासवर्ड से लेकर कांटेक्ट लिस्ट, मैसेज, सहित अन्य मैसेजिंग एप की जासूसी करने लगता है। इतना ही नहीं यह आपकी लोकेशन को ट्रैक करने में सक्षम है। पिगासस स्पाइवेयर के जरिए किसी भी स्मार्टफोन को हैक किया जा सकता है। अक्सर हैकर्स टारगेट शख्स को लिंक भेज कर स्पाइवेयर को इंस्टाल करते हैं, लेकिन इसके अलावा आडियो या वीडियो कॉल करके भी मोबाइल में इस साफ्टवेयर को इंस्टाल किया जा सकता है। हैरान करने वाली बात यह कि फोन रिसीव न करने की स्थिति में पिगासस साफ्टवेयर को इंस्टाल किया जा सकता है।

    एमपी हनी ट्रैप में भी हुआ था इस्तेमाल

    मध्य प्रदेश के चर्चित हनी ट्रैप कांड में भी पिगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल हुआ था। पुलिस और अन्य एजेंसियों की जांच में सामने आया था कि हनी ट्रैप में जिन लोगों को शिकार बनाया गया था, उनमें से अधिकांश के मोबाइल फोन में इस स्पाइवेयर को इंस्टाल किए जाने की बात सामने आई थी।

    ऐसे बचें पिगासस स्पाइवेयर से

    • वाट्सएप को समय-समय पर अपडेट करते रहें।
    • विदेशी या अलग प्रतीत होने वाले नंबरों से आ रही आडियो या वीडियो कॉल को नजरअंदाज करें।
    • किसी भी तरह के अंजान लिंक को क्लिक न करें। उसे तत्काल डिलीट कर दें।
    • मोबाइल फोन में गेम और बेवजह के अप्लीकेशन कतई न डाउनलोड करें।
    • फोन के ऑपरेटिंग सिस्टम को भी समय-समय पर अपडेट करते रहें।

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    रिधिम अग्रवाल (डीआइजी एसटीएफ) का कहना है कि पिगासस स्पाइवेयर के खतरे को देखते हुए स्मार्ट फोन यूजर्स के लिए एडवाइजरी जारी की गई है कि वह वाट्सएप और फोन के अपडेटेड वर्जन का इस्तेमाल करें। साथ ही अंजान लिंक को कतई क्लिक न करें। ऐसा करके पिगासस स्पाइवेयर के खतरे से काफी हद तक बचा जा सकता है।

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