Move to Jagran APP

दून में धड़ल्ले से चल रहे हुक्का बार, बन चुके हैं अय्याशी के अड्डे Dehradun News

दून में अवैध तरीके से धड़ल्ले से चल रहे हुक्का बार नशे के साथ-साथ अय्याशी का अड्डा बन चुके हैं। यहां चरस स्मैक हेरोइन अफीम गांजे और ड्रग पेपर तक उपलब्ध कराए जाते हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 08:58 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 08:58 AM (IST)
दून में धड़ल्ले से चल रहे हुक्का बार, बन चुके हैं अय्याशी के अड्डे Dehradun News
दून में धड़ल्ले से चल रहे हुक्का बार, बन चुके हैं अय्याशी के अड्डे Dehradun News

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। शहर में अवैध तरीके से धड़ल्ले से चल रहे हुक्का बार नशे के साथ-साथ अय्याशी का अड्डा बन चुके हैं। फ्लेवर्ड हुक्का तो केवल कहने के लिए होता है, इसकी आड़ में यहां चरस, स्मैक, हेरोइन, अफीम, गांजे और ड्रग पेपर तक उपलब्ध कराए जाते हैं। हालांकि, यह अलग बात है कि सरकार ने सात साल पहले ही राज्य में फ्लेवर्ड हुक्का बार पर प्रतिबंध लगाकर जिलाधिकारियों से कार्रवाई को कहा गया था, लेकिन कार्रवाई हुई नहीं।

loksabha election banner

चिंता वाली बात ये है कि हुक्का बार में ग्राहकों की बड़ी संख्या किशोरों की है जो 12वीं कक्षा से नीचे के हैं। अहम ये भी है कि इन किशोरों में लड़कियों की भी तादाद अच्छी खासी है। सिर्फ हर तरह का नशा ही नहीं बल्कि यहां से देह व्यापार के रैकेट तक संचालित हो रहे। वर्ष 2012 में पुलिस ने कौलागढ़ के एक हुक्का बार में छापे की कार्रवाई कर हाईप्रोफाइल कॉलगर्ल पकड़ी थी। जांच में खुलासा हुआ था वह बार में संचालक के इशारे पर रोज बैठती थी और अमीर किशोरों को जाल में फंसाती थी। ये कॉलगर्ल दूसरी लड़कियों को भी इस धंधे में लाने का काम करती थी। 

सरकारी महकमों (पुलिस, जिला प्रशासन, नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग) की 'दरियादिली' पर चल रहे इन हुक्का बारों पर यदा-कदा कार्रवाई तो हुई, मगर सरकारी 'सरपरस्ती' में ये फिर चलने लगे। प्रदेशभर में फ्लेवर्ड हुक्का बार प्रतिबंधित हैं। जनवरी-12 में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य द्वारा इसका आदेश जारी कर प्रदेश के सभी 13 जिलाधिकारियों को हुक्का बार को बंद कराने का पत्र भेजा था। बावजूद इसके इन पर कभी कार्रवाई नहीं हुई। अकेले दून में ही दो दर्जन हुक्का बार बेधड़क संचालित हो रहे हैं। वर्ष 2012 जनवरी में पुलिस ने राजपुर में तीन हुक्का बार पर कार्रवाई कर इन्हें सील कर दिया था। नगर निगम ने भी इसकी जांच की। जांच में मालूम चला कि एक हुक्का बार में रेस्टोरेंट का लाइसेंस भी फर्जी था। हालांकि, सांठगांठ के इस खेल में जांच रिपोर्ट फाइलों में दब गई, हुक्का बार फिर संचालित हो गए। 

ज्यादातर ग्राहक नाबालिग

पुलिस के आंकड़े बता रहे कि हुक्का बार में ज्यादातर ग्राहक नाबालिग बच्चे हैं। वर्ष 2013 में पुलिस ने शहरभर में हुक्का बारों में छापेमारी की तो वहां पकड़े ग्राहक 12वीं कक्षा से नीचे वाले थे। अमीर घरानों के ये बच्चे या तो स्कूल से सीधे बार आए थे या फिर ट्यूशन या कोचिंग जाने के बहाने बार में नशा कर रहे थे। पुलिस ने वर्ष 2013 में 10 हुक्का बारों पर कार्रवाई की और इनमें 113 लोग पकड़े गए थे। इनमें 91 स्कूली बच्चे थे। भविष्य का देखकर उन्हें चेतावनी देकर छोड़ा गया। पिछले साल भी पुलिस ने अभियान चला कार्रवाई की थी लेकिन ठोस समाधान नहीं हो पाया।

बार संचालकों के झांसे में पुलिस

हमारी पुलिस वास्तव में 'मित्र पुलिस' है। हुक्का बार संचालकों ने पुलिस को बताया कि राज्य सरकार द्वारा हुक्का बार पर लगाए प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट का स्टे आर्डर है, लेकिन आज तक पुलिस ने यह स्टे आर्डर देखने की जहमत नहीं उठाई। फिर सबकुछ 'यारी-दोस्ती' में चलता रहा। 

यहां चल रहे हैं हुक्का बार

शहर के राजपुर व जाखन क्षेत्र में सबसे ज्यादा हुक्का बार चल रहे हैं। रेसकोर्स, जीएमएस रोड, वसंत विहार, कौलागढ़, पटेलनगर, सुभाष नगर, टर्नर रोड, प्रेमनगर, कनक चौक, राजा रोड, प्रिंस चौक आदि में भी कैफे की आड़ में हुक्का बार संचालित हो रहे हैं और सरकारी मशीनरी तमाशबीन बनी हुई है।

गूगल पर भी मिल रही जानकारी

पुलिस या प्रशासन को भले ही इनकी जानकारी न हो, लेकिन गूगल तक को इनके बारे में पता है। एड्रेस बार में हुक्का बार टाइप करते ही शहर के दर्जनों रेस्तरां और बार का पता एक पल में चल जाता है।

बिलियर्ड रूम भी हैं नशे के अड्डे

शहर में हुक्का बार की तरह पॉश इलाकों में खुले बिलियर्ड रूम भी नशा, जुआ और सट्टे के अड्डे बने हुए हैं। हालांकि, यहां पुलिस ने कार्रवाई यदा-कदा ही की। तीन साल पूर्व पुलिस ने वसंत विहार इलाके के एक बिलियर्ड रूम में छापा मारा तो हैरानी वाली बात ये रही कि वहां धड़ल्ले से नशा और सट्टा जारी था लेकिन बिलियर्ड कहीं नहीं था। पुलिस ने 31 आरोपी पकड़े थे। इनमें 29 स्कूल-कालेज के छात्र थे।

छोटे पड़ जाते कानून के हाथ

नियमानुसार इनका केवल 200 रुपये का चालान किया जा सकता है। अब रही बात पुलिस की तो यहां कानून के हाथ भी छोटे पड़ जाते हैं। जिन बारों और रेस्तरां में हुक्का परोसा जा रहा है वे बेहद ऊंचे रसूख वालों के हैं। सत्ता में गलियारों तक इनकी पहुंच होने से पुलिस-प्रशासन भी इनके खिलाफ कार्रवाई से बचते हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार हुक्का बार पूरी तरह गैर कानूनी हैं।

नहीं लिखी होती चेतावनी

हुक्का बार में किसी प्रकार की चेतावनी तक नहीं लिखी होती है। कोटपा की जिला सलाहकार अर्चना उनियाल के अनुसार बार में हुक्के में क्या परोसा जा रहा है इस संबंध में कोई जानकारी नहीं होती है। ये पूरी तरह बैन है, लेकिन कोटपा (सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट) के अंतर्गत इनका केवल 200 रुपए का चालान ही किया जा सकता है। पुलिस या प्रशासन चाहे तो इन्हें सील कर सकते हैं।

बोले एसएसपी

एसएसपी अरुण मोहन जोशी का कहना है कि पुलिस हुक्का बार पर सिर्फ पुलिस एक्ट के अंतर्गत चालान कर कार्रवाई कर सकती है। इस पर प्रतिबंध की जिम्मेदारी प्रशासन की है। जहां भी हुक्का बार संचालित होने की शिकायत मिलती है, वहां कार्रवाई की जाती है।

दून में हुक्का बार पर पाबंदी

दून में हुक्का बार या हुक्का पार्लर के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने इस बाबत आदेश जारी कर दिया है। शराब के बार, रेस्तरां आदि में हुक्का परोसे जाने की जांच की जिम्मेदारी जिला आबकारी अधिकारी, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी और औषधि नियंत्रण विभाग को सौंपी गई है। ये अधिकारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के साथ समन्वय बनाकर हुक्का बार चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

जिलाधिकारी के आदेश में कहा गया है कि हुक्का बार/हुक्का पार्लर में युवाओं को फ्लेवर्ड हुक्के की आड़ में प्रतिबंधित नशा भी परोसा जा रहा है। रेस्तरां और शराब के बार में भी हुक्का परोसा जा रहा है। लिहाजा, ऐसे प्रतिष्ठानों में जिला तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ कार्यालय की टीम मुख्य चिकित्साधिकारी के निर्देशन में पुलिस के साथ औचक निरीक्षण करेगी। अगर कहीं हुक्का परोसने की बात सामने आती है तो उस प्रतिष्ठान का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। इस कार्रवाई की सूचना जिलाधिकारी को भी उपलब्ध कराई जाएगी।

दिल्ली में लग चुकी हुक्का बार पर रोक

यह किसी से छिपा नहीं है कि फ्लेवर्ड हुक्के की आड़ में युवा नशा गुडग़ुड़ा रहे हैैं। यही वजह है कि दिल्ली सरकार सभी तरह के हुक्का बारों पर प्रतिबंध लगा चुकी है। सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (सीओटीपीए) की धारा चार के तहत गैर-धूमपान क्षेत्रों के साथ ही धूमपान वाले क्षेत्रों में भी हुक्के के सेवन की अनुमति नहीं है। उत्तराखंड में देर से ही सही, मगर दून से इसकी शुरुआत की जा चुकी है।

पूरे उत्तराखंड के लिए है आदेश

हुक्का बार पर रोक लगाने के लिए सबसे पहले उत्तराखंड के चिकित्सा अनुभाग ने 12 फरवरी 2018 को आदेश जारी किया था। इसके बाद स्वास्थ्य महानिदेशक ने 27 फरवरी को पूरे उत्तराखंड के लिए आदेश जारी कर दिया। हालांकि, दून में भी इस पर करीब 21 माह बाद कार्रवाई की गई।

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में ई-सिगरेट और ई-हुक्का पर लगेगा पूर्ण प्रतिबंध, इन बीमारियों की हैं जड़

धरातल पर असर अब भी नहीं

जिलाधिकारी का यह आदेश 25 नवंबर का है यानी कि इसे 10 दिन हो चुके हैं। इस लिहाज से अब तक तमाम हुक्का बारों पर शिकंजा कस जाना चाहिए था। आदेश में यह भी स्पष्ट है कि किस टीम को यह कार्रवाई करनी है। इसके बाद भी युवाओं को नशा परोसने वाले सौदागरों पर हाथ डालने से अधिकारी परहेज कर रहे हैं। 

यह भी पढ़ें: बड़ा सवाल: मौत के गुनाहगारों के कौन थे पनाहगार, पढ़िए पूरी खबर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.