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जहरीली शराब कांड: मौत के गुनाहगारों के कौन थे पनाहगार, पढ़िए पूरी खबर

दून शहर के बीचोंबीच सालों से फलफूल रहे कच्ची व अवैध शराब के काले धंधे पर कई सालों से पुलिस-प्रशासन आंख मूंदकर बैठे हुए थे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 08:34 AM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 08:34 AM (IST)
जहरीली शराब कांड: मौत के गुनाहगारों के कौन थे पनाहगार, पढ़िए पूरी खबर
जहरीली शराब कांड: मौत के गुनाहगारों के कौन थे पनाहगार, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, संतोष तिवारी। दून शहर के बीचोंबीच सालों से फलफूल रहे कच्ची व अवैध शराब के काले धंधे पर कई सालों से पुलिस-प्रशासन आंख मूंदकर बैठे हुए थे। पथरिया पीर, चुक्खुवाला समेत इंद्रा कालोनी में शराब के इस काले धंधे की सूचना पुलिस, प्रशासन, आबकारी सभी को थी। महापौर एवं क्षेत्रीय विधायक के घर के पास बिक रही अवैध शराब को लेकर लोग कई दफा मुखर भी हुए और पुलिस कप्तान आफिस से लेकर तमाम मंचों पर शिकायतें भी कीं, लेकिन तस्करों एवं सरकारी तंत्र के 'गठजोड़' की नींद नहीं टूटी। शायद तमाम 'जिम्मेदारों' को मौत का इन्तजार था। बता दें कि बीते रोज देहरादून में जहरीली शराब पीने से छह की मौत हो गई, जबकि तीन बीमार हैं। उनका इलाज चल रहा है। हालत बिगड़ने पर तीनों बीमारो को देर रात ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया।

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मामले में सबसे बड़े जिम्मेदार पुलिस व आबकारी विभाग ही हैं। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि इस इलाके में अवैध शराब की बिक्री को लेकर आबकारी विभाग के एक अधिकारी ने कई दफा शिकायतें भी की व कार्रवाई को दबाव बनाया, मगर विभाग ने कोई कदम नहीं उठाए। यही हालात पुलिस के भी रहे। क्षेत्रीय लोगों की शिकायतों को पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। पुलिस की इस लापरवाही ने एकसाथ छह परिवारों को उजाड़ दिया। यदि आला अधिकारी समय से चेत जाते तो शायद शहर के बीचोंबीच बसे पथरिया पीर जैसे इलाके में शराब से हुई इन मौतों को रोका जा सकता था।

बाइक पर आते हैं सिपाही और पैसे ले जाते हैं

हंगामे के दौरान क्षेत्रीय लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस के दो सिपाही पलसर बाइक पर आते थे और शराब बेचने वालों से पैसे लेकर चले जाते थे। एक नाबालिग बच्चे ने पुलिस और शराब तस्करों के इस गठजोड़ का पूरा खुलासा किया। बच्चे के मुताबिक शराब तस्कर शराब की डिलीवरी के लिए क्षेत्र के बच्चों को अपने जाल में फंसाना चाहते थे और उन्हें पैसे भी ऑफर करते थे। यह बात भी पुलिस को बताई पर रोजाना बाइक पर आने वाले पुलिसकर्मियों ने उनकी एक न सुनी। तस्करों से पैसे लेने के बाद पुलिसकर्मी क्षेत्रीय लोगों पर रौब गांठकर निकल जाते थे।

मुख्यमंत्री के पास महकमा, फिर भी ये हाल

आबकारी मंत्रालय खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के पास है। इसके बावजूद एक साल में प्रदेश में रुड़की, टिहरी और देहरादून में जहरीली शराब से मौत के तीन बड़े मामले सामने आ चुके हैं। फरवरी में रुड़की और इसके समीप के इलाके में जहरीली शराब के चलते 147 लोगों की मौत हो गई थी व मार्च में टिहरी में दो लोगों की मौत। इनकी जांच ठंडे बस्ते में ही थी कि अब देहरादून में छह लोगों की मौत हो गई व तीन मौत से जूझ रहे। हर बार उच्च स्तरीय जांच के दावे किए गए मगर नतीजा सिफर ही रहा। रुड़की कांड में जिन अधिकारियों को जांच के आधार पर सस्पेंड किया गया था, उन्हें चंद दिन बाद ही बहाल भी कर दिया गया और टिहरी कांड में भी ऐसा ही हुआ। अब दून में हुए मामले पर भी मजिस्ट्रेटी जांच व कार्रवाई के दावे किए जा रहे, मगर पिछले अनुभवों को देखकर कहना मुश्किल है कि जिम्मेदारों पर कोई ठोस कार्रवाई होगी।

सुलगते सवाल

  • राजधानी में किसकी शह पर चल रहा था अवैध धंधा
  • शिकायत के बाद भी पुलिस ने क्यों नहीं की कार्रवाई
  • आबकारी विभाग ने क्यों इन मामलों पर कभी नहीं लिया संज्ञान
  • पथरिया पीर कांड के बाद आबकारी विभाग ने शराब दुकानें बंद तो कराई मगर सील क्यों नहीं की
  • आबकारी विभाग दुकानों से नकली माल हटाने की छूट दी थी क्या
  • अवैध शराब के मामले में छोटे-मोटे तस्करों पर ही क्यों होती है कार्रवाई
  • धड़ल्ले से तस्करी कर लाई जा रही पंजाब व हिमाचल की शराब आबकारी व पुलिस को क्यों नहीं आती नजर
  • खुलेआम घूम रहे शराब तस्करों पर क्यों नरम रहती है पुलिस

बोले वि‍धायक

गणेश जोशी (मसूरी विधायक) का कहना है कि मुझे गुरुवार रात क्षेत्रीय लोगों ने तीन लोगों की मौत की सूचना दी थी। शुक्रवार सुबह मैं इन तीनों के अंतिम संस्कार में भी गया और आर्थिक मदद भी की। मुझे यह बताया गया था कि मौत डेंगू के कारण हुई है। इसके बाद मैं मसूरी चला गया। दोपहर में मेरे पास फिर फोन आया कि तीन और लोगों की मौत हो गई है और मौत जहरीली शराब से हुई है। मैं तुरंत वापस आया और प्रकरण की जानकारी ली। क्षेत्र में जहरीली व अवैध शराब की बिक्री की शिकायत पर मैनें लगभग एक महीने पहले एसएसपी को कार्रवाई के लिए कहा था। मामले में धारा चौकी पुलिस की भूमिका पर मुझे भी संदेह था, लिहाजा मैनें उच्चाधिकारी को जांच में लगाने का आग्रह किया। एसएसपी ने जांच सीओ को सौंपी थी और वे कई दफा आए भी। इस बीच यह घटना हो गई। दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही पुलिस और आबकारी विभाग के चार अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है।

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बोले डीएम

सी. रविशंकर (जिलाधिकारी) का कहना है कि घटना में मजिस्ट्रेटी जांच बैठा दी गई है। जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। 

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