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भाजपा विधायक प्रणव सिंह विवादों में भी रहे चैंपियन, जानिए विवादों के किस्से

खानपुर से भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और विवादों का चोली-दामन का साथ है। भाजपा में आने के बाद भी विवाद उनके हमसाया की तरह साथ चल रहे हैं।

By BhanuEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 10:01 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 02:31 PM (IST)
भाजपा विधायक प्रणव सिंह विवादों में भी रहे चैंपियन, जानिए विवादों के किस्से
भाजपा विधायक प्रणव सिंह विवादों में भी रहे चैंपियन, जानिए विवादों के किस्से

देहरादून, राज्य ब्यूरो। खानपुर से भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और विवादों का चोली-दामन का साथ है। प्रदेश की पहली निर्वाचित कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के शपथ ग्रहण से आज तक चैंपियन लगातार सुर्खियों में रहे हैं। कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने पार्टी व सरकार को असहज रखा। अब भाजपा में आने के बाद भी विवाद उनके हमसाया की तरह साथ चल रहे हैं। 

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भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन इन दिनों एक वायरल वीडियो को लेकर चर्चाओं में हैं। इस वीडियो में वह बंदूकों के साथ डांस करने के साथ ही राज्य के लिए अत्यंत आपत्तिजनक व अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करते नजर आ रहे हैं। विवादों की कड़ी में यह सबसे नया मामला है। 

दरअसल, राज्य गठन के बाद से ही चैंपियन विवादों में घिरे रहे हैं। नारायण दत्त तिवारी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान चैंपियन को पूरी उम्मीद थी कि निर्दलीय विधायक के रूप में कांग्रेस को समर्थन देने के कारण उन्हें मंत्री बनाया जाएगा। 

इसके लिए वह पूरी तैयारी के साथ आए थे। नाम न आने पर उन्होंने खासी नाराजगी जताई थी। इसके बाद वर्ष 2003 में चैंपियन पर लक्सर में मगरमच्छ के शिकार के आरोप लगे थे। इस पर वन विभाग ने मुकदमा भी दर्ज किया। हालांकि, इस पर आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

जनवरी 2009 में चैंपियन पर मंगलौर में हवाई फायरिंग का मामला दर्ज हुआ, लेकिन कोई कारवाई नहीं हुई। वर्ष 2011 में चैंपियन पर तत्कालीन विधायक व मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के समर्थकों ने मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी वर्ष रुड़की के एक होटल के मालिक पर फायरिंग करने का भी आरोप लगा। 

इस मामले में मुकदमा तो दर्ज हुआ, लेकिन पुलिस ने आगे कार्रवाई नहीं की। वर्ष 2015 में कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के देहरादून में यमुना कॉलोनी स्थित आवास पर एक पार्टी के दौरान उन पर हवाई फायरिंग के आरोप लगे थे। इसमें कांग्रेस के दो कार्यकर्ता घायल हो गए थे। 

हालांकि, तब प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने के कारण यह मामला भी दब गया। वर्ष 2016 में जब कांग्रेस सरकार में उठापठक चली तो चैंपियन बागी विधायकों के साथ रहे। वर्ष 2017 के चुनावों में भाजपा ने चैंपियन को टिकट दिया। चुनाव जीतने के बाद वह फिर विवादों में रहे। उन पर नामांकन के दौरान हथियारबंद समर्थकों को ले जाने के आरोप लगे। 

इसी वर्ष भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल से  छिड़ी जुबानी जंग ने तो मर्यादाओं की सीमाएं लांघ दी। इस मामले में जांच समिति अपनी रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को सौंप चुकी है, लेकिन अभी फैसला नहीं हुआ है। 

बीते माह ही दिल्ली में एक पत्रकार के साथ विवाद का उनका वीडियो वायरल हुआ। इसे देखते हुए पार्टी ने उनकी प्राथमिक सदस्यता तीन माह के लिए निलंबित कर दी थी। अब यह प्रकरण चर्चाओं में है। 

चैंपियन के सियासी भविष्य पर सवाल

वर्ष 2002 में उत्तराखंड की पहली निर्वाचित विधानसभा में निर्दलीय सदस्य के रूप में चुने जाने वाले चर्चित विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन कांग्रेस में लगभग दस साल का समय गुजार सवा तीन साल पहले ही भाजपा में शामिल हुए। 18 मार्च 2016 को जब तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विद्रोह हुआ तो चैंपियन भी कांग्रेस छोडऩे वाले नौ विधायकों में शामिल थे। ताजा विवाद के कारण भाजपा से उनकी छुट्टी तय मानी जा रही है, चैंपियन के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन को उत्तराखंड की चारों निर्वाचित विधानसभा का सदस्य बनने का अवसर मिला है। वर्ष 2002 में वह हरिद्वार जिले की लक्सर विधानसभा सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव जीते और तब नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार को उन्होंने समर्थन दिया। इसके बाद वर्ष 2007 और 2012 के चुनाव उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लड़कर जीते।

वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद लक्सर सीट का वजूद समाप्त हो जाने पर उन्होंने खानपुर सीट से चुनाव में जीत हासिल की। मार्च 2016 में हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत कर भाजपा में शामिल होने वालों में चैंपियन भी थे।

यानी, विधायक के रूप में अपने लगभग 17 साल के राजनीतिक करियर में चैंपियन कांग्रेस और भाजपा, दोनों दलों में रह चुके हैं। कांग्रेस में रहते हुए भी वह अक्सर अपने कारनामों के कारण पार्टी के लिए परेशानी का सबब बनते रहे। नारायण दत्त तिवारी, विजय बहुगुणा और हरीश रावत, सभी के मुख्यमंत्रित्वकाल में उन्होंने अलग -अलग कारणों से चर्चा बटोरी।

यह बात दीगर है कि कांग्रेस उनके खिलाफ कभी सख्त कदम उठाने का साहस नहीं जुटा पाई। असल में, कांग्रेस जब भी सूबे में सत्ता में रही, उसे मामूली बहुमत ही हासिल था या फिर बाहर से समर्थन लेकर कांग्रेस ने सरकार चलाई। तब कांग्रेस एक भी विधायक को खोने की स्थिति में नहीं थी। 

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से अकेले दम 57 सीटों पर जीत दर्ज की। लिहाजा पार्टी पर एक विधायक के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। इसके बावजूद भाजपा ने चैंपियन की हरकतों को सवा दो साल तक सहन किया। इस बार उन्होंने वायरल वीडियो में जो टिप्पणी कर डाली, उसने भाजपा को मजबूर कर दिया है कि वह उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने जैसा सख्त कदम उठाए।

चैंपियन ने सीधे उत्तराखंड की अस्मिता पर ही चोट कर आपत्तिजनक शब्द कहे। हालांकि, इससे पहले भी उनकी पहाड़ और पहाड़ियों पर की गई टिप्पणियों ने जनमानस में खासा आक्रोश पैदा किया था। इस तरह की टिप्पणी के बाद भाजपा तो क्या, कांग्रेस भी उन्हें वापस पार्टी में लेने से पहले सौ दफा सोचेगी। इस लिहाज से देखा जाए तो चैंपियन का राजनीतिक भविष्य भी पूरी तरह दांव पर लगा नजर आ रहा है।

चैंपियन के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में तहरीर

उत्तराखंड को लेकर अभद्र टिप्पणी करने को लेकर एक बार फिर विवादों में घिरे खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में तहरीर दी गई है। तहरीर में विधायक के असलहा लहराने और उत्तराखंड को लेकर अभद्र भाषा का प्रयोग करने पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है।

उधर, अधिवक्ता आलोक घिल्डियाल ने भी राज्यपाल को पत्र भेज कर चैंपियन की विधानसभा से सदस्यता खत्म करते हुए कार्रवाई करने की मांग की है।

तहरीर देने वाले गजेंद्र रावत निवासी सी-25, नेहरू कॉलोनी ने कहा कि एक भी ऐसी लड़ाई नहीं है, जिसमें उत्तराखंड के वीरों ने सर्वोच्च बलिदान न दिया हो। यहां चारधाम हैं और उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, लेकिन विधायक चैंपियन ने उत्तराखंड को लेकर जो टिप्पणी की है, उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 

इससे राज्य की छवि को गहरा धक्का लगा है। यही नहीं, वायरल वीडियो में वह कई असलहा लहराते दिख रहे हैं। यह असलहे किसके हैं। उन्होंने कि इस मामले में विधायक पर तर्कसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए। 

जानकारी जुटाने के बाद होगी आगे की कार्रवाई 

उत्तराखंड के डीजी लॉ एंड आर्डर अशोक कुमार के अनुसार, विधायक के खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में तहरीर दिए जाने की अभी जानकारी नहीं मिली है। पुलिस से इस बारे में जानकारी मांगी गई है। पूरे प्रकरण की जानकारी करने के आगे की कार्रवाई की जाएगी।

चैंपियन के असलहे होंगे निरस्त

खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के सोशल मीडिया में वायरल विवादित वीडियो की जांच आरंभ हो गई है। पुलिस महानिदेशक (अपराध और कानून-व्यवस्था)अशोक कुमार ने हरिद्वार के एसएसपी को विधायक के नाम से जारी असलहों के निरस्तीकरण की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। 

वहीं, जिलाधिकारी के निर्देश पर एसएसपी ने मंगलौर के कोतवाल को वायरल वीडियो की जांच के लिए निर्देशित कर दिया है। उधर, खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने इस वीडियों को तीन से चार साल पुराना बताते हुए इसे साजिश करार दिया। 

मंगलवार देर रात सोशल मीडिया पर खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन का एक वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में विधायक प्रतिबंधित बोर की राइफल के साथ अन्य हथियारों का प्रदर्शन करते और उन्हें साथ लेकर नाचते गाते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने वीडियो में उत्तराखंड के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का भी प्रयोग किया है। 

चर्चाओं में आते ही पुलिस ने वीडियो की जांच शुरू कर दी है। पुलिस पता लगा रही है कि वीडियो कहां का है और जो प्रतिबंधित बोर की राइफल दिख रही है, वह किसकी है। पुलिस महानिदेशक ने भी एसएसपी को इस मामले में कार्रवाई करने को कहा है। 

इस मामले में हरिद्वार के जिलाधिकारी के निर्देश पर एसएसपी जन्मेजय प्रभाकर खंडूड़ी ने मंगलौर कोतवाल से जांच कर तत्काल रिपोर्ट देने को कहा है। जिलाधिकारी दीपेंद्र चौधरी ने कहा कि पुलिस की रिपोर्ट के तथ्यों का संज्ञान लिया जाएगा और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस मामले में देहरादून के नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है, उसका भी संज्ञान लिया जाएगा। 

वहीं, खानपुर के भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने वायरल वीडियो को तीन-चार साल पहले का बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें फंसाने को साजिशन उसकी एडिटिंग कर वायरल किया गया है। उनका कहना है कि उनकी छवि जानबूझकर धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। चैंपियन ने खुद को बीमार बताया और कहा कि वह पिछले बीस दिन से बिस्तर पर हैं। 

जांच के दिए गए हैं आदेश  

पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था के मुताबिक, एसएसपी हरिद्वार को पूरे प्रकरण की जांच के आदेश दिए गए हैं। विधायक जो असलहे लहरा रहे हैं, वे किसके नाम पर हैं, इसका भी पता लगाने को कहा गया है। साथ ही, उनके नाम से जारी असलहे के निरस्तीकरण की कार्रवाई करने को भी कहा गया है। 

शस्त्र विवादों के चैंपियन प्रणव पर नहीं हुई कभी कार्रवाई

खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन पर शस्त्र विवादों के मामलों में कई मुकदमे तो दर्ज हुए, लेकिन आज तक उनके खिलाफ लाइसेंस निरस्तीकरण और जब्तीकरण की कोई अंतिम कार्रवाई नहीं हुई। शायद यही कारण रहा कि प्रणव जब मर्जी आया, तब लाइसेंसों को  लहरा और चला देते हैं। वहीं, जिला पुलिस प्रशासन को भी आज तक यह अधिकृत जानकारी नहीं कि उन पर कितने आर्म्स एक्ट के मुकदमे दर्ज हैं और उनमें क्या हुआ। 

शस्त्र लाइसेंसों को लेकर विवादों में रहने वाले खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन पर एक नहीं कई मामले दर्ज हैं, जिनमें एक मामला तो कुछ साल पहले देहरादून में दर्ज है। मामले को लेकर देहरादून जिला प्रशासन की ओर से शस्त्र लाइसेंस के मामले को लेकर हरिद्वार प्रशासन को उनके लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की थी, लेकिन रसूख के चलते इस मामले में आज तक न तो लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई हुई और न जब्तीकरण की। 

इसके अलावा रुड़की में भी वर्ष 2011 में एक होटल के प्रकरण को लेकर प्रणव शस्त्र लाइसेंस का मामला सामने आया था, लेकिन यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया था। देहरादून में एक पार्टी में गोली चलने से एक नेता घायल हो गया था। जिसमें भी प्रणव का नाम होने की चर्चा आई थी। हालांकि, इसकी कोई पुष्टि नहीं हो सकी थी। 

वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव में खुलेआम हथियार लहराने का मामला प्रकाश में आया था, लेकिन पुलिस प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी। उधर, सबसे बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि जिस पुलिस पर ऐसी घटनाओं को रोकने की जिम्मेदारी है, उसे ही अधिकृत रूप से यह नहीं पता कि प्रणव पर कितने मुकदमे दर्ज हैं और उन पर अंतिम कार्रवाई क्या हुई है। 

चैंपियन के नाम हैं तीन लाइसेंस

खानपुर विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के नाम तीन शस्त्र लाइसेंस हैं। इनमें से एक लाइसेंस कारबाइन का है, दूसरा रिवॉल्वर का है तो तीसरा लाइसेंस दो नली बंदूक (डीबीबीएल) का जारी किया गया है। पर, चैंपियन तीन के बजाए चार शस्त्र लाइसेंसों के साथ वायरल वीडियो में दिख रहे हैं। 

रिकॉर्ड बोली लगा प्रणव बने 0001 के चैंपियन

चर्चा में रहना खानपुर विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन की आदत में शुमार है। एक तरफ आजकल वह सोशल मीडिया में हथियार लहराते एवं शराब का गिलास छलकाते वायरल वीडियो को लेकर चर्चा में हैं तो दूसरी तरफ बुधवार को अपनी नई गाड़ी के लिए 5.51 लाख में 0001 नंबर की बोली लगाकर फिर चर्चा में आ गए। 

परिवहन विभाग की लग्जरी नंबरों की ऑनलाइन बोली में यह बोली अब तक की सबसे बड़ी बोली है। इससे पूर्व फरवरी में आम आदमी पार्टी की किन्नर नेता रजनी रावत ने नई फॉर्च्यूनर गाड़ी के लिए 0001 नंबर पांच लाख में खरीदा था। 

इस बार भी बोली में रजनी रावत शामिल रहीं और उन्होंने अपनी दूसरी गाड़ी के लिए 0007 नंबर को एक लाख 13 हजार रुपये में खरीदा। परिवहन विभाग ने दो साल पूर्व वाहनों पर फैंसी नंबरों को लेकर ऑनलाइन बोली शुरू की थी। बोली में सर्वाधिक क्रेज 0001 को लेकर ही दिख रहा। 

पिछली तीन बोली में यह नंबर लगातार साढ़े चार लाख रुपये से ऊपर रहा। परिवहन विभाग ने दून कार्यालय के लिए इस बार यूके07-डीएन सीरीज के लिए ऑनलाइन बोली दो जुलाई से शुरू की थी, जो छह जुलाई तक चली। बुधवार को विभाग ने बोली में खरीदे नंबरों की लिस्ट जारी की। 

इसमें हरिद्वार जिले के खानपुर क्षेत्र से विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने 0001 के लिए सर्वाधिक 5.51 लाख की बोली लगाई। चैंपियन भाजपा के विधायक हैं, लेकिन पिछले माह पार्टी द्वारा उन्हें निलंबित कर दिया गया था। आजकल वह विवादित वीडियो को लेकर फिर चर्चा में हैं। 

बुधवार दोपहर ही उनके विरुद्ध इस वीडियो को लेकर तहरीर दी गई व पार्टी ने भी कार्रवाई का नोटिस थमा दिया। शाम से वह साढ़े पांच लाख रुपये का नंबर खरीदने को लेकर चर्चा में आ गए। 

इसके अलावा बोली में 9999 नंबर 26 हजार रुपये, जबकि 6666 नंबर 25 हजार में बिका। वहीं, 1111 नंबर 16 हजार और 3333 व 0005 नंबर 15 हजार में, 0786 नंबर 13 हजार, 0009 व 7777 नंबर 12 हजार और 0033 व 0006 नंबर 11 हजार रुपये में बिके। बाकी फैंसी नंबर मूल रकम 10 हजार रुपये में बिके। 

वहीं, एआरटीओ प्रशासन अरविंद कुमार पांडे ने बताया कि 0001 की यह प्रदेश में अब तक की सबसे बड़ी बोली है। हालांकि, उन्होंने यह बताया कि विधायक ने किस गाड़ी के लिए फैंसी नंबर खरीदा है, यह उन्हें नहीं पता।

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