13 गांवों में बायोटेक्नोलॉजी कम्युनिटी मॉडल, जानिए इसकी खासियत
उत्तराखंड के सभी 13 जिलों के एक-एक गांव में पारंपरिक तकनीकी ज्ञान और विज्ञान का अनूठा संगम नजर आएगा।
देहरादून, राज्य ब्यूरो। कोशिशें रंग लाई तो आने वाले दिनों में उत्तराखंड के सभी 13 जिलों के एक-एक गांव में पारंपरिक तकनीकी ज्ञान और विज्ञान का अनूठा संगम नजर आएगा। इसके जरिये पारंपरिक संसाधनों का सामूहिक रूप से उपयोग तो होगा ही, अन्य ग्रामीणों को भी इसके लिए प्रेरित किया जाएगा। सरकार ने इन 13 गांवों में बायोटेक्नोलॉजी आधारित कम्युनिटी मॉडल विकसित करने का निर्णय लिया है। इस योजना को एकीकृत विकास योजना में शामिल किया गया है। इसके क्रियान्वयन में शोध संस्था हेस्को की तकनीकी मदद ली जाएगी।
बायोटेक्नोलॉजी कम्युनिटी मॉडल विकसित करने का सुझाव इस साल 21 सितंबर को तब सामने आया, जब कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने देहरादून के शुक्लापुर स्थित हेस्कोग्राम में हेस्को संस्था द्वारा विकसित ग्रामीण तकनीकी मॉडल का अवलोकन किया। तब हेस्को के संस्थापक पद्मश्री डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने इस मुहिम में सरकार को हरसंभव मदद मुहैया कराने का भरोसा दिलाया।
इसी कड़ी में सरकार ने सभी 13 जिलों के एक-एक गांव में बायोटेक्नोलॉजी आधारित कम्युनिटी मॉडल विकसित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत चयनित गांव में गोबर गैस, सोलर प्लांट, घराट जैसे पारंपरिक संसाधनों के न सिर्फ मॉडल विकसित किए जाएंगे, बल्कि सामूहिक रूप से इनके उपयोग के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया जाएगा।
हेस्को संस्था इसमें तकनीकी सहयोग देने के साथ ही हर मॉडल में लोगों को प्रशिक्षण भी देगी। इसके पीछे मंशा पारंपरिक संसाधनों के उपयोग के प्रति ग्रामीणों की समझ बढ़ाने के साथ ही ग्रामीण तकनीकी का बेहतर उपयोग करने की है। 13 गांवों में यह प्रयोग सफल रहने के बाद इसे धीरे-धीरे राज्य के अन्य गांवों में भी ले जाया जाएगा।कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि बायोटेक्नोलॉजी कम्युनिटी मॉडल विकसित करने की योजना को एकीकृत कृषि विकास योजना में शामिल कर लिया गया है। इसका मसौदा तैयार किया जा रहा है और जल्द ही इसे धरातल पर आकार दिया जाएगा। हेस्को संस्था से इसमें तकनीकी सहयोग लिया जाएगा। इस पहल से ग्रामीण तकनीकी का बेहतर उपयोग होने के साथ ही लोग पारंपरिक संसाधनों के उपयोग के लिए भी प्रेरित होंगे।
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