IMA Passing Out Parade: परिश्रम के ताप से कुंदन बने देश के कर्णधार, अवार्ड विजेता कैडेट पेश करते हैं कामयाबी की अलग मिसाल
आइएमए से सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर अफसर बनने वाला हर एक कैडेट कठिन परिश्रम के बूते कामयाबी की मिसाल पेश करता है लेकिन श्रेष्ठ में सर्वश्रेष्ठ कुछ कैडेट इनमें भी अपना अलग मुकाम बनाते हैं। तभी वह विजेता बनकर उभरे हैं। जिनका मानना है कि उनकी असल परीक्षा अब है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। IMA Passing Out Parade वैसे तो आइएमए से सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर अफसर बनने वाला हर एक कैडेट कठिन परिश्रम के बूते कामयाबी की मिसाल पेश करता है, लेकिन श्रेष्ठ में सर्वश्रेष्ठ कुछ कैडेट इनमें भी अपना अलग मुकाम बनाते हैं। तभी वह विजेता बनकर उभरे हैं। जिनका मानना है कि उनकी असल परीक्षा अब है।
स्वॉर्ड ऑफ ऑनर विजेता वतनदीप सिंह सिद्धू लुधियाना के एक संपन्न परिवार से ताल्लुख रखते हैं। उनके पिता बलजिंदर सिंह पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड में इंजीनियर, जबकि मां डॉ. हसवंस कौर माता साहिब कन्या कॉलेज फिरोजपुर में प्राचार्य हैं। वतनदीप के सामने भी कॅरियर के तमाम विकल्प खुले थे, पर उन्होंने फौज को चुना। उन्होंने पहले खासी मुश्किल कही जाने वाली राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआइएमसी) की प्रवेश परीक्षा पास की और फिर पहले ही प्रयास में एनडीए में चयनित हुए। अब भारतीय सैन्य अकादमी में वह श्रेष्ठ में सर्वश्रेष्ठ चुने गए हैं। स्वर्ण पदक हासिल करने वाले मज्जी गिरिधर श्रीकाकुलम आंध्र प्रदेश के एक बेहद सामान्य परिवार से हैं। पिता एम लक्ष्मण राव कोयले की खदान में काम करते हैं। बेटे को अच्छी शिक्षा दी और अब उसका प्रतिफल मिल रहा है। मज्जी कहते हैं कि असल परीक्षा अब है। खुद को बटालियन में जाकर साबित जो करना है। रजत पदक विजेता निदेश यादव भिवानी हरियाणा के रहने वाले हैं। उनके पिता दीवान सिंह सूबेदार मेजर हैं। बेटे को फौज में अफसर बनते देख उनका सीना गर्व से चौड़ा हुआ जा रहा था। टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स में रजत पदक हासिल करने वाले भटिंडा निवासी जसमिंदर पाल सिंह सिद्धू के पिता नरेंद्र जीत सिंह उद्यान विभाग में हैं, जबकि मां अमरजीत कौर गृहिणी। जसमिंदर ने इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद फौज में कॅरियर चुना। माता-पिता को बेटे के इस फैसले पर गर्व है।
पूर्व अपर सचिव का बेटा बना अफसर
दून के जोहड़ी गांव निवासी देवेश राठौर भी शनिवार को सेना में अफसर बन गए। वह मूल रूप से जौनसार क्षेत्र के गांव खाती के रहने वाले हैं। उनके पिता अर्जुन सिंह सचिवालय में अपर सचिव के पद से सेवानिवृत्त हैं और मां सुमित्रा गृहणी। आकाश ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई आइआइएमसी से पूरी करने के बाद पहली बार में ही एनडीए की परीक्षा पास कर ली। उनकी बहन आकांशा राठौर शिक्षा विभाग में तैनात हैं।

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