Move to Jagran APP

कुदरत का अनोखा उपहार 'पद्म वृक्ष' विलुप्ति के कगार पर

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में देववृक्ष पद्म विलुप्ति की कगार पर है। धार्मिक महत्व वाले इस पेड़ को लोग बहुत ही पवित्र मानते हैं। अब इस पेड़ की गिनती संरक्षित श्रेणी के वृक्षों में होने लगी है।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 08 Nov 2016 02:26 PM (IST)Updated: Fri, 11 Nov 2016 03:00 AM (IST)
कुदरत का अनोखा उपहार 'पद्म वृक्ष' विलुप्ति के कगार पर

अल्मोड़ा, [डीके जोशी]: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में देववृक्ष पद्म विलुप्ति की कगार पर है। धार्मिक महत्व वाले इस पेड़ को लोग बहुत ही पवित्र मानते हैं। अब इस पेड़ की गिनती संरक्षित श्रेणी के वृक्षों में होने लगी है। इस पेड़ के फूल, पत्ते ही नहीं बल्कि छाल भी लाभकारी है। इसके छाल से रंग व दवा का निर्माण किया जाता है। इस प्रकार यह पेड़ मानव के लिए कुदरत का अनोखा उपहार है।
इस पेड़ की विशेषता यह है कि पर्वतीय अंचल में जब पौष माह में सभी पेड़ों की पत्तियां गिर जाती हैं व प्रकृति में फूलों की कमी हो जाती है उस दौरान यह पेड़ हरा भरा हो जाता है। इसके वितरीत अन्य सभी पेड़ों में वसंत ऋतु में फूल व पत्ते आते हैं।

loksabha election banner

पढ़ें-मशरूम उत्पादन में कोरियन तकनीक सफल
पौष माह में प्रत्येक रविवार को सूर्य की उपासना इसी पवित्र पेड़ की पत्तियां चढ़ाकर की जाती है। यज्ञोपवीत व जागर तथा बैसी के आयोजन में भी इसका डंठल किसी न किसी रूप में प्रयोग में लाया जाता है। धार्मिक आयोजनों में बजाए जाने वाले पहाड़ी वाद्य यंत्र इसी पेड़ की टहनियों से बनाए जाते हैं। मानव को शहद जैसी औषधि प्रदान करने वाली मधुमक्खियों के लिए भी यह पेड़ लाभकारी है।

पढ़ें: महिलाओं ने उठाया जंगली जानवरों से खेती बचाने का बीड़ा
शीतकाल में यह पेड़ उनके लिए भोजन का मुख्य आसरा होता है। इस काल में इस पेड़ के फूल ही उनके आहार का मुख्य आधार होता है। यही कारण है कि शहद में कार्तिकी शहद को विशेष लाभकारी माना गया है। इसकी लकड़ी काफी मजबूत होने से यह कृषि यंत्रों के दस्ते वगैरह बनाने के भी काम आता है।

पढ़ें: दून की प्रसिद्ध बासमती की महक से बहक रहे गजराज, कर रहे ऐसा..
मानव के लिए लाभकारी
वनस्पति विज्ञानी प्रो. पीसी पांडे मानव के लिए काफी लाभकारी इस पेड़ का वानस्पतिक नाम प्रुन्नस सीरासोइडिस है। यह रोजेसी वंश का पौधा है। आद्र्रता वाले क्षेत्रों में होने की वजह से इसकी लकड़ी भी चंदन के पेड के समान ही पवित्र मानी जाती है। मवेशियों के लिए इसका चारा काफी पौष्टिक होता है। इसे मवेशी बड़े ही चाव से खाते हैं।

पढ़ें-हरिद्वार के धनौरी में हाथियों का तांडव, गन्ने और धान की फसल को रौंदा
तैयार हो रही नर्सरी
उप बन क्षेत्राधिकारी नितिश तिवारी के मुताबिक इस पेड़ को शासन ने हमारा धान-हमारा पेड़ योजना में शामिल किया है। इस पेड़ के संरक्षण के लिए वन महकमा प्रयासरत है। इसके उन्नयन के लिए 20 प्रतिशत पौधों का रोपण विभाग की नर्सरियों में किया जा रहा है। वन महोत्सव के दौरान अन्य पौधों के साथ ही इस पौधे का रोपण भी उपयुक्त भूमि में किया जाता है।
पढ़ें: जंगली जानवर रौंद रहे फसल, किसानों के निवाले पर संकट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.