बनारस में भिखारियों से मुक्ति के लिए अभियान, आवास, रोजगार ही नहीं दिलाई जा रहीं सरकारी योजनाएं भी
वाराणसी में भिक्षावृत्ति मुक्त काशी अभियान 2023 से चल रहा है। इसके तहत 546 भिक्षुकों को रेस्क्यू किया गया जिनमें से 225 को अपना घर आश्रम में आश्रय मिला है। सरकार की मदद से भिक्षुकों को सिलाई अगरबत्ती बनाने जैसे कार्यों में लगाया गया है जिससे उनकी आमदनी हो रही है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। भिक्षावृत्ति से मुक्त काशी अभियान के तहत वर्ष 2023 से जिले में अनवरत अभियान जारी है। रेस्क्यू में भिक्षावृत्ति से जुड़े लोगों की काउंसिलिंग कर घर भेजने के साथ आवास, रोजगार समेत अन्य योजनाओं से लाभान्वित कराया जा रहा है।
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सरकारी योजना से अब इनकी जिंदगी संवर रही है। अपना घर आश्रम तथा वृद्धा आश्रम में निश्शुल्क भिक्षुकों के रहने, खाने, वस्त्र एवं दवा इलाज की व्यवस्था है तो वहीं सरकार से मिले 2.22 लाख रुपये की मदद से सिलाई, अगरबत्ती, दोना पत्तल बनाने की मशीन पर भिक्षुक कार्य कर आमदनी भी कर रहे हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी गिरिश चंद्र दुबे कहते हैं कि अपना घर में रहने वाले भिक्षुकों के रहन सहन से लगायत उनकी सोच में सार्थक बदलाव यहां आकर देखा जा सकता है।
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यह किसी क्रांति से कम नहीं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के स्माइल प्रोजेक्ट में इस वर्ष वाराणसी को शामिल किया गया है। हालांकि वाराणसी में वर्ष 2023 से भिक्षावृत्ति मुक्त काशी अभियान चल रहा है। इस प्रोजेक्ट ने और बल दिया है। इसका उद्देश्य भी भिक्षावृत्ति में संलिप्त व्यक्तियों को पुनर्वासित कर मुख्य धारा से जोड़ना है।
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इस प्रोजेक्ट के संचालन के लिए सामाजिक संस्था अपना घर आश्रम को कार्यदायी संस्थान के रूप में नामित किया गया है। जिला प्रशासन के सहयोग से संस्था गठित टीम की अगुवाई में धार्मिक स्थल, सार्वजनिक स्थल, गंगा घाट, चौराहा, रेलवे व बस स्टेशन पर समय-समय पर अभियान चलाकर अब तक 546 भिक्षुकों का रेस्क्यू कर चुकी है। 225 भिक्षुक को इस समय अपना घर आश्रम में आश्रय दिया गया। कुल 15 बच्चों को स्पांसरशिप व मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से लाभान्वित कराया गया है।
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दोबारा आइए तो श्रद्धालु-पर्यटक बनकर: अभियान के दौरान 208 भिक्षुकों को उनके परिवारजनों से मिलाया गया है। विशेषज्ञों की टीम ने काउंसलिंग कर भिक्षुकों का टिकट कराकर घर भेजा। यह भी अपील की कि अब कभी बनारस आना हुआ तो आप यहां भिक्षुक नहीं पर्यटक, श्रद्धालु बनकर आइएगा। अभियान के दौरान 22 भिक्षुकों को वृद्धा आश्रम भेजा गया तथा 85 बाल भिक्षुकों को चाइल्डलाइन द्वारा चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इसके बाद 82 बच्चों को परिवारजनों से मिलाया गया तथा तीन को बालगृह में पनाह दी गई।
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