अवैध पेड़ कटाई मामले में NGT ने BHU पर लगाया जुर्माना, 12 पेड़ों के खतरनाक होने की दलील खारिज
एनजीटी ने बीएचयू प्रशासन पर 26 पेड़ों की अवैध कटाई के लिए जुर्माना लगाया है। प्रत्येक पेड़ के बदले 20 पौधे लगाने का आदेश दिया गया है। प्राधिकरण ने चंदन के पेड़ों की चोरी को संदिग्ध बताया और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तीन महीने के भीतर क्षतिपूर्ति राशि वसूलने का निर्देश दिया।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने बीएचयू प्रशासन को 26 पेड़ों के अवैध कटाई का दोषी पाया है तथा उस पर जुर्माना लगा दिया है। प्रत्येक काटे पेड़ के सापेक्ष 20 पौधे लगाने का आदेश दिया तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आर्थिक जुर्माना तय करने को कहा।
काटे गए 12 पेड़ों के संबंध में उनके खतरनाक हो जाने की विश्वविद्यालय प्रशासन की दलील को खारिज करते हुए प्राधिकरण ने चंदन के पेड़ों की चोरी के मामले को संदेहास्पद करार दिया। एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल एवं विशेषज्ञ सदस्य डा. ए सेथिंल वेल कि पीठ ने यह आदेश याचिकाकर्ता सह अधिवक्ता सौरभ तिवारी को सुनकर दिया।
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एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को निर्देश दिया है कि वह बीएचयू को सुनवाई का अवसर देते हुए तीन माह के भीतर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति राशि निर्धारित करे और उसकी वसूली करे। प्राधिकरण ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय को पौधारोपण अभियान में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन इससे उसे पूरी तरह से विकसित पेड़ों को अवैध रूप से उखाड़ने का अधिकार नहीं मिलता।
प्राधिकरण ने वाराणसी के प्रभागीय वनाधिकारी और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ की अगुवाई में गठित जांच दल की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा है कि जब विश्वविद्यालय चारों ओर से दीवार से घिरा हुआ है और सभी गेट पर सुरक्षा गार्ड तैनात हैं, साथ ही सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं, तो चंदन के पेड़ों की चोरी होना एक संदेहास्पद घटना है।
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विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दोषियों की पहचान करने और चंदन की लकड़ी की बरामदगी के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि पेड़ों को काटने के लिए डीएफओ से कोई अनुमति नहीं मांगी गई और न ही इस संबंध में कोई पत्राचार किया गया। अवैध पेड़ कटाई के मामले में याचिका दायर होने के बाद बीएचयू के कुलसचिव के खिलाफ वन विभाग द्वारा मुकदमा दर्ज किया गया था।
इस मामले में एनजीटी का आदेश महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारी को भी उजागर करता है। एनजीटी ने स्पष्ट किया है कि विश्वविद्यालय को अपने पौधारोपण अभियान को जारी रखने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने का साधन नहीं बन सकता।
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इस आदेश के माध्यम से एनजीटी ने यह भी संकेत दिया है कि पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करने वाले किसी भी संस्थान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश उन सभी संस्थानों के लिए एक चेतावनी है जो पर्यावरण की सुरक्षा को नजरअंदाज करते हैं।
इस प्रकार, एनजीटी का यह निर्णय न केवल बीएचयू के लिए, बल्कि सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है कि उन्हें पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना और उनका पालन करना चाहिए। इस मामले में आगे की कार्रवाई और विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीएचयू इस आदेश का पालन करते हुए अपनी जिम्मेदारियों को निभाएगा या नहीं।
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