बनारस वालों... रेबीज से हो जाओ सावधान, यहां पांच माह से कुत्तों के बंध्याकरण का काम ठप पड़ा हुआ है
वाराणसी में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या एक गंभीर समस्या बन गई है। शहर में कुत्तों का बंध्याकरण पांच महीने से रुका हुआ है जिससे रेबीज का खतरा बढ़ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने के लिए आश्रय स्थल बनाने का आदेश दिया है लेकिन नगर निगम अभी भी सक्रिय नहीं दिख रहा है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। गांव से शहर तक आवारा कुत्ताें की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। इसके साथ बढ़ता जा रहा है जबड़ों का आतंक। सड़कों-गलियों में राह चलते कब कुत्तों का झुंड धूल चटा दे। दौड़ा ले, पलक झपकते दांत गड़ा दे और अस्पताल पहुंचा दे।
किसी की आह निकल जाए या जान पर बन आए, लेकिन नगर निगम बेपरवाह ही नजर आता है। किसी घटना-दुर्घटना की स्थिति में दो दिन की सक्रियता फिर सब कुछ शांत हो जाता है। इसे इससे ही समझ सकते हैं कि बनारस में पांच माह से कुत्तों का बंध्याकरण ठप है।
यही नहीं उन्हें रैबीज के संक्रमण से मुक्त रखने के इंतजाम भी नहीं नजर आते। स्वयं नगर निगम के ‘अनुमानित आंकड़े’ इसके गवाह बन जाते हैं। अधिकारियों का आकलन है कि शहर में 35 से 40 हजार कुत्ते हैं। पिछले पांच साल में करीब 21000 कुत्ताें का बंध्याकरण कराया गया है। साथ ही एंटी रेबीज वैक्सीन का इंजेक्शन लगाया गया है। इस दृष्टि से बनारस में करीब 19 हजार आवारा कुत्तों को अब तक रेबीज रोधी वैक्सीन नहीं लगी है।
यह स्थिति तब है जब आवारा कुत्ताें को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक भी सख्ती दिखा रहा है। आवारा कुत्ताें को नियंत्रित करने के लिए आश्रय स्थल बनाने का निर्देश दिया है। ऐसे में अब कुत्तों का बंध्याकरण कर उसी मोहल्ले में छोड़ने का बहाना नहीं चलेगा। पूरे वर्ष नगर निगम को सक्रियता दिखाना होगा।
खतरा मुंह बाए खड़ा
अभी दो माह पहले कबीरचौरा महिला अस्पताल के सामने पागल कुत्ते ने आठ लोगों को काट लिया था। करौंदी क्षेत्र में एक पागल कुत्ते ने कई लोगों को दर्द दिया था। जिले के सिर्फ दो बड़े सरकारी अस्पतालों व गांव से शहर तक की पीएचसी-सीएचसी के आंकड़े बताते हैं कि प्रतिदिन औसतन 200 से अधिक लोग कुत्ता काटने पर एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाने आते हैं। इसमें निजी केंद्रों की संख्या जोड़ दें तो आंकड़ा दोगुना हो जाएगा।
लोकार्पण के बाद भी शुरू नहीं हो सका एबीसी सेंटर
कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए निगम ने 1.82 करोड़ रुपये की लागत से लालपुर-ऐढ़े में एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर का निर्माण कराया है। निगम ने इसके संचालन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस क्रम में टेंडर किया जा चुका है। दो अगस्त को इसका लोकार्पण भी किया जा चुका है। माह के अंत से अभी एबीसी शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।
‘‘एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर इसी माह शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। इस क्रम में संचालन के लिए टेंडर भी किया जा चुका है। वहीं सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश संभवत: दिल्ली नगर निगम के लिए हैं। निदेशालय से निर्देश मिलते ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कड़ाई से अनुपालन कराया जाएगा। वहीं पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण (श्वान प्रजजन एवं विपणन) नियम 2017 के तहत पालतू कुत्तों व बिल्ली का पंजीकरण कराना अनिवार्य है। पंजीकरण न कराने पर पांच हजार रुपये जुर्माना का प्रविधान है। - डा. संतोष पाल, पशु कल्याण एवं चिकित्सा अधिकारी
आवारा कुत्ताें को नियंत्रित करने व आश्रय स्थल बनाने का सुप्रीम कोर्ट का का आदेश स्वागत योग्य है। नगर निगम इसका सख्ती से अनुपालन करेगा। इस क्रम में एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर का संचालन जल्द से जल्द शुरू कराने का निर्णय लिया गया है। यही नहीं आवारा पशुओं के लिए 50 लाख रुपये वार्षिक बजट को भी बढ़ाया जाएगा। -अशाेक कुमार तिवारी, महापौर
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