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    बाढ़ की चोट से उबरने लगे गंगा घाट, सीढ़ियाें पर निखरने लगी जिंदगी, आर्थ‍िकी ने पकड़ी गत‍ि

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 12:13 PM (IST)

    वाराणसी में गंगा का जलस्तर घटने से जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। बाढ़ के कारण अस्त-व्यस्त हुआ जीवन पटरी पर लौटने लगा है गंगा तट पर दुकानें सज गई हैं और घाटों पर सफाई कार्य जारी है। स्वास्थ्य विभाग संक्रमण रोकने के लिए प्रयासरत है और मेडिकल कैंप लगाए जा रहे हैं।

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    गंगा घाटों की सीढ़ियाें पर एक बार फ‍िर से निखरने लगी जिंदगी।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। जीवनदायिनी गंगा तट पर आध्यात्मिक के साथ भौतिकता समाया है। गंगा किनारे 500 मीटर की त्रिज्या में लाखों लोगों की जिंदगी गंगा पर आधारित है। जुलाई-अगस्त माह में आई बाढ़ ने इन लोगों की जिंदगी को अस्त-व्‍यस्‍त कर दिया।

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    सभी तट छोड़कर ऊपर सुरक्षित स्थान पर आ गए। अब धीरे-धीरे गंगा का पानी सड़क, गली से होते हुए सीढ़ियों से नीचे उतर रहा है। गंगा तट पर जीवनयापन करने वाले सीढ़ियों पर अपना ठीहा जमाने लगे हैं। तख्ते, छतरियां में पंड़ा-पंडित लोगों को आशीर्वाद देते दिखने लगे हैं।

    जलस्तर पांच अगस्त को खतरे के निशान 71.26 मीटर से ऊपर 72.23 मीटर पहुंचा। छह अगस्त से घटाव शुरू हो गया। अब बाढ़ तेजी से नीचे खिसक रही है। सोमवार को जलस्तर 68.20 मीटर दर्ज किया गया जो चार मीटर से अधिक नीचे है। दशाश्वमेधघाट पर पानी 19 सीढ़ी नीचे चला गया है। प्रेशर पाइप से सफाई की जा रही है। जल पुलिस चौकी पानी से बाहर आ गई है। पुराने दशाश्वमेधघाट पर बाढ़ कालिका गली मोड़ के आगे तक आ गई थी। वहां पर सफाई कर दी गई है।

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    गंगा मंदिर में पूजा भी शुरू हो गई है। शीतला मंदिर का अभी ऊपरी 10 फीट ही बाहर आया है। दुकानदारों ने फिर से अपनी दुकानदारी सजा दी है। काशी के घाट आने वाले साधु, संत, पर्यटक, तीर्थयात्री, शांति की खोज करने वाले, देशी-विदेशी, हिप्पी के लिए जाने जाते हैं। कुछ लोग आ रहे हैं लेकिन वह बहुरंगी और बहुआयामी रौनक, पूजा-पाठ, घंटा-घड़ियाल, संगीत व मंत्र की आवाज बनारसी मस्ती अभी नहीं है। यह सब कुछ फिर से सामान्य होने में अभी एक पखवारा लगेगा।

    वैसे गंगा जो स्थिर रहकर बाबा विश्वनाथ के चरण पखारती वह अभी भी उफनाई हैं। पानी का बहाव देखकर लग रहा है जैसे वह काशी को छोड़कर गंगा सागर पहुंचने को आतुर हों। इस कारण नावों का संचालन अभी नहीं हो रहा है। सुबहे बनारस हो या घाटों की रौनक देखने वाले देशी-विदेशी पर्यटक मन मनोश कर वापस जा रहे हैं।

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    कीटनाशक दवाओं से रोकेंगे बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में संक्रमण

    पानी उतरते ही नगर निगम प्रभावित इलाकों में सफाई अभियान तेज कर दिया गया है। सिल्ट हटवाने के साथ कीटनाशक व चूना छिड़काव करा रहा है। अपर नगर आयुक्त सविता यादव के नेतृत्व में कोनिया व अपर नगर आयुक्त विनोद कुमार गुप्ता ने मणिकर्णिका घाट की गलियों में सफाई कराया। सोडियम हाइपो क्लोराइड, एंटीलार्वा और चूने का छिड़काव किया गया ताकि किसी भी संक्रामक रोग का प्रसार न हो। पता चला कि पर्यटकों को सर्वाधिक आकर्षित करने वाले नमो घाट कर सफाई अभी दो दिनों बाद शुरू होगी। अभी प्रहलादघाट, भैसासुर पर भी सफाई नहीं शुरू हुई।

    15 बंद फीडर व ट्रांसफार्मर चालू

    बाढ़ प्रभावित क्षेत्राें में पानी बढ़ने के बाद 15 फीडर और 297 ट्रांसफार्मर बंद कर दिया गया था। इसमें आठ ट्रांसफार्मर को छोड़कर सभी को चालू कर दिया गया है। लोग अपने घरों को लौटने लगे हैं इस कारण उनको बिजली आपूर्ति होने लगी है।

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    स्वास्थ्य सुरक्षा पर विशेष जोर

    सीएमओ डा. संदीप चौधरी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों पार्षदों के समन्वय से मेडिकल कैंप लगाया गया। सोमवार को कुल पांच कैंप में 106 बुखार के मरीजों की जांच की गई। मलेरिया और डेंगू की जांच हुई जिसमे कोई धनात्मक नहीं मिला। 1123 बुखार के व्यक्तियों की जांच की जा चुकी है। आशा ने घर-घर 11988 क्लोरीन की गोली का वितरण किया। 04 बाढ़ चौकी प्राथमिक विद्यालय सलारपुर, सिटी गर्ल्स विद्यालय बड़ी बाजार, प्राथमिक विद्यालय सरैया, प्राथमिक विद्यालय रामपुर ढाब कार्यरत हैं।

    बाढ़ चौकी पर 163 दस्त के मरीजों, 286 चर्म रोग के मरीजों को मिलाकर कुल 2420 मरीजों का उपचार किया जा चुका है। 1741 ओआरएस के पैकेट का वितरण हुआ। मच्छरों के लार्वा की ब्रीडिंग जांचने और घरेलू प्रजनन श्रोतों को नष्ट करने के लिए 45 दैनिक ब्रीडिग चेकर्स हायर किए गए हैं। जांच में 03 घरों में लार्वा पाया गया। कुल 3215 मच्छर प्रजनन श्रोत नष्ट किए गए।

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