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    TET की अनिवार्यता पर बोले श‍िक्षक - "खेल के बीच में खेल के न‍ियम नहीं बदले जाते", सीएम कार्यालय ने दि‍या यह जवाब...

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 01:27 PM (IST)

    वाराणसी में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के नेतृत्व में शिक्षकों ने उच्चतम न्यायालय के TET अनिवार्यता के निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन किया। शिक्षकों ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा और कहा कि खेल के बीच में नियम नहीं बदले जाते। उन्होंने वित्तविहीन शिक्षकों की नियुक्ति न होने पर भी चिंता जताई और सरकार से समाधान की मांग की।

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    शिक्षकों ने समस्याओं का समाधान न होने पर आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। उच्चतम न्यायालय द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) को सेवारत शिक्षकों के लिए अनिवार्य करने के निर्णय के खिलाफ सोमवार को शिक्षकों ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के नेतृत्व में प्रदर्शन किया। शिक्षकों ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के प्रतिनिधि सिटी मजिस्ट्रेट रविशंकर को सौंपा।

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    जिलाध्यक्ष शशांक कुमार पांडेय शेखर के नेतृत्व में शिक्षकों ने वर्षा के बीच भीगते हुए अपना आक्रोश व्यक्त किया। प्रदेश अध्यक्ष प्रो. उदयन मिश्र ने कहा कि खेल के बीच में कभी भी खेल के नियम नहीं बदले जाते, जैसा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में किया है।

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    हालांक‍ि, मंगलवार को सीएम कार्यालय से जारी बयान में बताया गया है क‍ि सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग के सेवारत शिक्षकों के लिए TET की अनिवार्यता पर माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का रिवीजन दाखिल करने का विभाग को निर्देश दिया है।

    मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश के शिक्षक अनुभवी हैं और समय-समय पर सरकार द्वारा उन्हें प्रशिक्षण प्रदान किया जाता रहा है। ऐसे में उनकी योग्यता और सेवा के वर्षों को नजरअंदाज करना उचित नहीं है।

    सीएम कार्यालय ने जारी क‍िया स्‍पष्‍टीकरण, पढ़ें :

    वहीं शशांक कुमार पांडेय ने कहा कि एक सितंबर 2025 को पारित अपने आदेश में उच्चतम न्यायालय ने सभी सेवारत शिक्षकों को टेट परीक्षा पास करने की अनिवार्यता के तहत शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की अधिसूचना दिनांक 23 अगस्त 2010 के अंतर्गत स्पष्ट रूप से उल्लिखित तथ्य को नकार दिया है कि वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षक टेट परीक्षा से मुक्त रहेंगे।

    शिक्षकों ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए अपनी आवाज बुलंद की। इस दौरान, वित्तविहीन शिक्षकों की नियुक्ति न होने पर ज्ञापन देने के लिए शिक्षक नेता सुधांशु शेखर त्रिपाठी के नेतृत्व में शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल जिला विद्यालय निरीक्षक से मिला। त्रिपाठी ने बताया कि अंशकालिक शिक्षक वित्तविहीन विद्यालयों में कार्यरत हैं, जिनकी नियुक्ति के संबंध में सरकार द्वारा 10 अगस्त 2001 को शासनादेश जारी किया गया था।

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    शिक्षकों ने अपनी समस्याओं को लेकर जिला विद्यालय निरीक्षक से चर्चा की और ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने वित्तविहीन शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं किया, तो वे आगे भी आंदोलन जारी रखेंगे। इस प्रदर्शन में शिक्षकों ने एकजुटता दिखाई और अपनी मांगों को लेकर दृढ़ संकल्पित रहे। उन्होंने कहा कि वे उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ कानूनी विकल्पों पर विचार करेंगे और अपनी आवाज को और अधिक प्रभावी ढंग से उठाएंगे।

    शिक्षकों का यह प्रदर्शन न केवल उनकी समस्याओं को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वे अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं। शिक्षकों ने यह स्पष्ट किया कि वे शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी प्रकार की बाधा को सहन नहीं करेंगे। शिक्षकों का यह आंदोलन शिक्षा प्रणाली में आंदोलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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