यह क्या, समय से पहले ही लौटने लगा मानसून, मौसम विभाग ने साझा की चौंकाने वाली जानकारी
मौसम विभाग के अनुसार इस बार मानसून देश में समय से पहले पहुंचा और अब 15 सितंबर से ही विदाई की राह पकड़ ली है। पहले मानसून की विदाई की शुरुआत का अनुमानित समय 17 सितंबर था। अनुमान है कि यूपी से पूर्वांचल के रास्ते मानसून की विदाई 5 अक्टूबर की जगह 2 अक्टूबर को हो सकती है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मौसम विभाग ने मानसून को लेकर बीते चौबीस घंटों में एक चौंकाने वाली जानकारी साझा की है। दरअसल इस बार देश में समय से काफी पहले पहुंचे मानसून ने समय से पूर्व विदायी की भी राह पकड़ ली है। पाकिस्तान से विदायी के बाद अब देश में भी मानसून लौटने लगा है। 15 सितंबर से ही इस बार मानसून ने विदायी शुरू कर दी है।
वहीं दूसरी ओर मानसून के विदायर को लेकर मौसम विभाग द्वारा जारी वार्षिक आंकड़ों में विगत वर्षों में अनुमानित समय 17 सितंबर हुआ करता था। इस लिहाज से मानसून समय से दो दिन पहले ही विदा होने की ओर आ चुका है। मानसून के बदले हुए रुख को देखते हुए मौसम विभाग ने भी अब 2025 के लिए मानसून के वापसी का चार्ट जारी कर दिया है। जिसमें बीते चौबीस घंटों में मानसून के राजस्थान के रास्ते वापसी का तात्कालिक मानचित्र शामिल है।
अनुमान लगाया जा रहा है कि यूपी में पूर्वांचल से मानसून की विदायी का जो समय पांच अक्टूबर हुआ करता था वह इस बार नवरात्र की विदायी यानी दो अक्टूबर हो सकता है। जबकि पश्चिम यूपी में मानसून की विदायी का समय 25 सितंबर हुआ करता था वह अब 22- 23 सितंबर हो सकता है। इस लिहाज से मानसून यूपी में समय के पूर्व ही विदा हो सकता है।
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हालांकि दूसरी ओर मौसम विभाग ने मानसून की विदायी के पूर्व आर्द्रता में इजाफा होने पर पर्याप्त बारिश का नवरात्र व पूर्व में जो अनुमान जाहिर किया था वह उत्तर भारत में पर्याप्त नजर आ रहा है। अनुमानों के अनुसार मानसून विदायी के पूर्व ही औसत के करीब या औसत से अधिक बारिश करा सकता है।
मौसम विभाग के अनुमानों के अनुरूप ही इस बार समय के पूर्व आए मानसून ने कई जगहों पर औसत से भी अधिक बारिश कराई है। जिसकी वजह से उत्तर भारत में इस बार गंगा और यमुना ही नहीं बल्कि सरयू नदी में भी तीन से चार बार बाढ़ की स्थितियां नजर आई हैं। पहाड़ों पर भारी बारिश का असर मैदानी क्षेत्रों में भी नजर आया और पहाड़ों की बारिश से मैदानी क्षेत्र जलाजल नजर आए।
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इसके अलावा पूर्वांचल में सोनभद्र, चंदौली और मीरजापुर में बने बांधों से भी कई बार पानी छोड़ने की नौबत आई। अकेले रिहंद बांध में भी तीन से चार बार कई फाटकों को वर्षों बाद पानी छोड़ने के लिए खोलने की नौबत आई है। इसकी वजह से सिचाई विभाग को भी इस मानसूनी सत्र में काफी मशक्कत झेलनी पड़ी है।
इसकी वजह से भी निचले इलाकों में कई बार प्रशासनिक अलर्ट जारी कर बाढ़ की आशंका जताते हुए तटवर्ती लोगों को अलर्ट करना पड़ा है। दूसरी ओर वाराणसी में माह भर से अधिक समय तक नौका संचालन भी बाढ़ की वजह से बंद करना पड़ा है। इसकी वजह से पर्यटन को भी व्यापक नुकसान झेलना पड़ा है।
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