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    दैनिक जागरण की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने प्रस्तुत कीं हास्य रचनाएं, बरसाया वीर रस

    Updated: Mon, 01 Sep 2025 01:42 PM (IST)

    दैनिक जागरण और हेरिटेज आईएमएस हॉस्पिटल द्वारा वाराणसी में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवियों ने वीर रस हास्य और व्यंग्य से श्रोताओं को बांधे रखा। कमल आग्नेय ने देशभक्ति से भरी कविताएँ सुनाईं तो विकास बौखल ने हास्य से मनोरंजन किया। मयंक बनारसी ने देश को मंदिर मानकर रचना प्रस्तुत की।

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    काव्यमय हो उठा हर दिल जब सजी कवियों की महफिल।

    जागरण संवाददाता वाराणसी। दैनिक जागरण व हेरिटेज आइएमएस हास्पिटल की ओर से चौकाघाट स्थित पद्मविभूषण गिरिजा देवी सांस्कृतिक संकुल में रविवार को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें उपस्थित कवियों ने वीर रस, हास्य रस और व्यंग्य का ऐसा रस घोला की वहां उपस्थित हर कोई इससे सराबोर हो गया।

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    कमल आग्नेय ने भरा वीर रस का भाव

    लखनऊ के कवि कमल आग्नेय की वीर रस की रचना श्रोताओं तक पहुंची तो वह देशभक्ति के भाव से भर उठे। उन्होंने सुनाया ‘चंद्रयान से आगे बढ़ कर सूर्ययान का भारत है। डर–डर के जीना छोड़ दिया ये स्वाभिमान का भारत है। विश्वगुरु के चरणों में सबको आना होगा क्योंकि, समस्याओं की दुनिया है, पर समाधान का भारत है।’ इस पर अभिभूत होकर श्रोता भारत माता की जय-जयकार करने लगे।

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    उन्होंने मातृभूमि की रक्षा में प्राण की आहूति देने वाले बलिदानी जवान का निष्प्राण शरीर उसकी मां के सामने आता है तो उनके बीच के आंतरिक संवाद की भावपूर्ण प्रस्तुत करते हुए सुनाया- ‘मां तुम्हीं ने भेज दिया है मातृभूमि की सेवा में, निष्प्राण नयन निज लाडले के देखकर सिंहनी के रोने का कोई विधान नहीं है। यह तिंरगा सीमा पार फहरे न तब तक पीछे आना सैनिक की पहचान नहीं है। यूं तो मेरी देह पर घाव हैं हजार किंतु पीठ पर मेरी एक भी निशान नहीं है।’

    इन पंक्तियों ने श्रोताओं के हृदय में वेदना तो उत्पन्न की साथ ही देश पर न्योछावर होने वाले वीर जवानों के प्रति सम्मान के भाव से भर दिया। देश के वीर क्रांतिकारियों के बलिदान को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया-‘नारियों के जेवर के नर के कलेवर नेता जी के सुभाष जैसे तेवर को क्या मिला, शूली पर झूली थी जवानी की कहानी तब बलिदानी दुर्गा के देवर को क्या मिला। वह अपने ही बेटे शरणार्थी हुए यहां कश्मीर की क्यारियों में केसर को क्या मिला और जिन्ना को मिला था पाक नेहरू को हिंद, कोई तो बताए चंद्रशेखर को क्या मिला?’

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    दिलों में उतरा बौखल का अंदाज

    बाराबंकी के हास्य कवि विकास बौखल से हुई। अपनी रचनाओं के प्रस्तुति के विशेष अंदाज के लिए मशहूर इस कवि ने अपनी ख्याति के अनुसार ही अपनी रचनाओं से लोगों का खूब मनोरंजन किया। ‘कोरोना पेशेंट भर्ती होने जा रहा था, हाथ जोड़ डाक्टर से बोल पड़ा है मरीज, आप मेरे सपने हसीन कर दीजिए, जीवन हमारा यहां नीरस सा हो गया है। इसे थोड़ा सा मीठा नमकीन कर दीजिए, मुझको कोरोना का पता न चले इसलिए जिसे कहूं उसके अधीन कर दीजिए। जिस वार्ड में कनिका कपूर भर्ती है हमको उसी में क्वरंटीन कर दीजिए।’ हास्य की अगली कड़ी में उनकी प्रस्तुति रही- ‘बाबा रामदेव बोले बूढ़ों को शिकायत है हम बाबा जी का च्यवनप्राश नहीं खाएंगे। सालभर हो गया मंगाते और खाते हुए लाभ तो नहीं है अब न मंगाएंगे तो हमने कहा बाबा एक बदलाव कर देखो वही बूढ़े दौड़-दौड़कर आएंगे। अपनी हटाके फोटो मल्लिका की जो लगा दो च्यवनप्राश छोड़ो बूढे डिब्बा चाट जाएंगे।’

    भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को हास्य विनोद का रूप दिया- ‘हिंद वाले शेर पाक जाकर जो दहाड़ देंगे, गीदड़ तुम्हारे बेचारे मर जाएंगे। दल एंटी रोमियो भेज देंगे योगी जी तो सानिया के देवर कुवांरे मर जाएंगे। राधे मां जो लेकर त्रिशूल सीमा पार गईं गोदी में उठा-उठाकर सारे मर जाएंगे। पाक जाकर राहुल ने आंख मार दी अगर शहबाज मियां बिन मारे मर जाएंगे।’ इसके अलावा बौखल ने आधुनिक युग के प्रेम का अलग ही रंग प्रस्तुत किया-‘फेसबुक पर फेस बुक किया उसका तो मन के बगीचे में मयूरी बन नाची है। प्रोफाइल में पढ़ी-लिखी थी पटना से और जाब की जगह डाली झारखंड रांची है। चैटिंग से बात जब धीरे-धीरे आगे बढ़ी इतनी बढ़ी की टूटी प्रीत मेरी सांची है। ढाई साल प्रेमिका समझ बात जिससे की बात में पता चला कि पड़ोसी वाली चाची है।’ वे कवियों को भी अपनी कविता में ले आए- ‘मैंने कहा कविराज एक पुण्य कार्य हेतु करके विचार मैंने ये मन में यह ठाना है।

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    दादा जी की पुण्यतिथि पर काव्य गोष्ठी कराकर के गुरुदेव मुझे आपको बुलाना है। कविराज बोले डेट आज ही बता दो मेरी व्यस्तता और कई जगहों पर जाना है। मैंने कहा अभी मेरे दादा जी मरे नहीं मरने दो पुण्यतिथि होगी तब आना है।’ अगली प्रस्तुति ने सबको ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया-‘प्रेमी प्रेमिका का जोर-जोर से था कूट रहा, शायद रूठा था उसके किसी चाल से। मैंने कहा आप इसे बेवजह कूट रहे कुछ नहीं मिलता है झगड़ा बवाल से। उसने कहा कि हट जाइए जनाब आज इसे कोई छुड़ा सकता नहीं काल से।फोन का रिचार्ज मुझसे कराती है और रात-रात भर बात करती है रामलाल से।‘ अगली प्रस्तुति रही - ‘किसी खंजर से ना तलवार से जोड़ा जाए। सारी दुनिया को चलो प्यार से जोड़ा जाए। ये किसी शख्स को दोबारा ना मिलने पाए, प्यार के रोग को आधार से जोड़ा जाए।’

    बनारस के मयंक को मिला मंच

    सबसे युवा कवि वाराणसी के मयंक बनारसी ने भारत देश को एक मंदिर मानकर अपनी रचना को प्रस्तुत किया। इसके माध्यम से देश के प्रति अपनी आस्था व भाव को शब्दों में पिरोया-‘सारा भारत एक मंदिर है पूर्वजों मे इसे बनाया है, स्त्रियां यहां कि पवित्र सब जग में इज्जत पाया है। निर्माण में अपने भारत के स्वेच्छा अपना जीवन दान किया। बलिदान धर्म उत्साह त्याग से मंदिर का निर्माण किया, दशों दिशा गूंजी टन टन की टंकारों से, कानों में शब्द आ पाता भक्तों के जयकारों से। यह वह मंदिर है जिसमें निज सभी तरह का मेला है, प्रतिपल आता जय जय गाता नवभक्तों का रेला है। जब यह मंदिर बना न आया यहां ईंट चूना गारा। इसे बनाने में निर्माताओं ने अपना तन वारा, अस्थि का चूर्ण यहां पर चूना गया बनाया था। उसका गारा करने के हित में उसमें रक्त मिलाया था।’

    शम्भू की रचनाओं से सम्मेलन को मिला शिखर

    प्रसिद्ध कवि बिहार के शम्भू शिखर की प्रस्तुति ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। उन्होंने सुनाया - ‘मनहूस से चेहरों को सदा डांटता हूं मैं। ग़म की बदलियों में भी खुशी छांटता हूं मैं। भाता नहीं मुझको कोई चेहरा उदास सा। बस इसलिए ही सबको हंसी बांटता हूं मैं।’ उनकी अगली रचना रही-‘पोशाक पुरानी लिए अभिनव हूं मनाओ। नफ़रत में भी मैं प्यार का कलरव हूं मनाओ। रोने के लिए और भी महफ़िल है जहां में। शम्भू शिखर मैं हास्य का उत्सव हूं मनाओ।’ उन्होंने इस प्रस्तुति से श्रोताओं को जोड़ा-‘मित्र मिले हम चार एक बोला सुन यार जोश के बिना तो ये जवानी सूनी-सूनी है। दूजा बोला जोश से ही काम चलता नहीं है हौसला जो ना हो तो रवानी सूनी-सूनी है। तीजा बोला मैं तो बस एक बात मानता हूं प्यार के बिना सभी कहानी सूनी- सूनी है। मैंने कहा प्यार जोश हौसला सही है पर हंसी ना हो तो ये ज़िन्दगानी सूनी- सूनी है।’

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    जानदार रही फौजदार की प्रस्तुतियां

    मशहूर हास्य कवि प्रताप फौजदार ने भी अपनी प्रस्तुतियों से लोगों को खूब हंसाया- ‘क्या कहता है धीरे-धीरे मेरा सूरज डूब रहा है?मेरा सूरज तो स्थिर है, तेरी धरती घूम रही है। प्यार सदा झुक कर मिलता है और अकड़ से नफ़रत मिलती, देख वहा पे, गगन झुका है धरती उसको चूम रही है। ’ उन्होंने प्रेमिका के मिजाज को कुछ ऐसे सामने रखा- ‘वो खबर नवीस मोहब्बत के अखबार से गाली देती है और जब उसके मन की कहता हूं तो प्यार से गाली देती है। आइ लव यू हिम्मत करके कहने को तो कह भी दूं लेकिन वह वंदे भारत की रफ्तार से गाली देती है।’

    संचालन में दिखी प्रवीण की प्रवीणता

    दुनिया के कई देशों में अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर चुके दिल्ली के कवि डा. प्रवीण शुक्ल ने संचालन की कमान संभाली। उनकी रचना रही- ‘खरे करता है सारे काम, कुछ खोटा नहीं करता। अहम का अपने चारों ओर, परकोटा नहीं करता। बड़ा है आदमी सच में वही किरदार से अपने। कभी जो सामने वाले का कद छोटा नहीं करता।’

    सुमन की गायकी के कायल हुए लोग

    लखनऊ की कवित्री डा. सुमन दुबे ने सुनाया-‘उड़ रही हूं मैं हवा में एक पंछी की तरह। आ बसा है दिल में कोई धड़कनों के द्वार से।’ उन्होंने सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन का आरंभ किया। उनके सुर और अंदाज ने हर एक को कायल किया।

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    कवि सम्मेलन की शुरुआत दैनिक जागरण के महाप्रबंधक मार्केटिंग पूर्वी उत्तर प्रदेश विशाल श्रीवास्तव, यूनिट हेड डा. अंकुर चड्ढा, संपादक संजय मिश्रा, डीजीएम मार्केटिंग विनय उपाध्याय ने दीप प्रज्जवलित कर किया। कवियों को अंगवस्त्र, स्मृति चिह्न व पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया। कवि सम्मेलन के को स्पांसर रायल मशाले, रोमा बिल्डर, जेआरएस ट्यूटोरियल्स, स्कूल आफ मैनेजमेंट साइंसेज (एसएमएस)

    सहयोगी हरे कृष्ण ज्वेलर्स, कन्हैया स्वर्ण कला केंद्र, कन्हैया लाल सर्राफ ट्रूसो, इंडिया ज्वेलर्स, स्वर्णाव्या, संतुष्टि सारीज, स्वामी अतुलानंद हिंदू महाविद्यालय, प्रज्ञा मदर एंड चाइल्ड केयर हास्पिटल, न्यू राजश्री स्वीट्स, श्री राजबंधू, न्यू वाराणसी पब्लिक स्कूल, सिक्स सेंट मल्टी कुजिन रेस्टोरेंट, अग्रसेन कन्या पीजी कालेज, यूनियन बैंक आफ इंडिया, सेंट्रल बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ बड़ौदा रहे।

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