जीएसटी की दर न घटती तो महंगा पड़ता उपवास, जानें कितना घट गया व्रत की सामग्री का भाव
वाराणसी के मेवा बाजार में जीएसटी दरों में कटौती का सकारात्मक असर दिखा है। प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा से त्योहारी सीजन में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें नियंत्रण में हैं। मखाना जो पहले बहुत महंगा था अब सामान्य स्तर पर आ गया है। अन्य मेवा और मसालों के दाम भी गिरे हैं जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिली है।

मुकेश चंद्र श्रीवास्तव, वाराणसी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए मनमाने टैरिफ के कारण आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर प्रभाव पड़ सकता था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लालकिले से जीएसटी दरों में कटौती की घोषणा ने स्थिति को सामान्य कर दिया है। अब व्रत की सामग्री में कमी से नवरात्र पर उपवास भारी नहीं पड़ेगा।
इस कटौती का विशेष प्रभाव मेवा बाजार पर पड़ा है। त्योहारी सीजन में यदि जीएसटी की दरें नहीं घटतीं, तो नवरात्र पर्व का उपवास भी महंगा हो जाता। हालांकि, ड्राइफ्रूट्स के रेट में कमी आई है, न कि बढ़ोत्तरी। एक समय मखाना का भाव आसमान छू रहा था, लेकिन अब यह सामान्य स्तर पर आ गया है। वहीं व्रत की थाली में सिंंघाड़ा, कुटटू के आटे की रोटी, पूड़ी पर भी जीएसटी का फायदा दिखेगा। जबकि डेरी के उत्पादों पर भी छूट ने व्रत में काफी राहत दी है।
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पूर्वांचल की प्रमुख मेवा-मसाला मंडी गोला दीनानाथ के कारोबारी राजेश केशरी ने बताया कि पहले मखाना का भाव 1500 से 1600 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया था, जो अब 1100 से 1200 रुपये प्रति किलो पर आ गया है। इसी प्रकार अन्य मेवा और मसालों के रेट में भी गिरावट आई है।
उन्होंने बताया कि काजू का भाव 800-1000 रुपये, बादाम 800 से 900 रुपये, किसमिस 400 से 500 रुपये, छुहाड़ा 200 से 300 रुपये, गरी 300 से 350 रुपये, चिरौंजी 1600 से 1700 रुपये, पोस्ता दाना 1300 से 1500 रुपये प्रति किलो है।
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वहीं, जीरा का भाव 300 रुपये, काली मिर्च 800-900 रुपये, छोटी इलाइची 3000-4000 रुपये, बड़ी इलाइची 2000-2200 रुपये, हल्दी 180-200 रुपये, धनिया 140 से 160 रुपये, लाल मिर्च 200 रुपये और लौंग का भाव 900-1600 रुपये प्रति किलो है।
केशरी ने यह भी बताया कि मखाना बोर्ड के गठन से मखाने के भाव में कमी आई है। हालांकि, दशहरा के समय कुछ सामग्रियों के भाव में वृद्धि हो सकती है। इस प्रकार, जीएसटी दरों में कटौती ने त्योहारी सीजन में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिली है। इस प्रकार, बाजार में स्थिरता और उपभोक्ताओं के लिए राहत की स्थिति बनी हुई है, जो आगामी त्योहारों के लिए सकारात्मक संकेत है।
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