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    वाराणसी में आवारा कुत्तों का आतंक, नसबंदी कार्यक्रम ठप होने से बढ़ गई दुश्‍वारी

    वाराणसी में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ रहा है जिससे नागरिक परेशान हैं। नसबंदी कार्यक्रम ठप होने से स्थिति और गंभीर हो गई है। नगर निगम ने एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर तो बनाया है लेकिन कुत्तों की नसबंदी की रफ्तार धीमी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद शेल्टर होम की डगर कठ‍िन है।

    By Ajay Krishna Srivastava Edited By: Abhishek sharma Updated: Sun, 24 Aug 2025 04:31 PM (IST)
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    आठ साल में महज 15953 आवारा कुत्तों की हुई नसबंदी

    जागरण संवाददाता, वाराणसी : शहरों में आवारा कुत्तों के हमले की घटना तेजी से बढ़ी है। सड़कों पर चुपचाप घात लगाए बैठे आवारा कुत्तों ने आम लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। ऐसे में आक्रामक व खूंखार कुत्तों को लेकर समाज की चिंता स्वभाविक है।

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    समाज की चिंता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट तक को आक्रामक व खूंखार कुत्तों को लेकर गाइड लाइन तक जारी करना पड़ा। वहीं स्थानीय निकाय आवारा कुत्ताें को लेकर अब तक गंभीर नहीं हैं। शहर में पांच माह से कुत्तों का नसबंदी (बंध्याकरण) ठप है। वहीं आठ साल में नगर निगम महज 15953 आवारा कुत्तों का ही नसबंदी करा सका है।

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    जबकि शहर में करीब 45,000 से अधिक कुत्ता होने का अनुमान है। इसमें दस हजार से अधिक पालतू कुत्ते होने की संभावना है। ऐसे में करीब 19000 आवारा कुत्तों की नसबंदी अब तक नहीं हो सकी है। यदि इसी रफ्तार शहर में कुत्तों की नसबंदी होती रही तो 19000 आवारा कुत्तों की नसबंदी करने में नगर निगम को नौ साल लगेगा। वहीं आठ साल में कुत्तों की जनसंख्या दोगुनी हो जाएगी।

    भोजूबीर के शमीम अहमद बताते हैं कि सुबह बच्चा स्कूल जाता है तो हम साथ चलते हैं। डर लगता है कि कहीं कुत्ते दौड़ा न लें। इसी तरह प्रताप नगर कालाेनी के विजय कुमार कहते हैं कि कुत्तों के चक्कर में दो बार बाइक से गिरते–गिरते बचे। झुंड में कुत्ते इतने खतरनाक हो जाते हैं कि इंसान कुछ समझ ही नहीं पाता।

    महाबीर मंदिर के अजय व टकटकपुर के सौरभ ने सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में शेल्टर होम बनाने को कहा है। ऐसे में नगर निगम को पिंजरे (केज) लगाने होंगे ताकि खूंखार कुत्तों को तुरंत पकड़ा जा सके। हालांकि इसके लिए नगर निगम न कोई तैयारी दिखती है, न ठोस योजना।

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    एक दिन में 30 से अधिक कुत्तों की नसबंदी करने की सुविधा

    नगर निगम ने आवारा कुत्तों के नसबंदी (बंध्याकरण) ऐढ़े में 1.82 करोड़ रुपये की लागत एक एकड़ भूमि में एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर का निर्माण कराया है। जी-प्लस वन के भूतल पर पांच कमरें, दो किचेन, दो शौचालय, बेसिंग रूम बनाया गया है। जबकि प्रथम तल पर भी दो कमरे, किचेन व टायलेट की सुविधा है। इसमें कुत्तों के लिए आपरेशन थियेटर (ओटी), फीडिंग रूम, वैक्सिनेशन सेंटर, पैथोलाजी, एक्सरे सहित अन्य सुविधाएं है। सेंटर में एक दिन में 30 से अधिक कुत्तों की नसबंदी करने की सुविधा है। इसके लिए मुख्य भवन के सामने कुत्तों को रखने के लिए 32 कठघरों बनाए गए हैं। उसके सामने दस बड़े कठघरा बना है ताकि नसबंदी के बाद इसमें रखा जा सके। पशु कल्याण एवं चिकित्सा अधिकारी डा. संतोष पाल ने बताया कि एबीसी के संचालन के लिए टेंडर किया जा चुका है। सितंबर के प्रथम सप्ताह से कुत्तों की नसबंदी शुरू कराने का लक्ष्य है।

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    शेल्टर होम के लिए जगह चिन्हित करने में जुटा नगर निगम

    सुप्रीम कोर्ट ने आक्रामक व खूंखार कुत्तों के लिए शेल्टर होम और पिंजरे बनाने का आदेश दिया है। इसे देखते हुए नगर निगम दो हजार कुत्तों को एक साथ रखने के लिए शेल्टर होम बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए जमीन भी चिन्हित की जा रही है। महापौर अशोक कुमार तिवारी ने बताया कि पशु कल्याण एवं चिकित्सा अधिकारी को प्रस्ताव निर्देश दिया गया है ताकि कार्यकारिणी व सदन में विमर्श कर अंतिम रूप दिया जा सके।

    वर्षवार नसबंदी होने वाले कुत्तों की संख्या इस प्रकार है।

    2017-18 : 2073वर्षवार नसबंदी होने वाले कुत्तों की संख्या इस प्रकार है।

    2017-18 : 2073

    2018-19 : 1889

    2019-20 : 2786

    2020-21 : शून्य

    2021-22 : 2157

    2022-23 : 1881

    2023-24 : 1762

    2024-25 : 3305

    2018-19 : 1889

    2019-20 : 2786

    2020-21 : शून्य

    2021-22 : 2157

    2022-23 : 1881

    2023-24 : 1762

    2024-25 : 3305

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