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भूतभावन भगवान शिव की नगरी काशी में झूमकर निकले शिवभक्‍त, शिवबरात में झलकी आस्‍था

भूतभावन भगवान शिव की नगरी काशी में महा‍शिवरात्रि के मौके पर औघड़दानी पर आधारित झांकियों ने जहां लोगों का मन मोह लिया वहीं सुबह शिवालयों में दर्शन पूजन के बाद दोपहर में शिव बरात में स्‍वांंगधरे शिव गणों ने काशी को बम बम कर दिया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 01:17 PM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 02:29 PM (IST)
दर्शन पूजन के बाद दोपहर में शिव बरात में स्‍वांंग धरे शिव गणों ने काशी को बम बम कर दिया।

वाराणसी, जेएनएन। भूतभावन भगवान शिव की नगरी काशी में महा‍शिवरात्रि के मौके पर औघड़दानी पर आधारित झांकियों ने जहां लोगों का मन मोह लिया वहीं सुबह शिवालयों में दर्शन पूजन के बाद दोपहर में शिव बरात में स्‍वांंग धरे शिव गणों ने काशी को बम-बम कर दिया। भूत प्रेत और शिव के गण का रूप धरे लोगों ने बाराती का रूप धरा तो दोपहर में शिवबरात की झांकियों ने भी लोगों का मन मोह लिया। शिवभक्‍तों से काशी की गली और घाट से लेकर बाबा दरबार तक आस्‍था गुलजार रही। वहींं दोपहर एक बजे तिल भाण्डेश्वर महादेव मंदिर से निकलने वाले शिवबरात की ताशा पार्टी की धुन ने लोगों को भाव विभोर कर दिया। 

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विभिन्‍न शिव समितियों की ओर से सुबह से ही शिव बरात पर विभिन्‍न थीम पर आधारित झांकियों को तैयार करने का क्रम शुरू हुआ और दोपहर में शिवभक्‍तों के साथ भगवान शिव के गणों का रूप धरकर उनके भक्‍तों ने धूनी रमाई तो काशी हर हर महादेव के उद्षोष से गूंज उठी। बाबा के गीतों संग नाचते गाते शिवभक्‍तों की आस्‍था का कोई ओर छोर ही न रहा। शिव की बरात में किसी ने भस्‍म लगाया तो किसी ने स्‍वांग धर कर उनके अनन्‍य भक्‍त होने की सुबूत पेशकर औघड़दानी को शिवमय कर दिया। विभिन्‍न मठों और मंदिरों से निकलने वाली शिव बरातों में इस बार कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच काफी सर्तकता भी बरती जा रही है।  

औघड़दानी और भगवान शिव की नगरी काशी में महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान शिव और पार्वती के विवाह की परंपरा का निर्वहन करने के साथ ही सुबह शिवालयों में जहां जलाभिषेक की परंपरा का निर्वहन होता है वहीं दोपहर में शिव बरात और झांकियों के एक एक कर निकलने की सदियों की परंपरा शुरू होते ही काशी का हर क्षेत्र शिव की आस्‍था में डूब जाता है। झांकियों के साथ शिवगणों की अनोखी साज सज्‍जा इन आयोजनों की विशेषता होती है। भगवान शिव के विवाह के बाद ही काशी पूरी तरह होलियाने मूूड में आती है।


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