काशी विश्वनाथ मंदिर में चंद्रयान अभियान में शामिल इसरो के वैज्ञानिकों ने की पूजा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन और रुद्राभिषेक किया। चंद्रयान अभियान में शामिल वैज्ञानिकों ने भगवान अविमुक्तेश्वर की पूजा की और मंदिर न्यास को चंद्रयान की प्रतिकृति भेंट की जो संग्रहालय में प्रदर्शित की जाएगी। इस कार्यक्रम ने आधुनिक विज्ञान और प्राचीन भारतीय संस्कृति के संगम को दर्शाया।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने आधुनिक विज्ञान की उत्कृष्टता के साथ भगवान श्री काशी विश्वनाथ के समक्ष श्रद्धा पूर्वक अपनी प्रज्ञा की आराधना की। इसरो का यह दल प्रातः काल श्री काशी विश्वनाथ जी के दर्शन कर अनुष्ठान की शुरुआत की।
#WATCH | Varanasi, Uttar Pradesh | CEO of Kashi Vishwanath Temple, Vishwa Bhushan Mishra, says, "ISRO's team of 16 scientists associated with Chandrayaan visited Kashi Vishwanath Temple. The scientists also presented a model of Chandrayaan here. After having darshan of Lord… pic.twitter.com/wPjLsYCMRa
— ANI (@ANI) August 9, 2025
बाबा का दर्शन पूजन करने के बाद, भगवान अविमुक्तेश्वर के विग्रह पर विधिपूर्वक रुद्राभिषेक किया गया। इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए काशी आए इसरो वैज्ञानिकों का यह दल भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के चंद्रयान अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
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भारतीय शास्त्रों में चंद्र को धारण करने वाले महादेव को सोमनाथ और चंद्रमौलेश्वर जैसे नामों से भी जाना जाता है। सनातन परंपरा में चंद्र दर्शन को महादेव के साक्षात दर्शन के समान माना जाता है। इस प्रकार, आधुनिक विज्ञान के मेधावी वैज्ञानिकों का प्राच्य प्रतीकों के समक्ष यह श्रद्धा प्रकट करना भारतीय संस्कृति के प्राचीनतम सद्गुणों को दर्शाता है, जिसमें अहंकार मुक्त ज्ञान साधना का महत्व है।
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अनुष्ठान के बाद इसरो वैज्ञानिकों ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को चंद्रयान की प्रतिकृति भेंट की। यह अमूल्य भेंट श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रस्तावित संग्रहालय में प्रदर्शन हेतु स्थापित की जाएगी।
आज भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान संगठन इसरो के वैज्ञानिक दल ने आधुनिकतम विज्ञान की मेधा के साथ भगवान श्री काशी विश्वनाथ के समक्ष श्रद्धानवत मानवीय प्रज्ञा की आराधना संपन्न की। इसरो दल ने सर्वप्रथम प्रातः काल श्री काशी विश्वनाथ जी के दर्शन प्राप्त कर अनुष्ठान प्रारंभ किया तत्पश्चात… pic.twitter.com/44ExPN7awJ
— Shri Kashi Vishwanath Temple Trust (@ShriVishwanath) August 9, 2025
इस कार्यक्रम ने न केवल भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान की उपलब्धियों को दर्शाया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि आधुनिकता और प्राचीनता का संगम संभव है। इसरो के वैज्ञानिकों ने अपनी श्रद्धा और समर्पण के साथ इस अनुष्ठान को संपन्न किया, जो भारतीय संस्कृति की गहराई को उजागर करता है।
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इस प्रकार, इसरो का यह प्रयास न केवल विज्ञान के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा के प्रति भी एक सम्मान का प्रतीक है। वैज्ञानिकों ने यह दिखाया कि वे अपनी जड़ों को नहीं भूलते, बल्कि उन्हें अपने कार्यों में समाहित करते हैं।
इस कार्यक्रम ने यह संदेश भी दिया कि विज्ञान और आध्यात्मिकता का संगम एक नई ऊंचाई पर पहुंच सकता है, जो भारतीय समाज के लिए प्रेरणादायक है। इसरो का यह कदम निश्चित रूप से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक नई प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
वैज्ञानिकों की रही मौजूदगी
इस दौरान दिनेश कुमार सिंह डायरेक्टर, ह्यूमन स्पेस सेन्टर, पंकज किल्लेदार, डायरेक्टर, मास्टर कंट्रोल फेसिलिटी, आर नादागौड़ा, एसोसिएट डायरेक्टर यूआर राव सैटेलाइट सेन्टर, के शाम्बाय्य, डिप्टी डायरेक्टर लिक्विड प्रोपल्जन सिस्टम सेन्टर, गुरु मूर्ती डी, अरविन्द कुमार एम, संजीव कुमार, राधाकृष्ण, विनीत ज अ डी, आलोक कुमार झा, शशांक एस, अश्विन जी स, निक्की श्रीवास्तव, अजय अन्धिवाल, महेन्द्र बेहेरा, मंजुला आर आदि मौजूद रहे।
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