बीएचयू के दो हजार वृक्षों पर आइआइटी ने जमाया अधिकार, बागवानी इकाई का अतिक्रमण
वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित आइआइटी में पेड़ों की गिनती किए जाने की वजह से बात काफी बिगड़ गई। आइआइटी सामान्य प्रशासन के कुलसचिव ने बागवानी यूनिट के प्रोफेसर इंचार्ज को नियमों का पाठ पढ़ा दिया। इस बाबत बताया गया कि आइआइटी संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित स्वायत्त संस्थान है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय और आइआइटी के बीच सरहद की जंग शुरू होती दिख रही है। कई महीने से दोनों संस्थानों के बीच सुलग रीह चिंगारी अब शोला का रूप ले सकती है। कैंपस में पेड़ों की गणना किए जाने को लेकर दोनों संस्थान आमने-सामने आ गए हैं।
बीएचयू के बागवानी यूनिट के प्रोफेसर इंचार्ज को आइआइटी प्रशासन ने चेतावनी दी है। कहा कि वह उनके सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना उनके परिसर के पेड़ों को क्रमांकित नहीं करें, ऐसा कृत्य प्रशासनिक मानदंडों के विरुद्ध होगा। यूनिट प्रोफेसर इंंचार्ज को पत्र में चेताया गया है कि बागवानी इकाई के कर्मचारी उनके परिसर में अतिक्रमण नहीं करें। हुआ यूं कि पिछले दिनों डीएफओ वाराणसी की तरफ से बीएचयू परिसर में पेड़ों की संख्या और उनके रखरखाव से जुड़ी जानकारी मांगी गई थी।
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यूनिट की तरफ से आइआइटी समेत समूचे परिसर में पेड़ों की गिनती कराई गई लेकिन आइआइटी मेें पेड़ों की गिनती किए जाने की वजह से बात काफी बिगड़ गई। आइआइटी सामान्य प्रशासन के कुलसचिव ने बागवानी यूनिट के प्रोफेसर इंचार्ज को नियमों का पाठ पढ़ा दिया। कहा कि आइआइटी संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित स्वायत्त संस्थान है। इस अधिनियम की धारा 5बी के अनुसार सभी चल और अचल संपत्तियां संस्थान को हस्तांतरित मानी जाएंगी जबकि 5बी (बी) प्रौद्योगिकी संस्थान, बीएचयू की या उससे संबंधित सभी चल और अचल संपत्ति भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में निहित होगी। अधिनियम के प्रविधानों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक अनुमति के लिए डीएफओ वाराणसी से संपर्क करना अत्यंत उचित था।
विश्वविद्यालय में उद्यान विशेषज्ञ इकाई के माध्यम से ऐसा अनुरोध भेजने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि संस्थान परिसर में स्थित पेड़ ''''अचल संपत्ति'''' हैं। गंभीर चिंता का विषय है कि बागवानी इकाई के कर्मचारियों ने आइआइटी परिसर में अतिक्रमण किया है और संस्थान के अधिकारियों से पूर्व अनुमति या स्वीकृति लिए बिना सभी पेड़ों को क्रमांकित किया है।
यदि भविष्य में इन संपत्तियों से संबंधित कोई भी गतिविधि आइआइटी के सक्षम प्राधिकारी से उचित अनुमति लेकर संचालित की जाती है तो यह सराहनीय होगा। बागवानी इकाई की यह कार्रवाई अतिक्रमण और नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। मामले को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे। बागवानी यूनिट के प्राेफेसर इंचार्ज डा. सरफराज आलम ने बताया कि इस संबंध में पीआरओ और विवि के उच्चाधिकारियों से बात करनी चाहिए। वह इस संबंध में कुछ नहीं बोलेंगे। पीआरओ राजेश सिंह से बताया कि इस संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
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आइआइटी के पेड़ों की छटाई बीएचयू ही कराता रहा : प्रो. आनंद
उद्यान इकाई के पूर्व प्रोफेसर इंचार्ज प्रो. आनंद कुमार सिंह कहते हैं कि डीएफओ के निर्देश पर ही पेड़ों की गणना की गई थी। आइआइटी में करीब दो हजार पेड़ हैं जबकि बीएचयू परिसर में संख्या 10 हजार से अधिक है। वर्ष 2012 में आइआइटी बीएचयू से अलग हुआ लेकिन आज तक कभी कोई आपत्ति नहीं हुई। आइआइटी पेड़ों की छटाई भी उनकी इकाई से ही कराता रहा है। पेड़ों की गणना किए जाने को लेकर अब आइआइटी की तरफ से ऐसा पत्र लिखना गंभीर सवाल खड़ा करता है। बीएचयू संपूर्ण संस्थान है, आइआइटी अलग नहीं है।
आइआइटी के पेड़ों को लेकर बीएचयू का हस्तक्षेप ठीक नहीं
आइआइटी प्रशासन के संयुक्त कुलसचिव राजन कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बीएचयू एक्ट के अनुसार सभी चल व अचल संपत्ति आइआइटी को ट्रांसफर हो गई। ऐसे में बीएचयू का हस्तक्षेप ठीक नहीं है, उनके कर्मचारियोें को पेड़ों की गिनाई करने से पहले अनुमति लेनी चाहिए थी। संस्थान वन विभाग से अनुमति लेकर पेड़ों के विस्थापन और रखरखाव की व्यवस्था कर रहा है।
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