आपरेशन सिंदूर' में आतंकवादी कैंपों पर स्वदेशी रक्षा प्रणालियों से हुए सटीक हमले : डा. रेड्डी
शिक्षक दिवस पर आईआईटी बीएचयू में रिसर्च एंड इनोवेशन डे मनाया गया। रक्षा मंत्री के सलाहकार ने बताया कि भारतीय रक्षा तकनीक ने नए मुकाम हासिल किए हैं। ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल हुआ। आईआईटी बीएचयू में पेटेंट की संख्या बढ़ी है। यूपीसीडा और आईआईटी के बीच समझौता हुआ है। चार शिक्षकों को बेस्ट टीचर्स अवार्ड मिला।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। शिक्षक दिवस पर आइआइटी बीएचयू के ‘रिसर्च एंड इनोवेशन डे’ पर रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार ने बताया हि भारतीय रक्षा तकनीक ने नई ऊंंचाइयां हासिल की हैं। इस दौरान चार शिक्षकों को मिला विभिन्न श्रेणियों में बेस्ट टीचर्स अवार्ड भी दिया गया।
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) के पूर्व अध्यक्ष और रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डा. जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि ''आपरेशन सिंदूर'' में सफलता का श्रेय देश में विकसित ड्रोन, एंटी-ड्रोन तकनीक, ड्रोन आधारित हथियार, निगरानी और अन्य रक्षा प्रणालियों को जाता है।
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यह लड़ाई स्वदेशी तकनीक और आत्मनिर्भरता के दम पर लड़ी गई और देश की सुरक्षा सुनिश्चित हुई। आपरेशन सिंदूर में आतंकवादी कैंपों, बंकरों, वायु रक्षा प्रणालियों और वायु सेना के ठिकानों पर सटीक हमले किए गए। एंटी-ड्रोन, एंटी-यूएवी, एंटी-हेलीकाप्टर और एंटी-मिसाइल सिस्टम जैसी स्वदेशी विकसित प्रणालियों ने किसी भी खतरे को नाकाम किया।
वह शिक्षक दिवस पर बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में शुक्रवार को आइआइटी बीएचयू के ‘रिसर्च एंड इनोवेशन डे’ कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि तकनीकी क्षेत्र में भारत अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन रहा है। आइआइटी लगातार गुणवत्ता बढ़ाकर विश्व रैंकिंग में सुधार कर रहा है, जो भारत की तकनीकी व नवाचार क्षमता को दर्शाता है। विशिष्ट अतिथि बीएचयू के कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि बीते 15 वर्षों में विभिन्न नवाचार और शोध संरचनाओं में काम करने के अनुभव के आधार पर यह देखकर प्रसन्नता हुई कि आइआइटी बीएचयू द्वारा दाखिल और स्वीकृत पेटेंटों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है।
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आइआइटी देश को इस क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान करने में सक्षम संस्थान है। बीएचयू और आइआइटी समान परिसर में होने के कारण शोध और नवाचार में बड़ा सहयोग कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) और आइआइटी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया। यूपीसीडा के सीईओ मयूर माहेश्वरी ने कहा कि यह साझेदारी शैक्षणिक उत्कृष्टता को औद्योगिक विकास से जोड़ने और नवाचारों को उद्योग एवं युवा उद्यमियों तक पहुंचाने में मदद करेगी।
आइआइटी के चार शिक्षकों को चार अलग-अलग श्रेणियों में बेस्ट टीचर्स अवार्ड दिया गया, इनमें भौतिकी विभाग के प्रो. प्रभाकर सिंह को यूजी प्रथम वर्ष श्रेणी में, स्कूल आफ मैटेरियल्स साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर डा. आशीष कुमार मिश्रा को पीजी कक्षाओं की श्रेणी में पुरस्कृत किया गया। रसायन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. साम्या बनर्जी को यूजी विज्ञान व मानविकी (द्वितीय से चतुर्थ वर्ष) श्रेणी में यह सम्मान मिला।
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विद्युत इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. संतोष कुमार सिंह को यूजी इंजीनियरिंग (द्वितीय से चतुर्थ वर्ष) श्रेणी में पुरस्कृत किया गया। निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा कि शोध उत्पादन बढ़ाने के लिए शोधार्थियों और अध्यापकों की संख्या बढ़ाना आवश्यक है। उच्च रैंकिंग के लिए नहीं बल्कि उत्कृष्टता के लिए कार्य करना चाहिए। अधिष्ठाता (आरएंडडी) प्रो. राजेश कुमार ने कहा कि 2014 से अब तक संस्थान ने 493 पेटेंट दर्ज किए, जिनमें से 410 प्रकाशित हुए।
243 स्वीकृत और 12 तकनीकें उद्योग में सफलतापूर्वक स्थानांतरित की गईं। जीआइसी स्टार्टअप सीड ग्रांट अवार्ड का शुभारंभ डा. एमके मेशराम द्वारा किया गया। लगभग 100 रिसर्च पोस्टर और 58 ग्रांटेड पेटेंट की प्रदर्शनी आयोजित हुई और पेटेंट प्राप्त शिक्षकों का सम्मान किया गया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. आभा मिश्रा और संचालन डा. सूर्य देव यादव और डा. काव्या ने किया।
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