Flood in Kashi : वाराणसी में चेतावनी बिंंदु पार कर खतरा निशान के करीब जा पहुंचा गंगा का जलस्तर
वाराणसी में गंगा का जलस्तर चौथी बार चेतावनी बिंदु को पार करने के बाद स्थिर हो गया है जो खतरे के निशान से 39 सेमी नीचे है। जलस्तर स्थिर होने से बाढ़ के कम होने की उम्मीद है। बाढ़ से तीन तहसीलों के 90 गांव और शहर के 28 मोहल्ले प्रभावित हुए हैं।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी में चौथी बार चेतावनी बिंदु को पार करने के बाद गंगा का रुख अब तल्ख हो चुका है। पलट प्रवाह से निचले वरुणा के तटवर्ती मोहल्लों में पानी भरने लगा है। हजारों लोग पलायन कर सुरक्षित स्थान की ओर रुख कर चुके हैं। इसकी वजह से राहत केंद्रों पर भी दबाव की स्थिति है।
चार दिनों से लगातार बढ़ रहा गंगा का जलस्तर बुधवार की सुबह स्थिर हो गया। हालांकि पानी का स्थिर होना दरअसल नए क्षेत्रों में प्रसार होने की ही सूरत बयान करता है। मगर इसकी वजह से जहां निचले इलाकों में बाढ़ का पानी फैलने से लोगों को चिंंता हो रही है वहीं प्रशासन ने भी नए सिरे से जिम्मेदारियों को संभाल कर राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है। निचले इलाकों में लोगों को अलर्ट कर सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है तो लोग खुद भी पलायन कर रहे हैं। इस वर्ष चौथी बार बाढ़ की सूरत होने से तटवर्ती इलाकों में चिंंता का माहौल है।
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हालांकि सुखद यह रहा कि मंगलवार तक लगातार बढ़ाव के बाद जलस्तर खतरा निशान से 39 सेमी नीचे तक पहुंचने के बाद स्थिर हो गया है। जलस्तर के स्थिर होने की दशा में लोगों के मन में बाढ़ के कम होने की आस जगी है। गंगा का जलस्तर सुबह आठ बजे तक 70.83 मीटर पहुंचकर स्थिर बना हुआ है जो चेतावनी बिंदु 57 सेमी ऊपर है। गंगा में चौथी बार आई बाढ़ से तीन तहसीलों के 90 गांव व शहर के 28 मुहल्ले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं।
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इस बार की बाढ़ के चलते 1800 से अधिक परिवाराें के आठ हजार से अधिक लोग अब तक बेघर हो चुके हैं। 8124 किसानों की 2166.131 हेक्टेयर फसल डूबी हैं। इनमें से 1006 परिवारों के 4701 लोगों ने बाढ़ राहत शिविरों में तो 624 परिवारों के 3346 लोगों ने अपने परिचिताें-रिश्तेदारों के यहां सुरक्षित ठिकानों पर शरण ली है। 8124 किसानों की 2166.131 हेक्टेयर फसल डूब चुकी है। प्रशासन की ओर से एनडीआरएफ, जल पुलिस व पीएसी की 199 नावें व एनडीआरएफ की छह टीमें बचाव कार्य में उतार दी गई हैं। अब तक कुल 24 बाढ़ राहत शिविर सक्रिय रूप से चल रहे हैं।
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