रामगुलाम परिवार का बिहार के हरिगांव से मारीशस के प्रधानमंत्री तक सफर, मारीशस की आजादी में है विशेष योगदान
मारीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीनचंद्र रामगुलाम 10 सितंबर को काशी यात्रा पर आ रहे हैं। वे PM मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। उनका परिवार बिहार के भोजपुर से है। उनके दादा 1896 में गिरमिटिया मजदूर के रूप में मारीशस गए थे। उनके परिवार का मारीशस की आजादी में बड़ा योगदान रहा।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। अफ्रीकी देश मारीशस के प्रधानमंत्री डा. नवीनचंद्र राम गुलाम तीन दिवसीय काशी यात्रा पर 10 सितंबर को आ रहे हैं। इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ 11 सितंबर को द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। डा. रामगुलाम के परिवार का संबंध भोजपुर-आरा, बिहार के ग्राम हरिगांव से है।
मारीशस 12 लाख आबादी वाला छोटा सा देश है। अंग्रेजों ने मारीशस पर कब्जा के बाद भारत से मजदूरों को मारीशस ले जाना शुरू किया। बीएचयू में भोजपूरी अध्ययन केंद्र के संस्थापक समन्वयक प्रो. सदानंद शाही बताते हैं कि 1896 में बिहार के भोजपुर जिले के हरिगांव से 18 वर्षीय मोहित रामगुलाम नामक एक शख्स भी गिरमिटिया मजदूर के रूप में मारीशस गया।
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मोहित ने मजदूर के रूप में काम किया बाद में शूगर इस्टेट में नौकरी करने लगे। उन्होंने बासमती नामक महिला से वहीं शादी कर ली। दो साल बाद उनके बेटे शिवसागर का जन्म हुआ। मोहित ने मारीशस में भोजपुरी भाषा और हिंदू धर्म के रिवाजों के संरक्षण की पहल की। हिंदुओं को जोड़ना शुरू किया। 12 साल में पिता मोहित के निधन के बाद शिवसागर ने स्कूल में दाखिला ले लिया। बाद में अपने भाई की मदद से इंग्लैंड पढ़ने चले गए।
इंग्लैंड में शिवसागर की मुलाकात भारत की आजादी की लड़ाई लड़ रहे सेनानियों से हुई। शिवसागर उनसे बहुत प्रभावित हुए। 1935 में मारीशस लौटे और मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई और वोटिंग राइट के लिए मारीशस लेबर पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाई। धीरे-धीरे पूरे मारीशस में शिवसागर हीरो की तरह उभर गए। 12 मार्च 1968 को मारीशस को आजादी मिली जिसमें शिवसागर की अहम भूमिका रही। वह पहले प्रधानमंत्री बने।
लोगों में वह राष्ट्रपिता और बाद में अंकल के रूप में प्रचलित हुए। 1982 के आम चुनावों में उनकी पार्टी सभी सीट हार गई। शिवसागर भी अपनी सीट हार गए। शिवसागर के निधन के बाद उनके बेटे डा. नवीनचंद्र रामगुलाम ने सियासत संभाली। नवीनचंद्र 1995, 2005 में प्रधानमंत्री बने। 2024 में वो तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। उनके प्रधानमंत्री बनने पर प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें बधाई देते हुए भारत आने का न्यौता दिया है।
काशी- मारीशस का है गहरा नाता
प्रो. शाही का कहना है कि मारीशस और काशी का भी गहरा नाता है। बीएचयू में भाेजपूरी अध्ययन केंद्र का लोकार्पण मारीशस के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय अनिरुद्ध जगन्नाथ ने किया था। बीएचयू में एक शिवसागर चेयर के स्थापना की भी बात हुई थी जो मारीशस के गांधी के रूप में जाने जाते हैं। शिवसागर राम गुलाम का स्टेचू पटना के गांधी मैदान में लगा है और एक मार्ग का नाम भी है।
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