Varanasi News: गंगा में मजबूत होगा सुरक्षा तंत्र, पांच हाई स्पीड नावें रखेंगी निगरानी; इन सुविधाओं से होगी लैस
वाराणसी में गंगा में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पांच अत्याधुनिक हाई-स्पीड बोट उतारी जाएंगी। इन बोट्स की मदद से पुलिस गंगा में होने वाली गतिविधियों पर कड़ी नजर रख सकेगी और जरूरत पड़ने पर तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन चला सकेगी। इन बोट्स की कीमत करीब 30 लाख रुपये है और ये नमोघाट से असि घाट के बीच की दूरी सिर्फ सात मिनट में तय कर सकती हैं।

राकेश श्रीवास्तव, जागरण, वाराणसी। गंगा में पुलिस की निगरानी का बेड़ा जल्द ही मजबूत होगा। सरकार ने गंगा में रफ्तार भरने वाली और अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित पांच नावें उतारने की मंजूरी दे दी है। इसके लिए करीब-करीब डेढ़ करोड़ रुपये का बजट नियत किया गया है। सबकुछ ठीक रहा तो दो माह में नावें गंगा में मोर्चे पर होंगी। एक-एक नाव की कीमत 30 लाख रुपये या इससे ज्यादा आंकी गई हैं।
नमोघाट से असि घाट तक सात मिनट में मोर्चेबंदी
गंगा में सामान्य अवसरों पर नमोघाट से लेकर असि घाट तक स्नानार्थियों की भीड़ रहती है। सात किलोमीटर की इस दूरी में राजघाट का मालवीय ब्रिज भी पड़ता है, जहां से कई बार आत्मघाती कदम उठाने के इरादे से लोग गंगा में छलांग लगा लिया करते हैं।
ऐसे में रफ्तार भरने वाली नाव पलक झपकते ही रेस्क्यू आपरेशन में पहुंचेंगी। विभिन्न स्नानों, उत्सवों में भी नाव से पुलिस मोर्चेंबंदी करेगी। नावें नमोघाट से असि घाट के बीच की दूरी सात मिनट में पूर्ण कर लेंगी।
एक्सक्यूजन बोट: स्रोत पुलिस
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स्वीकृत बोट (नावें) और उनकी खासियत
-पोंटून बोट : इसका उपयोग वाणिज्यिक और मनोरंजन दोनों में किया जाता है। पुलिस वीआइपी को जलमार्ग से एक से दूसरे स्थान पर सुरक्षित पहुंचाने के लिए करेगी।
पोंटून बोड : स्रोत पुलिस
-एक्सक्यूजन बोट : इस नाव का उपयोग अमूमन सैरसपाटा के लिए लोग करते हैं। पुलिस इसे अपनी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करेगी। एक्सक्यूजन का अर्थ ही घूमना-फिरना होता है।
एक्सक्यूजन बोट: स्रोत पुलिस
-स्पीड बोट : स्पीड बोट की खासियत पानी की सतह पर चलने की है। इस कारण बगल से गुजरने वाली छोटी नावों का परिचालन सुरक्षित तरीके से किया जा सकेगा।
स्पीड बोट: स्रोत पुलिस
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नंबर गेम
- 05 कुल नावें गंगा में एक साथ उतारी जाएंगी।
- 60 किमी. प्रति घंटा नावों की औसत रफ्तार।
- 50 हार्सपावर नावों की इंजन क्षमता।
- 12 लोग सवार हो पाएंगे।
- 84 कुल घाट निगरानी में रहेंगे।
बनारस स्टेशन का रेलगांव हुआ बंद
बनारस स्टेशन पर बने रेल गांव को इन दिनों यात्री नहीं मिल रहे हैं। तीन महीने से बंद पड़े रेल गांव के ठेकेदार आलोक यादव ने बताया कि उनके पास कुक के कर्मचारी न होने के कारण अपना सेट अप यहां हटा लिया है। कुक व कर्मचारी मिलने पर इसकी शुरुआत करेंगे।
रेलवे ने इसे स्टेशन पर इसलिए विकसित किया था कि यात्री अगर स्टेशन पहुंचे और उनकी ट्रेन छूट जाए या लेट हो तो उनके साथ सफर पर जाने वाले बच्चों को परेशानी न हो। वयस्क के साथ बच्चे किड्स जोन का आनंद ले सकें। लेकिन रेल गांव (किड्स जोन) बनने की कुछ दिन बाद ही बंद हो गया।
बनारस स्टेशन निदेशक लवलेश कुमार राय ने बताया कि स्टेशन पर विकसित रेल गांव को यात्रियों के लिए सुविधा उपलब्ध कराई गई थी लेकिन संचालक ने कुछ महीनों से यह व्यवस्था बंद कर दी है।
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