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    बीएचयू का लिपिक रिश्वतखोरी मामले में दोषी, सीबीआई कोर्ट से पांच साल की कैद और एक लाख रुपये का जुर्माना

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 02:44 PM (IST)

    सीबीआई अदालत ने बीएचयू के वरिष्ठ सहायक राजेश कुमार को रिश्वतखोरी के मामले में दोषी पाया है। उन पर एक स्वीपर की मृत्यु लाभ प्रक्रिया के लिए 75000 रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप था। अदालत ने उन्हें पांच साल की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। यह मामला 2016 में दर्ज किया गया था।

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    बीएचयू का लिपिक रिश्वतखोरी के मामले में सीबीआइ कोर्ट से दोषी करार।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। सीबीआई अदालत ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के स्वच्छता एवं सहायक सेवाओं के वरिष्ठ सहायक (लिपिक) राजेश कुमार को 30,000 रुपये की रिश्वतखोरी के मामले में दोषी ठहराते हुए पांच साल की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने से दंडित किया है। यह मामला वर्ष 2016 में दर्ज किया गया था, जब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने राजेश कुमार के खिलाफ कार्रवाई की थी।

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    आरोप के अनुसार, राजेश कुमार ने शिकायतकर्ता के पिता स्वर्गीय कल्लू से, जो बीएचयू में स्वीपर के पद पर कार्यरत थे और जिनकी सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई थी, उनके मृत्यु लाभ की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए 75,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। शिकायतकर्ता ने इस मामले की शिकायत सीबीआई से की, जिसके बाद एजेंसी ने जाल बिछाकर राजेश कुमार को रंगे हाथों पकड़ लिया।

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    सीबीआई ने 30 जून 2016 को आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद 12 सितंबर 2025 को राजेश कुमार को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। इस मामले में सीबीआई की कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी।

    सीबीआई द्वारा की गई इस कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी पद पर हो, बख्शा नहीं जाएगा। यह निर्णय न केवल शिकायतकर्ता के लिए न्याय की एक मिसाल है, बल्कि यह अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए भी एक चेतावनी है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से करें।

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    इस मामले में सीबीआई की तत्परता और प्रभावी जांच ने यह साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में कानून की ताकत का उपयोग किया जा सकता है। राजेश कुमार की सजा से यह भी स्पष्ट होता है कि सरकारी सेवाओं में कार्यरत व्यक्तियों को अपनी जिम्मेदारियों का पालन करते समय सतर्क रहना चाहिए।

    सीबीआई अदालत का यह निर्णय न केवल एक व्यक्ति के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है कि भ्रष्टाचार को सहन नहीं किया जाएगा। यह निर्णय उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो ईमानदारी और नैतिकता के साथ अपने कार्यों को अंजाम देते हैं। इस मामले में सीबीआई की कार्रवाई और न्यायालय का निर्णय भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत कदम है, जो समाज में ईमानदारी और पारदर्शिता को बढ़ावा देगा।

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