सोनभद्र में फर्जी नाती बनकर जमीन वरासत कराने का आरोप, पीड़ितों ने लगाई न्याय की गुहार
सोनभद्र के फरीपान गांव में जमीन के वरासत का मामला सामने आया है जिसमें फर्जी नाती बनकर जमीन हड़पने का आरोप है। पीड़ितों का कहना है कि राजस्व कर्मियों ने खतौनी में गलत तरीके से वरासत कर दिया। पुलिस ने जमीन विक्रेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जबकि पीड़ितों के खिलाफ शांति भंग की कार्रवाई की गई है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र (गोविंदपुर)। जिले के रपुर ब्लाक के ग्राम पंचायत फरीपान में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें फर्जी नाती बनकर जमीन का वरासत कराने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में बिट की पुलिस ने जमीन विक्रेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि पीड़ितों और जमीन क्रेताओं के खिलाफ शांति भंग की कार्रवाई की गई है।
पीड़ित राम नारायण, सत्यनारायण, झुरहरिया आदि ने पिछले महीने तहसील दिवस और मुख्यमंत्री पोर्टल पर न्याय की गुहार लगाई थी। उनका आरोप है कि खतौनी और जिल्द में फूलमती पुत्री बेचनी का नाम दर्ज है, फिर भी राजस्व कर्मियों बाबू राम, राम गुलाम और राम किशुन के नाम वरासत कर दिया गया और बेचनी की पत्नी सोबरन का नाती बताया गया।
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पीड़ितों का कहना है कि यह आरोप पूरी तरह से झूठा है। बेचनी की बेटी फूलमती थी, जिसके पुत्र वे हैं। पीड़ित राम नारायण ने बताया कि लेखपाल की जांच में उनकी जमीन पर कब्जा उनके नाम पर दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि उनके सभी भाइयों का उस जमीन पर घर बना है और वे तीन पीढ़ियों से खेती कर रहे हैं। जमीन बरासत कराने वाले तीन भाइयों में से बड़े भाई ने कहा कि उनके भाई गलत हैं और उन्होंने कभी भी जमीन नहीं जोती है।
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पीड़ितों का कहना है कि उनकी नानी का नाम चिमनी देवी था, जिनका निधन 11 जून 1978 को हुआ। उन्होंने स्पष्ट किया कि रजिया बेचनी से उनका कोई संबंध नहीं है। यह पूरा मामला तत्कालीन लेखपाल और उनके भाइयों के साथ एक बिचौलिया का है। पीड़ित ने बताया कि लेखपाल ने अपनी जांच रिपोर्ट में उन्हें तहसीलदार न्यायालय जाने की सलाह दी है, लेकिन पुलिस ने उन्हें शांति भंग के आरोप में पाबंद कर दिया।
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पीड़ितों ने पुलिस अधीक्षक का ध्यान आकृष्ट करते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि जिन पर फर्जी जाति बदलकर और फर्जी नाती बनकर जमीन हड़पने का प्रयास किया गया, उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई। इस मामले में उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके। यह मामला न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ लोग कानून का दुरुपयोग कर दूसरों के अधिकारों का हनन कर सकते हैं। पीड़ितों की आवाज को सुनना और उन्हें न्याय दिलाना आवश्यक है।
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