Operation Sindoor में मेजर हिमांशु त्रिपाठी ने संभाला था दुश्मन से मोर्चा, मिला चीफ आफ आर्मी स्टाफ का कमांडेशन कार्ड
वाराणसी के मेजर हिमांशु त्रिपाठी को आपरेशन सिंदूर में वीरता के लिए रक्षा मंत्रालय ने सम्मानित किया। जम्मू-कश्मीर में तैनाती के दौरान उन्होंने दुश्मनों को मुहतोड़ जवाब दिया और कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। इस जीत का श्रेय बजरंगबली को देते हुए उन्होंने बटालियन के मंदिर में पंचमुखी हनुमान की मूर्ति स्थापित की।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। रक्षा मंत्रालय की ओर से बीते 14 अगस्त को आपरेशन सिंंदूर में पराक्रम दिखाने वाले सैनिकों को सम्मान की घोषणा हुई है। इस सम्मान में बनारस के मेजर को भी सम्मानित करने की घोषणा की गई है।
आपरेशन सिंदूर के दौरान जम्मू- कश्मीर सीमा पर दुश्मनों की गोलाबारी का जवाब मोर्टार और आर्टिलरी गन का फायर कंट्रोल करते हुए दिया। इस दौरान उन्होंने कई पाकिस्तानियों को मार गिराया।उन्होंने अपने इस वीरता को लेकर बजरंग बली को जीत का श्रेय दिया है। मेजर ने जवानों संग सैन्य मंदिर में पंचमुखी हनुमान की पीतल की मूर्ति स्थापित की है।
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आपरेशन सिंदूर में देश के दुश्मनों को छक्के छुड़ाकर पाकिस्तान को धूल चटाने वाले भारतीय सेना के जांबाज सैन्य अधिकारियों को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 14 अगस्त को रक्षा मंत्रालय ने सम्मानित करने की घोषणा की। उन्हें सैन्य मंत्रालय ने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के कमांडेशन कार्ड से सम्मानित किया है। यह काशी के लिए सौभाग्य की बात है कि यहां के रहनवार मेजर हिमांशु त्रिपाठी को भी यह सम्मान प्रदान करने की घोषणा की गई है।
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हिमांशु त्रिपाठी 13 जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री ( 13 JAKLI ) में मेजर के पद पर तैनात हैं। ऑपरेशन सिंदूर में उन्होंने जम्मू कश्मीर सीमा पर तैनाती के दौरान अपनी बटालियन के साथ दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। उन्होंने सीमा पर दुश्मनों की भारी गोलाबारी के बीच जवाबी हमले में मोर्टार व आर्टिलरी गन का फायर कंट्रोल करते हुए कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। दुश्मनों पर विजयी होने का श्रेय पूरी बटालियन ने बजरंगबली को दिया। इसीलिए बटालियन के मंदिर में जीत की खुशी मेजर हिमांशु त्रिपाठी ने पंचमुखी हनुमान जी की पीतल की मूर्ति स्थापित की। उस मंदिर की विशेषता है कि उसमें गुरु नानकदेव, पवित्र मक्का मदीना की तस्वीर भी है।
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इसके साथ ही रामदरबार, शंकर- पार्वती व राधा-कृष्ण की फोटो हैं जिनकी पूजा- आरती सैन्य अधिकारी व जवान करते हैं। हिमांशु त्रिपाठी वाराणासी के किरहिया ( खोजवां ) मोहल्ले के निवासी हैं। अविवाहित हिमांशु के पिता दिनेश त्रिपाठी भूमि विकास बैंक में प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हैं। माता राधा त्रिपाठी गृहिणी है। उन्होंने इंटरमीडिएट की शिक्षा सेंट जॉन्स बरेका से ग्रहण की है। इसके बाद एनडीए की परीक्षा उत्तीर्ण किया है।
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