Janmashtami Kab Hai: 16 या 17 अगस्त... कब है जन्माष्टमी? ज्योतिर्विद आचार्य ने बताया पूजा का शुभ मुहूर्त, इन बातों का रखें ख्याल
janmashtami kab hai प्रयागराज में इस बार जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी क्योंकि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का मिलन नहीं हो रहा है। वैष्णव और स्मार्त 16 को और रोहिणी नक्षत्र वाले 17 अगस्त को जन्मोत्सव मनाएंगे। ज्योतिर्विदों के अनुसार अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात लगेगी और रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त की सुबह। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा और उपवास का महत्व है।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। janmashtami kab hai: लीलाधर भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का मिलन नहीं होगा। दोनों का संचरण अलग-अलग समय पर होगा।
इसके चलते वैष्णव व स्मार्त (गृहस्थ) शनिवार 16 अगस्त को श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे। वहीं, जो वैष्णव रोहिणी नक्षत्र में जन्माष्टमी पर्व मनाते हैं वह 17 अगस्त को श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएंगे।
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 12.58 बजे लग जाएगी। जो 16 अगस्त की रात 10.29 बजे तक रहेगी।
इसके बाद नवमी तिथि लगेगी। उक्त तारीख की सुबह 8.08 बजे तक भरणी नक्षत्र है। फिर सुबह 8.09 बजे से कृतिका नक्षत्र लग जाएगा। रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त की सुबह 6.29 बजे लगकर 18 अगस्त की भोर 4.54 बजे तक रहेगा, लेकिन तब दशमी तिथि रहेगी। ऐसे में 16 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व (Janmashtami 2025) मनाया जाएगा। रोहिणी के मतावलंबी 17 अगस्त रविवार को भगवान का जन्मोत्सव मनाएंगे।
पाराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार अबकी रोहिणी नक्षत्र का क्षय है। जब कोई नक्षत्र सूर्योदय के बाद प्रारंभ हो तथा दूसरे दिन सूर्योदय के पूर्व समाप्त हो जाए तो उसे क्षय नक्षत्र कहा जाता है। रोहिणी नक्षत्र 17 अगस्त की सुबह 6.29 बजे लग रहा है जो 18 अगस्त को भोर में 4.54 बजे तक रहेगा। ऐसे में उदयकाल में रोहिणी नक्षत्र भी नहीं मिल रहा है।
ऐसे मनाएं जन्माष्टमी (Janmashtami 2025)
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण के निमित्त दिनभर उपवास रखना चाहिए। रात को लड्डू गोपाल की पूजा करें। भगवान को दही, घी, गंगाजल आदि से स्नान कराकर चंदन लगाएं। उन्हें आनंद के साथ पालने में झुलाएं।
बाल गोपाल को मक्खन-मिश्री का प्रसाद भोग लगाकर भजन-कीर्तन करना चाहिए। श्रीमद्भागवत का पाठ करना पुण्यकारी होता है। ऐसा करने वाले को सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
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