Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर कैसे करें लड्डू गोपाल की स्थापना, जानें नियम और परंपराएं
मान्यता है कि लड्डू गोपाल को घर लाने के बाद उनकी प्रतिदिन सेवा भोग स्नान और शृंगार करना आवश्यक है। यदि आप इस जन्माष्टमी पर अपने घर में बाल गोपाल को विराजमान करना चाहते हैं तो इन नियमों और परंपराओं का पालन अवश्य करें ताकि आपके ऊपर लड्डू गोपाल की कृपा सदा बनी रहे। चलिए जानते हैं कि आप लड्डू गोपाल की सेवा किस प्रकार कर सकते हैं।

दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से देशभर में मनाया जाता है। इस दिन कई भक्त अपने घर में लड्डू गोपाल को स्थापित कर पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन श्रीकृष्ण की मूर्ति को घर में विराजमान करना केवल एक धार्मिक रिवाज नहीं, बल्कि एक बड़ा संकल्प और जिम्मेदारी भी है।
1. शुभ मुहूर्त में स्थापना
लड्डू गोपाल की स्थापना (laddu gopal sthapana niyam) जन्माष्टमी या किसी अन्य शुभ तिथि और मुहूर्त में करना उत्तम माना जाता है। पंडित या ज्योतिषाचार्य से मुहूर्त पूछकर ही स्थापना करें।
2. मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा
सिर्फ मूर्ति खरीदना पर्याप्त नहीं है। स्थापना के समय जल, पंचामृत, अक्षत, फूल, तुलसीदल, धूप-दीप के साथ विधि पूर्वक पूजन और प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए। यह प्रक्रिया पंडित जी की सहायता से या शास्त्रानुसार घर पर भी की जा सकती है।
3. प्रतिदिन सेवा का संकल्प
लड्डू गोपाल को घर लाने के बाद उनकी सेवा प्रतिदिन-
- सुबह उठाकर स्नान कराना।
- वस्त्र पहनाना और शृंगार करना।
- भोग लगाना (मौसमी फल, मिष्ठान, माखन-मिश्री, खीर आदि)।
- आरती और भजन करना।
- यदि किसी दिन आप सेवा न कर पाएं, तो मन ही मन क्षमा याचना करें।
4. मूर्ति को न छोड़ें अकेला
लड्डू गोपाल (Janmashtami 2025) को घर लाकर उन्हें किसी कोने में रखकर भूल जाना अशुभ माना जाता है। भगवान को अपने घर का एक सम्मानित सदस्य मानें और प्रतिदिन उनका ध्यान रखें।
5. शुद्धता का पालन
- पूजा स्थल और मूर्ति हमेशा स्वच्छ रखें।
- पूजा से पहले स्नान करके ही सेवा करें।
- भगवान को जो भी भोग लगाएं, वह सात्विक और ताजा होना चाहिए।
(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
6. तुलसीदल का महत्व
श्रीकृष्ण को तुलसी अत्यंत प्रिय है, इसलिए हर भोग में तुलसी दल अर्पित करना न भूलें।
7. मूर्ति का स्थान
लड्डू गोपाल को घर के उत्तर-पूर्व दिशा में रखें, जहां प्राकृतिक प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो।
8. यात्रा या अनुपस्थिति में व्यवस्था
यदि आप यात्रा पर जा रहे हैं या कुछ समय घर पर नहीं रहेंगे, तो मूर्ति को जल से स्नान कराकर कपड़े में लपेटकर सुरक्षित स्थान पर रखें। इस दौरान उन्हें प्रतिदिन सेवा न देने की अनुमति मानी जाती है।
निष्कर्ष -
लड्डू गोपाल की स्थापना केवल पूजा का एक हिस्सा नहीं, बल्कि भगवान के प्रति प्रेम, सेवा और जिम्मेदारी का व्रत है। यदि आप पूरे मन, प्रेम और नियमों के साथ उनकी सेवा करेंगे, तो आपके घर में सदैव सुख-समृद्धि और शांति का वास रहेगा।
लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
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