प्रयागराज GRP में 48 घंटे बाद दर्ज हुआ मुकदमा, कल अभिभावकों को सौंपे जाएंगे बच्चे, सीमांचल एक्सप्रेस से मुक्त कराए गए थे
प्रयागराज जीआरपी थाने में सीमांचल एक्सप्रेस से रेस्क्यू किए गए 10 नाबालिग बच्चों के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) मामले की जांच करेगी। जांच में पता चला कि बच्चों को ठेकेदार बाल मजदूरी के लिए ले जा रहा था। बाल कल्याण समिति अभिभावकों से आश्वासन पत्र लेगी कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी जिसके बाद उन्हें सौंपा जाएगा।

जागरण संवाददाता, प्रयागराज। सीमांचल एक्सप्रेस से मंगलवार को रेस्क्यू किए गए 10 नबालिग बच्चों के मामले में गुरुवार को जीआरपी थाना प्रयागराज में मुकदमा दर्ज हुआ। एसआइ धीरेंद्र कुमार की तहरीर पर 48 घंटे बाद किशोर न्याय अधिनियम समेत विभिन्न धाराओं में एफआइआर दर्ज करने के बाद मामला एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) को स्थानांतरित कर दिया गया है, आगे की जांच अब एएचटीयू करेगी।
पूछताछ और अब तक की जांच में साफ हो गया है कि बच्चों को बिना उनके स्वजन की सहमति के ही ठेकेदार लेकर जा रहा था, उनसे जबरन बाल मजदूरी कराई जाती। हालांकि देर शाम तक बच्चों को उनके अभिभावकों को नहीं सौंपा जा सका। मुकदमा दर्ज होने के बाद अब बच्चों ने कुछ और पूछताछ होगी, उनसे फरार ठेकेदार व उनके साथियों के बारे में और अधिक जानकारी जुटाई जाएगी।
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शुक्रवार को अभिभावकों को इस बात पर बाल कल्याण समिति को संतुष्ट करना होगा कि बच्चे सुरक्षित रहेंगे और दोबारा इस तरह कहीं नहीं भेजे जाएंगे। अभिभावकों को बाकायदा अपने ग्राम प्रधान के लेटर पैड पर आश्वासन पत्र देना होगा। इसके अलावा बच्चों का पहचान पत्र व अपना पहचान पत्र आदि भी जमा करना होगा। बाल कल्याण समिति को अगर यह लगेगा कि बच्चे सुरक्षित रहेंगे तो वह संबंधित जिले की बाल कल्याण समिति को निगरानी के सुझाव के साथ बच्चों को सौंपेगी।
चाइल्ड लाइन रेलवे की कार्डिनेटर अंजली शुक्ला ने अपनी टीम के साथ जीआरपी थाने में दो सितंबर को सूचना दी थी कि कंट्रोल रूम में खबर आई है कि सीमांचल एक्सप्रेस में बच्चों को बालश्रम के लिए तस्करी कर ले जाया जा रहा है। बच्चों को रेस्क्यू करने के आग्रह पर एसआई धीरेंद्र कुमार व आरपीएफ एसआई नितिन व उनकी टीम के साथ प्लेटफार्म नंबर दो पर पहुंचे।
ट्रेन के पीछे के कोच में चेकिंग के दौरान 15 बच्चे मिले लेकिन इन्हें ले जाना वाला व्यक्ति नहीं मिला। पूछताछ के बाद सभी की पहचान की गई, जिसमें पांच बच्चे बालिग थे तो उन्हें छोड़ दिया गया। जबकि 10 नाबालिग बच्चों को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया गया था।
जीआरपी थाना प्रभारी इंस्पेक्टर एके सिंह ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर मामला एएचटीयू को सौंप दिया गया है। आगे की जांच व कार्रवाई यूनिट द्वारा ही की जाएगी। वहीं, डीपीओ सर्वजीत सिंह ने बताया कि अभी बच्चों को सुरक्षित रखा गया है। बच्चों को अभिभावकों को सौंपने का निर्णय बाल कल्याण समिति लेगी।
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