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    अफरोज है फरार ठेकेदार, प्रयागराज जंक्शन पर सीमांचल एक्सप्रेस में छापेमारी के बाद फरार है, बच्चे-किशोर बरामद

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 08:56 PM (IST)

    प्रयागराज जंक्शन पर RPF और GRP ने रेस्क्यू आपरेशन में कई बच्चों व किशोरों को बचाया। बच्चों के साथ मिली महिला खुद को एक बच्चे की मां बता रही थी लेकिन आधार कार्ड में बच्चे की मां का नाम कुछ और था। पूछताछ में पता चला कि बच्चों को ठेकेदार अफरोज ने बुलवाया था जिसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।

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    प्रयागराज में बाल एवं किशोर बचाव अभियान में तस्करी के प्रयास का राजफाश किया गया है।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। जी वो मेरा बेटा है, उसे छोड़ दीजिए, मेरे साथ जाने दीजिए...। ठीक है, अपना और बेटे का आधार कार्ड दिखाओ । महिला और संबंधित नाबालिग बच्चे का आधार कार्ड देखते ही आरपीएफ-जीआरपी भी चकरा गई, महिला का नाम दूसरा, बच्चे की मां का नाम कुछ और। फटकार लगाई तो महिला सफाई देने लगी कि आधार कार्ड में मां का नाम गलत हो गया है....। महिला के आधार कार्ड पर उसका नाम रिक्की देवी मनिहारी कटिहार था, जबकि बच्चे की मां का नाम सावित्री।

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    कुछ देर में एक और युवक सामने आया उसने इशारे से एक बच्चे को बताया कि वह उसका भाई है।

    जीआरपी ने कड़ाई से पूछताछ की तो पता चला कि बच्चा युवक के गांव का है और ठेकेदार ने युवक के खाते में पैसे भेजे थे कि वह पांच बच्चों को लेकर आ जाए। युवक फोन पर ठेकेदार व अन्य को सूचना दे रहा तो उसका मोबाइल जब्त किया गया।

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    यह दृश्य प्रयागराज जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक पर आरपीएफ व जीआरपी थाने के गेट पर सीमांचल एक्सप्रेस ट्रेन से बच्चों और किशोरों को रेस्क्यू करने के बाद चल रहा था। घंटों ऐसा ही क्रम जारी रहा। दोपहर में रेस्क्यू हुए बच्चे देर शाम तक सीडब्ल्यूसी नहीं पहुंच सके थे। जिन बच्चों को रेस्क्यू किया गया उनका साथ रहा मुख्य ठेकेदार तो फरार हो गया लेकिन बिहार के अलग-अलग गांवों से बच्चों के ग्रुप को साथ लेकर जा रहे कुछ इक्का-दुक्का लोग भी ट्रेन से उतर गए थे और थाने के बाहर चक्कर काट रहे थे।

    हालांकि किसी के पास बच्चों से संबंधित कागजात नहीं थे। वह सीधे अधिकारियों से नहीं मिल रहे थे कि कहीं उन्हें भी न पकड़ लिया जाएगा। चाइल्ड लाइन के पर्यवेक्षक विमल कुमार गुप्ता ने बताया कि ऐसे बहुत से केस सामने आते हैं जिसमें गलत कागजात बनाकर और बच्चों का ब्रेनवास कर उन्हें ले जाया जाता है। मामले में डीपीओ सर्वजीत सिंह ने बताया कि रेस्क्यू किए गए सभी बच्चों की सुरक्षा, उनके रुकने-खाने पीने का प्रबंध किया गया है। आगे की कार्रवाई के लिए बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) काम कर रही है।

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    कौन है अफरोज.....?

    रेस्क्यू किए गए बच्चों ने ठेकेदार का नाम अफरोज बताया लेकिन उसके बारे में कोई भी अन्य जानकारी नहीं दे सके। अफरोज कौन है, उसका घर कहां है, यह रहस्य बरकरार रहा। अब टीमें अफरोज के बारे में भी पता लगा रही हैं। बच्चों से अफरोज के हुलिया के बारे में भी जानकारी ली गई ताकि कानपुर व आनंद विहार में उसकी तलाश की जा सके।

    ज्यादा टीमें होती तो मिल जाते पूरे बच्चे

    प्रयागराज जंक्शन पर जब ट्रेन पहुंची तो जीआरपी-आरपीएफ की टीमों ने सर्च शुरू किया लेकिन पांच मिनट के ट्रेन के ठहराव के दौरान पूरी ट्रेन नहीं खंगाली जा सकी। ट्रेन में आगे, पीछे और मध्य में बच्चों की सूचना थी लेकिन सिर्फ दो कोच से 15 बच्चे बरामद हो सके। अगर सुरक्षाकर्मियों की संख्या अधिक होती या ट्रेन को थोड़ी देर के लिए और रोका जाता तो शायद सभी बच्चे बरामद हो जाते।

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    पुलिस देख अम्मी-अब्बू को याद कर बिलखने लगे बच्चे ...

    जंक्शन पर उतरे गए बच्चों को जब एक साथ ले जाया जाने लगा तो कई बच्चे बिलख उठे। वह रो-रोकर अपने अम्मी-अब्बू को याद करने लगे। छोटे बच्चों की आंखें भर आई और वह अम्मी-अब्बू के पास जाने की रट लगाने लगे। बच्चों के जवाब भी अलग-अलग थे और हर कोई रटा रटाया ही जवाब देता, लेकिन अकेले पूछताछ पर उनका जवाब बदल जाता। कोई कहता कि मैं उर्दू पढ़ने के लिए जा रहा हूं, कोई कहता कि पापा से मिलने जा रहा हूं, कोई बताता कि छह तक पढ़ाई की है, कोई कहता कि दोस्त जा रहा था तो उसके साथ हो लिया।

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    किसी को नहीं पता कि कब है उनका जन्मदिन

    बच्चों की काउंसिलिंग शुई हुई तो उन्हें समझा बुझाकर किसी तरह भरोसा दिलाया गया कि उनसे मिलने परिवार के लोग यहां आ रहे हैं। लगभग सबकी एक जैसी ही कहानी थी। कोई बे-मन से घर वालों के दबाव पर जा रहा था। कुछ बच्चों को ट्रेन में जबरन बैठाकर भेजा रहा था। उन्हें बताया गया था कि मदरसे में पढ़ाई करनी है। वहां मौलवी बनना है। इससे नाम और पैसा दोनों मिलेगा। आश्चर्य की बात यह रही कि किसी भी बच्चे को उसका जन्मदिन कब है नहीं पता है। इसमें कुछ बच्चों ने तो अपनी उम्र 18 साल बता दी लेकिन जब उनसे उनकी जन्मदिन की तिथि पूछी गई तो वह चुप हो गए।