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    Mahakumbh 2025: 'पर‍िक्रमा करने से तुरंत पूरी होती हैं सभी कामनाएं', महंत ने पंचकोशी परिक्रमा का बताया महत्‍व

    Updated: Thu, 23 Jan 2025 04:11 PM (IST)

    अखाड़ा परिषद के महामंत्री व जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि के नेतृत्व में सुबह संगम स्नान करके गंगा पूजन के बाद पंचक्राेशी परिक्रमा यात्रा आरंभ हुई। सर्व प्रथम यमुना पार के लालापुर स्थित प्राचीन श्रीमनकामेश्वर महादेव का दर्शन-पूजन किया गया। इसके बाद बीकर गांव में पद्म माधव के दरबार में मत्था टेका। यहां से सुजावन देव मंदिर में पहुंचे।

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    महाकुंभ में महंत ने पंचकोशी परिक्रमा का बताया महत्‍व।

    जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। सनातन धर्म की परंपरा और संस्कृति का संरक्षण करने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद पंचक्राेशी परिक्रमा करवा रहा है। परिक्रमा में शामिल संत और श्रद्धालुओं के ऊपर जगह-जगह पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत क‍िया गया। परिक्रमा के तीसरे दिन बुधवार को हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

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    अखाड़ा परिषद के महामंत्री व जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि के नेतृत्व में सुबह संगम स्नान करके गंगा पूजन के बाद यात्रा आरंभ हुई। सर्व प्रथम यमुना पार के लालापुर स्थित प्राचीन श्रीमनकामेश्वर महादेव का दर्शन-पूजन किया गया। इसके बाद बीकर गांव में पद्म माधव के दरबार में मत्था टेका।

    श्रीमनकामेश्वर महादेव का क‍िया दर्शन

    यहां से सुजावन देव मंदिर में पहुंचे। वहां से पर्णास मुनि के आश्रम में महर्षि वाल्मीकि, पर्णास ऋषि व ज्वाला देवी का पूजन करके जनकल्याण की कामना की। ज्वाला देवी दर्शन-पूजन के बाद यात्रा कीडगंज एडीसी चौराहा के पास जूना अखाड़ा के प्राचीन राम जानकी मंदिर पहुंची।

    दर्शन-पूजन कर की जनकल्याण की कामना

    वहां महापौर गणेश केसरवानी के नेतृत्व में संतों के ऊपर पुष्पवर्षा करके स्वागत किया गया। सबने मंदिर में भगवान श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की स्तुति करके जनकल्याण की कामना की। महंत हरि गिरि ने कहा कि पंचकोशी परिक्रमा का धार्मिक और पौराणिक महत्व है।

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    पर‍िक्रमा में शाम‍िल होने से पूरी हो जातीं सभी कामनाएं

    उन्‍होंने कहा क‍ि इसमें शामिल होने से समस्त कामना पूर्ण हो जाती हैं। परिक्रमा किए बिन प्रयागराज यात्रा का पूरा फल नहीं मिलता है। काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगदगुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि पंचकोशी परिक्रमा करने से काम, क्रोध, मोह, मद और लोभ से मुक्ति मिलती है।

    अखाड़ा परिषद ने पुन: आरंभ कराया परिक्रमा

    महापौर गणेश केसरवानी ने कहा कि गुलामी के कालखंड में सनातन धर्म की तमाम परंपराओं को बल पूर्वक खत्म करवा दिया गया है। हिंदुओं की पंचकोशी परिक्रमा उसी परंपरा में शामिल है, जिसे जबरन रुकवाया गया था। अखाड़ा परिषद और महंत हरि गिरि ने परिक्रमा को पुन: आरंभ करके सनातन धर्मावलंबियों का उद्धार किया है।

    पि‍तरों को म‍िलती है संतुष्टि

    श्री दूघेश्वर पीठाधीश्वर व श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने पंचकोशी परिक्रमा को आध्यात्मिक विकास करने वाला बताया। उन्‍होंने कहा कि परिक्रमा लगाने से सभी तीर्थों के दर्शन का फल भक्तों को प्राप्त होता है। साथ ही पितर भी संतुष्ट होकर अपनी कृपा की वर्षा करते हैं।

    ये लोग रहे शाम‍िल

    इस मौके पर महामंडलेश्वर भवानी नंदन वाल्मीकि, महंत गिरिशानंद गिरि, मुन्नी लाल पांडेय समेत कई लोग शामिल रहे। संगम तट पर त्रिवेणी मार्ग स्थित दत्तात्रेय शिविर में यात्रा में शामिल लोगों ने रात्रि विश्राम किया।

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