Maha Kumbh में ध्यान खींच रहे ये बाबा, कोई पिला रहा 'अनोखी' चाय; तो कहीं आशीर्वाद के लिए लगी लंबी लाइन
Maha kumbh 2025 महाकुंभ में अनूठे संतों का पदार्पण हो रहा है इनका जमावड़ा लगा हुआ है। इनमें से कुछ संत अपनी अनोखी साधना और रहस्यमय व्यक्तित्व के कारण चर्चाओं में हैं। हरियाणा से आए बाल योगी अजय पुरी जिन्हें लोग आयुर्वेदिक बाबा के नाम से जानते हैं। महाकुंभ में शास्त्री ब्रिज के नीचे सेक्टर 19 में एक संत हैं जो अधिकतर मौन रहते हैं।

जागरण संवाददाता, महाकुंभ नगर। Maha Kumbh 2025: महाकुंभ का यह अद्भुत संगम आध्यात्मिकता, रहस्यवाद और अद्वितीय संत परंपराओं का जीवंत प्रमाण है, जहां आस्था और चमत्कारों का अद्भुत मेल देखने को मिल रहा है। यहां अनूठे संतों का पदार्पण हो रहा है, इनका जमावड़ा लगा हुआ है।
श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए ये बाबा विशेष आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इनमें से कुछ संत अपनी अनोखी साधना और रहस्यमय व्यक्तित्व के कारण चर्चाओं में हैं।
जड़ी-बूटियों वाली चाय से थकान दूर करते हैं आयुर्वेदिक बाबा
हरियाणा से आए बाल योगी अजय पुरी, जिन्हें लोग आयुर्वेदिक बाबा के नाम से जानते हैं, अपनी विशेष औषधीय चाय के लिए मशहूर हो रहे हैं। बाबा अजय पुरी अपने शिविर में भक्तों को मुफ्त में चाय पिलाते हैं।
वह कहते हैं कि यह कोई साधारण चाय नहीं होती। इसमें आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है, जो पीने वालों को तुरंत ताजगी और ऊर्जा का अनुभव कराता है।
आयुर्वेदिक बाबा का मानना है कि आधुनिक जीवनशैली में लोग थकान और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। उनकी जड़ी-बूटी युक्त चाय शरीर को आराम देती है और मानसिक शांति प्रदान करती है। यही कारण है कि उनके शिविर में भक्तों की भीड़ लगातार बढ़ रही है।
अनूठी शैली में आशीर्वाद देते हैं तलवार बाबा
महाकुंभ में शास्त्री ब्रिज के नीचे, सेक्टर 19 में एक संत हैं, जो अधिकतर मौन रहते हैं। नाम पूछने पर वे कुछ बोलने के बजाय अपनी तलवार दिखाते हैं और इसी से भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इसी वजह से लोग उन्हें तलवार बाबा कहने लगे हैं।
हरियाणा से आए तलवार बाबा का कहना है कि संन्यास ग्रहण करने के समय उन्हें उनके गुरु ने यह तलवार सौंपी थी, जिसे उन्होंने अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया।
लोग भय और श्रद्धा के मिश्रित भाव के साथ उनके पास जाते हैं और उनसे तलवार से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। उनकी अनूठी साधना और रहस्यमय व्यक्तित्व ने उन्हें कुंभ मेले में एक विशेष पहचान दिलाई है।
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स्वर्ण जड़ित शंख के कारण पड़ा शंख बाबा नाम
एक और अद्भुत संत, जिन्हें लोग शंख बाबा के नाम से जानते हैं, अपने स्वर्ण जड़ित शंख के लिए चर्चा में हैं। द्वारिका से आए इन बाबा का दावा है कि यह कोई साधारण शंख नहीं है, बल्कि इसे औषधियों से लेप कर और विशेष विधियों से संवारा गया है। इस प्रक्रिया में लगभग ढाई वर्ष का समय लगा।
शंख बाबा से जब कोई उनका नाम पूछता है, तो वे जवाब देने के बजाय केवल शंख बजाते हैं और कहते हैं, "इसकी ध्वनि से ही मेरा परिचय जान लो।" शिष्य उनका नाम कुश बाबा बताते हैं। उनके शंख की ध्वनि अत्यंत तीव्र और प्रभावशाली बताई जा रही है, जिसे सुनने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आ रहे हैं।
रामपुर से आए डमरू बाबा
वसुधैव कुटुंबकम का संदेश देशभर में सनातन धर्म की महानता का प्रचार कर रहे रामपुर के डमरू बाबा यानी भीम अघोरी महाकुंभ पहुंचे। हाथों में गुरु परंपरा के तहत मिलने वाला कई दशक पुराना डमरू और हाथ में त्रिशूल उनकी पहचान है। डमरू बाबा का कहना है कि यह डमरू केवल एक वाद्य यंत्र नहीं है, बल्कि उनकी गुरु परंपरा का प्रतीक है।
बाबा बताते हैं, "यह डमरू मेरे गुरु ने मुझे दिया था, और उनके गुरु ने उन्हें दिया था। यह डमरू पीढ़ी दर पीढ़ी हमारी परंपरा का हिस्सा रहा है। इसका उपयोग केवल संगीत के लिए नहीं, बल्कि सनातन राष्ट्र के उद्घोष के लिए किया जाता है।" बाबा की यात्रा लोगों को उनके सांस्कृतिक मूल्यों की याद दिला रही है और यह प्रेरणा दे रही है कि जीवन में परंपरा और आध्यात्मिकता का महत्व कितना गहरा है।
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