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    उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पूर्व उपसचिव, 3 DIOS समेत 48 पर मुकदमा, 3 जिलों के एडेड कालेजों में फर्जी नियुक्ति मामला

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 01:16 PM (IST)

    प्रयागराज में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की भर्ती में फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। सतर्कता अधिष्ठान की जाँच में पता चला कि कई अभ्यर्थियों ने फर्जी पैनल से नौकरी पाई। जिला विद्यालय निरीक्षकों प्रधानाचार्यों और बोर्ड के पूर्व उपसचिव पर मिलीभगत का आरोप है जिसके चलते 48 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। यह फर्जीवाड़ा बलरामपुर संभल और मुजफ्फरनगर में हुआ।

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    प्रयागराज में शिक्षा बोर्ड भर्ती में फर्जी नियुक्ति का खुलासा हुआ, 48 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हुई है।

    जागरण संवाददाता, प्रयागराज। उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड प्रयागराज की विज्ञप्ति संख्या 01/2013 में प्रवक्ता और स्नातक शिक्षक भर्ती में बड़े फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। सतर्कता अधिष्ठान की टीम ने जांच की तो परत दर परत सभी कड़ियां खुल गईं।

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    कई अभ्यर्थियों ने फर्जी समायोजन पैनल के माध्यम नियुक्ति पा ली। इस फर्जीवाड़े में जिला विद्यालय निरीक्षकों, पटल सहायकों, प्रबंधकों और प्रधानाचार्यों के अलावा बोर्ड के पूर्व उपसचिव पर भी मिलीभगत का आरोप लगाया गया है। सतर्कता अधिष्ठान प्रयागराज सेक्टर के निरीक्षक हवलदार सिंह यादव की तहरीर पर पूर्व उपसचिव, तीन तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक समेत 48 के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

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    प्रवक्ता और स्नातक शिक्षक भर्ती के मामले की शिकायत लेकर वर्ष 2023 में कई अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए। जिस पर शासन को आदेश दिया गया था कि वह उप्र सतर्कता अधिष्ठान यानी विजिलेंस से मामले की जांच कराए। इसके बाद विजिलेंस जांच शुरू हुई। इसमें पाया गया कि कुल 30 अभ्यर्थियों को तीन जिला विद्यालय निरीक्षकों व उनके पटल सहायकों ने नियमानुसार बिना सत्यापन कराए ही कार्यभार ग्रहण कराने के लिए संसूचना पत्र प्रेषित कर दिया।

    संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षक, उनके पटल सहायकों और संबंधित विद्यालयों के प्रबंधक व प्रधानाचार्य ने बिना सत्यापन के इन फर्जी पैनलों को मान्यता देते हुए नियुक्तियां कर दीं। कई मामलों में नोटरी से जाली प्रमाणपत्र तैयार कर नियुक्ति आदेश भी जारी करा लिए गए।

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    यह भी पाया गया कि संबंधित विद्यालयों के प्रधानाचार्य और प्रबंधकों ने अभ्यर्थियों से मिलीभगत कर उन्हें कार्यभार ग्रहण कराया। जबकि इनके कालेजों में संबंधित विषयों में प्रशिक्षित स्नातक का कोई पद ही खाली नहीं था। विजिलेंस इंस्पेक्टर हवलदार सिंह यादव की ओर से तहरीर देकर जो मुकदमा दर्ज कराया गया है, उसमें खुली जांच में बोर्ड के तत्कालीन उप सचिव को भी षडयंत्र में शामिल होने का आरोपित पाया गया है।

    कहा गया है कि वह उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में 21 जनवरी 2008 से छह मई 2013 तक, 26 दिसंबर 2016 से दो जुलाई 2022 तक और 15 नवंबर 2022 से जांच पूरी होने तक नियुक्त रहे। ज्यादातर समायोजन पैनल उपसचिव द्वारा ही हस्ताक्षरित है। इससे यह स्पष्ट है कि उपसचिव द्वारा फर्जी समायोजन पैनल के माध्यम से नियुक्ति प्राप्त दीपिका सिंह, अमित कुमार श्रीवास्तव, संजय कुमार दुबे, मृत्युंजय यादव को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ दिया गया है। यदि इनके द्वारा दिसंबर 2021 में ही जिला विद्यालय निरीक्षक संभल को यह बता दिया गया होता कि इनका समायोजन पैनल फर्जी है तो 36,43,144 रुपये की धनराशि की राजकीय क्षति नहीं होती।

    तहरीर में कहा गया है कि इससे यह भी स्पष्ट है कि उपसचिव नवल किशोर द्वारा अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन नहीं किया गया। पूर्व पत्रांकों (जो फर्जी थे) के माध्यम से आपराधिक षड्यंत्र करके असम्यक लाभ की प्रत्याशा में पूर्व पत्रांकों के संबंध में सत्यापन आख्या नहीं प्रेषित की गई। ऐसे में वह आपराधिक षडयंत्र व भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत आरोपित हैं। तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया।

    बलरामपुर, संभल व मुजफ्फरनगर में गड़बड़झाला

    यह फर्जीवाड़ा तीन जनपदों संभल, बलरामपुर और मुजफ्फरनगर में हुआ। आरोप है कि यहां कुछ अभ्यर्थियों ने चयन बोर्ड के अधिकृत पैनल के बजाय फर्जी पैनल बनाकर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालयों में दाखिल किया और धोखाधड़ी के माध्यम से तैनाती पा ली।