Pilibhit News: कई दिनों की खामोशी के बाद पीलीभीत में बाघ की फिर दस्तक, गोवंश का किया शिकार
पीलीभीत के मथना जप्ति में बाघ ने फिर दस्तक दी है जिससे ग्रामीणों में दहशत है। बाघ ने गुरुद्वारे के पास से एक गोवंश का शिकार किया और उसे गन्ने के खेत में ले गया। वन विभाग की टीम निगरानी कर रही है। पूर्व में भी इस क्षेत्र में बाघ के हमलों से कई लोगों की मौत हो चुकी है जिसके कारण ग्रामीण आक्रोशित थे।

जागरण संवाददाता, पीलीभीत। माधोटांडा क्षेत्र के मथना जप्ति गांव बाघ की सक्रियता और मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले में काफी संवेदनशील रहा है। अब यहां पर काफी दिनों के बाद में बाघ ने फिर से दस्तक दे दी है। देर रात्रि गुरुद्वारे के सामने से ही बाघ एक गोवंश को जबड़े में दबाकर ले गया। एक ग्रामीण ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा।
बाघ अभी भी गन्ने के खेत में ही अपना डेरा जमाए बैठा हुआ है। ग्रामीणों के लिए एक बार फिर से बाघ मुसीबत बन गया। विगत वर्षों में मथना जप्ति में एक के बाद एक बाघों के हमले हुए। यहां पर लगातार हुए हमलों में आधा दर्जन से अधिक ग्रामीणों की मौत भी हो गई थी।
देर रात गुरुद्वारा के सामने से खींच ले गया गोवंश, गन्ना के खेत में डेरा डाला
मथना जप्ति क्षेत्र मानव वन्यजीव संघर्ष के लिए काफी संवेदनशील बन गया था। बाघों की सक्रियता को देखते हुए ग्रामीण भी काफी आक्रोशित हो गए थे। बाघों के द्वारा ग्रामीणों को मौत के घाट उतारे जाने के बाद ग्रामीणों ने माधोटांडा पीलीभीत मार्ग को भी कई बार बंद किया था।
ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए वन विभाग ने कुछ स्थानों पर चैनलिंग फेंसिंग भी करा दी। जिससे बाघ बाहर न निकल सकें। यहां पर ग्रामीणों को कुछ राहत तो मिली लेकिन अब काफी दिनों के बाद बाघ ने फिर से अपनी चुप्पी तोड़ दी है।
ग्रामीणों पर फिर मंडराने लगा बाघ का खतरा, वन विभाग की टीम निगरानी जुटी
शनिवार रात्रि 11 बजे मथना जप्ति में नहर वाले गुरुद्वारे के पास बाघ की मौजूदगी दिखाई थी। सुखविंदर सिंह के पिता ने हलचल होने पर अपनी छत पर चढ़कर टार्च से देखा तो वह बुरी तरह घबरा गए। बाघ उनके घर के पीछे से ही एक बेसहारा गोवंश को खींचकर ले जा रहा था। उन्होंने रात्रि में ही वन विभाग को सूचना दी। लेकिन सुबह को वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। अध खाया हुआ गोवंश के शव को वन विभाग की टीम ने वहां से हटा दिया।
वन विभाग की टीम ने जांच की
टीम के द्वारा जब बाघ के पग चिह्नों को ट्रेस किया गया तो वह गन्ना के खेत के भीतर तक मिले। जिससे यह अंदाजा लगाया गया कि बाघ गन्ना के खेत में ही बैठा हुआ है। बाघ की दस्तक से एक बार फिर किसानों में बाघ की दहशत फैल गई। अब किसान फिर से पुराने दिन याद करने लगे हैं। खेतों की रखवाली के लिए दिन में भी किसान जाने से डर रहे हैं। जिस स्थान पर बाघ ने गोवंश का शिकार किया, उस स्थान से माला जंगल की दूरी मात्र आधा किलोमीटर भी नहीं है।
लोगों को जागरूक किया जा रहा है
ऐसे में हिंसक वन्य जीवों का बाहर निकलना मानव वन्यजीव संघर्ष के लिए संकेत है। फिलहाल बाघ की दस्तक के बाद वन विभाग ने निगरानी के लिए टीम को लगा दिया है। ग्रामीणों को भी सतर्क रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
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