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    Noida Crime News: 2011 में गोली मारने वाले हत्‍यारे को मिला आजीवन कारावास, बीच सड़क पर की थी हत्‍या

    Updated: Fri, 11 Jul 2025 04:24 PM (IST)

    ग्रेटर नोएडा के दनकौर में 2011 की हत्या के मामले में लोकेंद्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। अदालत ने उस पर जुर्माना भी लगाया है। उसके सहयोगी तिलक चंद्र को आर्म्स एक्ट में दोषी पाते हुए तीन साल की सजा दी गई। यह मामला 2011 में श्यामनगर मंडी के पास शहजाद गुर्जर की हत्या से जुड़ा है जिसमें लोकेंद्र को मुख्य आरोपी माना गया।

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    हत्या के आरोपित को आजीवन कारावास की सजा।

    जागरण संवाददता, ग्रेटर नोएडा। साल 2011 में हुई हत्या के मामले में दनकौर रजपुरा कला के लोकेंद्र को दोषी करार देते हुए अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना नहीं भरने पर उसे छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

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    ...तो भुगतना होगा अतिरिक्त कारावास

    अदालत ने इसी मामले में उसके सहयोगी तिलक चंद्र निवासी रजपुरा को आर्म्स एक्ट में दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई है। साथ ही पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। जुर्माने का भुगतान न करने पर दोषी को एक महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

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    गाड़ी से गिराकर मार दी गाली

    एडीजीसी क्राइम धर्मेंद्र जयंत ने बताया कि घटना 15 दिसंबर 2011 की है। वादी भंवर सिंह के अनुसार, वह श्यामनगर मंडी से अपने गांव राजपुर कला जा रहा था। रास्ते में रणवीर जमालपुर के खेत के पास मोड़ पर उसे लोकेंद्र व दो अन्य अज्ञात व्यक्ति खड़े मिले। इसी दौरान उसका भतीजा शहजाद गुर्जर बाइक पर आया, जिसे आरोपितों ने गिरा दिया और गोली मारकर हत्या कर दी।

    मामले में दनकौर कोतवाली ने लोकेंद्र और तिलक चंद के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज किया था। पुलिस ने इस मामले में दोनों को गिरफ्तार कर इनके पास से तमंचा व कारतूस बरामद किया था।

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    भंवर सिंह ने कोर्ट को बताया आंखोंं देखा हाल 

    मामले में 13 गवाह पेश किए गए। प्रमुख गवाह भंवर सिंह ने अदालत में बताया कि उसने अपनी आंखों से लोकेंद्र को अपने भतीजे शहजाद पर गोली चलाते देखा था।

    कोर्ट ने आदेश में कहा...

    ''मुख्य गवाह भंवर सिंह का बयान विश्वसनीय है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी इसकी पुष्टि होती है।लोकेंद्र को दोषी को करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है। हालांकि, तिलक चंद के खिलाफ सामान्य आशय (धारा 34) के तहत हत्या का आरोप साबित नहीं हो सका। मगर उसे कोर्ट ने आर्म्स एक्ट के मामले में दोषी माना है।''

    सोमप्रभा मिश्रा, न्यायाधीश, अपर सत्र

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