ग्रेटर नोएडा में तैयार हुआ एनेस्थीसिया का डिजिटल विकल्प, वेलसेड डिजिटल सिडेशन डिवाइस को मिला लाइसेंस
ग्रेटर नोएडा की मेडिक्सा ग्लोबल कंपनी ने एक डिजिटल सिडेशन डिवाइस बनाई है। यह डिवाइस सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया के ओवरडोज से होने वाली मौतों को रोकने में मदद करेगी। इस डिवाइस के इस्तेमाल से मरीज दर्द महसूस नहीं करेगा और अपनी परेशानी बता सकेगा। इस डिवाइस को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से लाइसेंस मिल गया है और जल्द ही यह कई अस्पतालों में उपलब्ध होगी।

आशीष चौरसिया, ग्रेटर नोएडा। देश में प्रतिदिन होने वाली लाखों गंभीर सर्जरी के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली एनेस्थीसिया के ओवरडोज से कई बार मरीजों की मौत हो जाती है। कई बार संक्रमण का भी खतरा रहता है। इससे बचाने के लिए एक ऐसी डिजिटल डिवाइस तैयार की गई है, जिसमें सुन्न या बेहोश करने के लिए किसी इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ेगी। ग्रेटर नोएडा की मेडिक्सा ग्लोबल कंपनी ने एक डिवाइस तैयार की है। इसका नाम है वेलसेड डिजिटल सिडेशन डिवाइस।
सर्जरी में मरीज बता सकेगा अपनी परेशानी
इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार, सर्जरी के दौरान मरीज की स्थिति डिवाइस की स्क्रीन पर भी दिखती रहेगी। कह सकते हैं कि एनेस्थीसिया में मैनुअल किए जाने वाले सभी कार्य डिजिटल तौर पर होंगे। यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में यूपी इन स्टार्टअप के तहत मेडिकल केयर के क्षेत्र में काम करने वाले स्टाॅल पर राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) की ओर से वेलसेड डिजिटल सिडेशन डिवाइस को पेश किया गया है। डिवाइस को तैयार करने वाले डाॅ. जितेंद्र सिंह परिहार के अनुसार यह डिवाइस किसी भी तरह की सर्जरी के दौरान होने वाले दर्द को बिल्कुल भी महसूस नहीं होने देगी। सर्जरी के समय मरीज को किसी तरह की परेशानी हो रही होगी तो वह आसानी से बता सकेगा।
इस तरह नाइट्रोआक्साइड करेगी काम
सर्जरी के दौरान मरीज को दिए जाने वाले एनेस्थीसिया में लिडोकेन, मेपिवाकाइन, बुपिवाकाइन और रोपिवाकेन जैसे एनेस्थेटिक्स का उपयोग किया जाता है, जो शरीर के एक विशिष्ट क्षेत्र को अस्थायी रूप से सुन्न कर देती हैं। यह दवाएं तंत्रिकाओं को मस्तिष्क तक दर्द के संकेत भेजने से रोकती हैं। अब इस डिवाइस के माध्यम से माक्स के जरिए नाइट्रोआक्साइड का प्रयोग करेंगे और यह शरीर में खून के संचार के साथ प्रवाहित होगी और मरीज को घबराहट के साथ दर्द का अहसास नहीं होने देगी। इसमें साथ में आक्सीजन भी मरीज को मिलती रहेगी।
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इन सर्जरी में हो सकेगा उपयोग
डाॅ. जितेंद्र का दावा है कि ये डिवाइस विश्व की पहली डिवाइस है जो पूरी तरह से डिजिटल है। और डिवाइस का उपयोग हृदयघात की सर्जरी, जले हुए मरीज की ड्रेसिंग के दौरान, लिवर बायोप्सी, आंख की सर्जरी, न्यूरो की सर्जरी, आंकोलाजी, बोन मैरो, गाइनकोलाजी, डर्मेटोलाजी, स्किन की सर्जरी, रेडियोलाजी, दांतों की, बालों के प्रत्यारोपण और कैंसर की सर्जरी में किया जा सकता है।
सर्जरी के दौरान मरीज की पूरी स्थिति को डिवाइस की ही डिस्पले पर देखा जा सकता है। इसके अलावा डिवाइस में प्रयोग किए जाने वाले नाइट्रोआक्साइड और आक्सीजन सिलिंडर की क्षमता का भी पता चलता रहेगा। हां, रूट कैनाल ट्रीटमेंट और टूथ एक्सपेंशन के दौरान ही सिर्फ एनेस्थीसिया की जरूरत पड़ सकती है।
डिवाइस को मिला सीडीएससीओ लाइसेंस
बीएचयू में एमटेक से स्वर्ण पदक विजेता डिवाइस के निर्माता डा. जितेंद्र सिंह के अनुसार डिवाइस को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से लाइसेंस मिल गया है। लाइसेंस मिलने से डिवाइस का निर्यात कर सकते हैं। डिवाइस का अभी गौतमबुद्ध नगर के चार निजी डेंटल क्लीनिक में उपयोग किया जा रहा है। डिवाइस में बीएचयू के ही प्रो. नीरज शर्मा की डा जितेंद्र के मेंटोर की तौर पर भूमिका रही है।
मिल चुका है लाइसेंस
"जिम्स में वेलसेड डिजिटल डिवाइस को यूपी इन स्टार्टअप के तहत क्लीनिकल ट्रायल के लिए लाया गया है। अभी कुछ महीने तक ट्रायल चलेगा। इसको सीडीएससीओ लाइसेंस मिल गया है।"
- डाॅ. राहुल सिंह, सीईओ, सीएमई-जिम्स
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