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    नूडल्स आउट, पराठा इन: स्कूलों ने शुरू की टिफिन की 'सर्जिकल स्ट्राइक', सेहत की ओर लौटे कदम

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 11:43 PM (IST)

    मुरादाबाद के स्कूलों ने बच्चों के टिफिन में जंक फूड पर रोक लगाई है। स्कूलों ने टिफिन की जांच, प्रार्थना सभाओं में जागरूकता अभियान और अभिभावकों के साथ ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्‍मक च‍ित्र

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। बच्चों की थाली से दाल-रोटी, सब्ज़ी और दूध जैसे पारंपरिक व पौष्टिक खाद्य पदार्थ तेजी से गायब हो रहे हैं। उनकी जगह चाउमीन, नूडल्स, मोमोज, पिज्जा और पैकेटबंद जंक फूड ने ले ली है। स्वाद के इस तात्कालिक आकर्षण की कीमत अब मासूमों की सेहत चुका रही है।

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    शहर के सरकारी व निजी अस्पतालों में पेट की बीमारियों, मोटापे, कमजोरी और इम्युनिटी से जुड़ी समस्याओं से जूझते बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हाल ही में पड़ोसी जनपद अमरोहा में फास्ट फूड खाने के बाद आंतों में गंभीर संक्रमण और फिर हार्ट अटैक से कक्षा 11 की छात्रा की मौत ने अभिभावकों, स्कूल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग को झकझोर कर रख दिया।

    यह घटना सिर्फ एक परिवार को सदस्य की जान लेने की नहीं, बल्कि समाज के लिए चेतावनी है कि स्वाद के नाम पर हम बच्चों के भविष्य के साथ कितना बड़ा समझौता कर रहे हैं। इस घटना के बाद मुरादाबाद के कई नामचीन स्कूलों में फास्ट फूड के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया है।

    टिफिन की जांच, प्रार्थना सभाओं में जागरूकता, अभिभावकों के वाट्सएप ग्रुप और स्कूल कैंटीन नीति के जरिए बच्चों को स्वस्थ खान-पान की ओर लौटाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। चिकित्सकों का कहना है कि यदि समय रहते खान-पान की आदतों में सुधार नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ी गंभीर और स्थायी बीमारियों की गिरफ्त में होगी।

    अमरोहा में फास्ट फूड खाने से छात्रा की मौत के बाद मुरादाबाद शहर के स्कूलों में स्वास्थ्य को लेकर गंभीरता बढ़ी है। स्कूल प्रबंधन तंत्र ने शिक्षकों के माध्यम से बच्चों और अभिभावकों को जागरूक करने की पहल शुरू की है। कई विद्यालयों में सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान फास्ट फूड से होने वाले नुकसान बताए जा रहे हैं।

    शिक्षकों ने बताया कि अब बच्चों के टिफिन पर विशेष नजर रखी जाएगी। चाउमीन, नूडल्स, चिप्स, बर्गर जैसे जंक फूड लाने वाले बच्चों को न केवल रोका जाएगा, बल्कि उन्हें समझाया भी जा रहा कि यह भोजन उनके शरीर को किस तरह नुकसान पहुंचा रहा है। स्कूलों के इंटरनेट मीडिया ग्रुप में भी लगातार संदेश भेजे जा रहे हैं। इस पहल को अभिभावकों का भी समर्थन मिल रहा है।

    स्कूलों में टिफिन की जांच और डायट चार्ट लगाए

    बच्चों में सही खान-पान की आदत विकसित करने के लिए स्कूल स्तर पर ठोस पहल की जाएगी। प्रत्येक विद्यालय में शिक्षकों द्वारा बच्चों के टिफिन की नियमित जांच की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे घर का बना पौष्टिक भोजन ही लेकर आ रहे हैं। जंक फूड लाने वाले बच्चों को रोका जाएगा और उन्हें उसके दुष्प्रभावों के बारे में समझाया जाएगा।

    इसके साथ ही विद्यालय परिसर में संतुलित आहार से संबंधित डायट चार्ट लगाए जाएंगे, जिनमें दाल, रोटी, सब्जी, फल और दूध जैसे पोषक तत्वों की महत्ता को सरल भाषा में दर्शाया जाएगा। समय-समय पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों के माध्यम से बच्चों को जागरूक करने और स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित करने की भी योजना बनाई जा रही है।

    इंटरनेट मीडिया से जागरूकता

    फास्ट फूड के बढ़ते चलन पर रोक लगाने के लिए इंटरनेट मीडिया को प्रभावी माध्यम बनाया जाएगा। स्कूलों द्वारा वाट्सएप ग्रुप, फेसबुक पेज और अन्य डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए अभिभावकों व बच्चों को जंक फूड से होने वाली बीमारियों की जानकारी दी जाएगी।

    वीडियो, पोस्टर और जागरूकता संदेशों के माध्यम से यह बताया जाएगा कि अत्यधिक फास्ट फूड सेवन से मोटापा, पेट की बीमारियां और इम्युनिटी कमजोर हो सकती है। इसका उद्देश्य अभिभावकों को सजग बनाना है, ताकि वे घर पर बच्चों के खान-पान पर विशेष ध्यान दें और स्वस्थ विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित कर सकें।

    क्यों खतरनाक है फास्ट फूड

    पोषण की कमी : नूडल्स, मोमोज, पिज्जा और पैकेज्ड स्नैक्स में प्रोटीन, आयरन, फाइबर और आवश्यक विटामिन बेहद कम होते हैं, जिससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है।
    अधिक नमक और वसा : फास्ट फूड में जरूरत से ज्यादा नमक, तेल और ट्रांस फैट होता है, जो कम उम्र में ही मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग का खतरा बढ़ाता है।
    पाचन तंत्र पर असर : मैदा और केमिकल युक्त भोजन से बच्चों में अपच, गैस, कब्ज, एसिडिटी और पेट दर्द की शिकायतें बढ़ रही हैं।
    इम्युनिटी कमजोर: लगातार फास्ट फूड खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है, जिससे बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं।
    एलर्जी और हार्मोन असंतुलन : कृत्रिम रंग, फ्लेवर और प्रिजर्वेटिव्स से त्वचा एलर्जी, सांस की दिक्कत और हार्मोनल समस्याएं हो सकती हैं।
    कम उम्र में शुगर का खतरा :  मीठे ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड से बच्चों में टाइप-दो डायबिटीज का जोखिम तेजी से बढ़ रहा है।
    मानसिक प्रभाव :  जंक फूड की आदत से बच्चों में चिड़चिड़ापन, एकाग्रता में कमी और नींद की समस्या भी देखी जा रही है।

    विद्यालय के विद्यार्थियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम प्रारंभ किए जाएंगे। इसके अंतर्गत सर्वप्रथम समाचार पत्र की कटिंग को विद्यालय के समस्त कक्षाओं के व्हाट्सएप ग्रुप पर मेरे द्वारा स्वयं साझा किया गया है। इसके पश्चात प्रार्थना स्थल पर प्रतिदिन होने वाली बौद्धिक चर्चा के दौरान फास्ट फूड से होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। विद्यालय लंच में फास्ट फूड के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। - डा. हिमांशु यादव, प्रधानाध्यापक, आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कालेज

    हम स्वस्थ कैंटीन नीति के तहत कैंटीन में फास्ट फूड को हतोत्साहित करते हैं। इसके लिए पोषण जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिनमें स्वस्थ भोजन को एकाग्रता, फिटनेस और सफलता से जोड़ा जाता है। अभिभावकों के लिए टिफिन दिशानिर्देश जारी किए जाते हैं, जिनमें फल, घर का बना भोजन और पैकेट बंद खाद्य पदार्थों से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है। शिक्षक और विद्यालय कार्यक्रमों के माध्यम से निरंतर स्वस्थ भोजन विकल्पों को बढ़ावा दिया जाता है। - डा. सीबी जद्ली, प्रिंसिपल, डिस्ट्रिक्ट ट्रेनिंग कोआर्डिनेटर

    हमने विद्यालय में जंक फूड लाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। अमरोहा की घटना के बाद बच्चों को समझाने के लिए एक अलग ग्रुप बनाया गया है, जिसमें उनके अभिभावकों को भी जोड़ा गया है। इस ग्रुप में फास्ट फूड खाने से शरीर में होने वाले नुकसान की जानकारी साझा की जाएगी। स्कूल में हर महीने डॉक्टर को बुलाकर बच्चों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, इस विषय पर एक घंटे की विशेष कक्षा आयोजित की जाती है। अभिभावकों को भी बच्चों को समझाना चाहिए और घरों में बाहर का खाना मंगाने से बचना चाहिए। - मैथ्यू पी. एलांचेरिल, प्रधानाध्यापक, पीएमएस पब्लिक स्कूल

    स्कूल में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। नियमित रूप से टिफिन की जांच शुरू की जाएगी, ताकि बच्चे पौष्टिक और संतुलित भोजन करें। स्कूल प्रबंधन का उद्देश्य बच्चों में प्रारंभ से ही स्वस्थ खान-पान की आदतें विकसित करना है। अभिभावकों को पेरेंट्स मीटिंग और विभिन्न ग्रुप्स के माध्यम से जंक फूड से होने वाले नुकसान और हेल्दी फूड के महत्व के बारे में जानकारी दी जाएगी। - सीमा सिंह, ग्रीन मिडोज स्कूल, मुरादाबाद

    विद्यालय में बच्चों के उज्ज्वल और स्वस्थ भविष्य को ध्यान में रखते हुए बच्चों के टिफिन में मोटे अनाज, ताजे फल-सब्ज़ियां और घर के बने पौष्टिक भोजन को शामिल करने के लिए जागरूक किया जाएगा। स्कूल में फास्ट फूड खाने से होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी दी जाएगी, जिसके लिए अलग से 15 मिनट की कक्षा निर्धारित की गई है। - वंदना छावड़ा, प्रधानाध्यापक, आरआरके स्कूल

    विद्यालय में बच्चों का टिफिन चेक करना शुरू कर दिया गया है। प्रार्थना के बाद सभी छात्रों को फास्ट फूड खाने से होने वाली बीमारियों के बारे में बताया जाता है, साथ ही हेल्दी फूड खाने के फायदे भी समझाए जाते हैं। विद्यालय के आसपास खड़े फास्ट फूड ठेलों और दुकानदारों से बातचीत कर फास्ट फूड के स्थान पर स्वास्थ्यवर्धक खाद्य सामग्री बेचने के लिए प्रेरित किया गया है। - शेफाली अग्रवाल, प्रधानाध्यापक, शिरडी साई पब्लिक स्कूल

    फास्ट फूड खाने में जितना स्वादिष्ट लगता है, उतना ही उसमें खतरा छुपा होता है। रिफाइंड मैदा पाचन को धीमा करता है और मोटापे का कारण बनता है। ट्रांस फैट और बार-बार इस्तेमाल किया गया तेल दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ाता है। अत्यधिक नमक और शुगर हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की ओर ले जाते हैं। प्रिजर्वेटिव और कृत्रिम रंग बच्चों की इम्युनिटी और व्यवहार पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं। बच्चों का शरीर विकसित हो रहा होता है, ऐसे में लगातार फास्ट फूड उनके शारीरिक और मानसिक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। - डा. सौभाग्य मिश्रा, विभागाध्यक्ष आंतरिक चिकित्सा, एशियन विवेकानंद सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल



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