जीभ को मिला स्वाद, आंतों में भरा मवाद: मोमोज-बर्गर-चाप की एक प्लेट और जिंदगी खत्म!
जंकफूड बना जानलेवा! अमरोहा की किशोरी की मौत के बाद बड़ा खुलासा—घटिया मैदा और ब्लीचिंग केमिकल से आंतों में मवाद और लिवर खराब हो रहा है। शहर के 3500 ठेल ...और पढ़ें

जंक फूड खाने के लिए लगी भीड़
मेहंदी अशरफी, जागरण, मुरादाबाद। खराब मैदा से बनने वाली चाप, नूडल्स और मोमोज का जायका सेहत बिगाड़ रहा है। फैटी लिवर-आंत अल्सर के मरीज बढ़े हैं। हालात यह हैं कि बच्चे और युवाओं की पहली पसंद जंकफूड उनकी सेहत के लिए खतरा हैं। इसके लगातार सेवन से कम उम्र में पेट दर्द आदि समस्या हो रही है।
दरअसल, जंकफूड की बात यहां इसलिए हो रही है क्योंकि अमरोहा की 16 वर्षीय अहाना की जंकफूड सेवन से मौत हो चुकी है। उसकी मौत से अभिभावक बच्चों के खानपान को लेकर तनाव में आ गए हैं। क्योंकि बच्चों की पहली पसंद ही जंकफूड है। हर दिन इसकी डिमांड होती है। बता दें कि शहर में ही करीब साढ़े तीन हजार खोमचे-ठेलों पर सेहत से खिलवाड़ करने वाला जंकफूड बिक रहा है।
बुधवार की शाम जागरण टीम जंकफूड की बिक्री का जायजा लेने के लिए कई जगह पहुंचे। रामगंगा विहार की चटोरी गली में जंकफूड के खोमचों के बाहर युवाओं की टोलियां खड़ी थीं। चटोरी गली में घुसने के साथ ही पहले खोमचे में एल्यूमिनियम के बर्तन में उबले मोमोज भरे थे। दुकानदार ने पूछने पर बताया कि भाई, अभी तक तो बिक्री नहीं हुई है। वहीं दूसरे खोमचे के सामने चार युवा खड़े थे।
रामगंगा विहार द्वितीय के सत्या चाऊमीन और बर्गर लेने के लिए पहुंचे थे। उनसे पूछा तो वह बोले, चाऊमीन का चटपटा स्वाद अच्छा लगता है। बर्गर से पेट भर जाता है। वह खाना नहीं खाएंगे। अधिकतर रात में उनका खाना यही रहता है। बीएसएनएल कार्यालय के सामने वाली रो में लगी मोमोज की दुकान भी खाली थी। दुकानदार के अनुसार, ठंड में जंकफूड लेने वालों की संख्या कम हो जाती है।
गर्मियों में उनका काम खूब चलता है। पांचवी दुकान के बाहर चाप का स्टाल लगा था। हास्टल में रहने वाले ऋषभ सक्सेना सोयाबीन चाप लेने के लिए खड़े थे। उन्होंने बताया कि दिन के समय से भोजन की थाली के लिए ठेला मिल जाता है। रात के खाने की समस्या रहती है। इस वजह से चाप अच्छा विकल्प रहता है। स्वाद भी अच्छा रहता है। वहीं, वेवमाल रोड पर सड़क किनारे खड़े ठेलों पर भी सोयाबीन चाप और मोमोज के लिए युवक खड़े थे।
दीनदयाल नगर निवासी राजीव कुमार घर के लिए सोयाबीन चाप पैक करा रहे थे। उनका कहना था कि बच्चों की जिद की वजह से वह हर तीसरे चौथे दिन चाप खरीदकर ले जाते हैं। उसके मसाला और उसका स्वाद बच्चों को खूब पसंद आता है। वहीं नवीन नगर, गुरहट्टी, जीएमडी रोड, बुधबाजार, रोडवेज, गांधी नगर, डबल फाटक समेत अन्य स्थानों पर ठेले खाेमचों पर जंकफूड यानी सेहत से खिलवाड़ की प्लेट बेची जा रही है।
गंभीर हालत में पहुंची थी अहाना, आंतों में छेद और ब्लड प्रेशर शून्य
मुरादाबाद में जेम अस्पताल कै गैस्ट्रो सर्जन डा. रियाज बताते हैं कि तीन दिसंबर को अहाना की जांच में ब्लड प्रेशर शून्य (120 होना चाहिए) और पल्स रेट 150 (60-100 के बीच होनी चाहिए) मिली। अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में आंतों का संक्रमण मिला। सर्जरी शुरू की। पेट में आंतें चिपकी मिलीं, जगह-जगह छेद भी थे। जहां से रिसता करीब चार लीटर मवाद पेट में भर गया था।
आंतों में स्टूल (पाटी) भी जमा था। जिससे लग रहा था कि करीब दो सप्ताह से वह शौच के लिए नहीं गई हो। मवाद निकालकर आंतों की धुलाई और करीब डेढ़ घंटे सर्जरी हुई। चिकित्सक के अनुसार, आंत फटने के तो कई केस आते हैं। लेकिन, इतनी कम उम्र में यह हालत कम दिखती है।
जंकफूड से फैटी लिवर, डायबिटीज और मोटापा होता है। इसके बाद बाकी दिक्कतें बढ़ती हैं। 10 दिन में अहाना की हालत में बहुत सुधार हो गया था। इसके बाद उसकी यहां से छुट्टी कर दी गई थी। फालोअप के लिए दो दिन बाद अस्पताल से काल हुई, पता चला कि अहाना का दिल्ली एम्स में उपचार चल रहा है।
खराब मैदा से बनते हैं चाप और नूडल्स
मैदा गेहूं से बनता है। लेकिन, इसमें से चोकर (फाइबर), विटामिन, खनिज तत्व निकाल दिए जाते हैं। यानी मैदा पहले से ही पोषण-विहीन होता है। चाप (सोया चाप) में इस्तेमाल होने वाला मैदा लो-ग्रेड रिफाइंड मैदा पुराना या स्टोर किया हुआ मैदा, कई जगह औद्योगिक (इंडस्ट्रियल) मैदा इस्तेमाल किया जाता है, जो लंबे समय तक खराब न हो सस्ता हो और रंग भी सफेद दिखाई दे।
ब्लीचिंग केमिकल, प्रिजरवेटिव की होती है मिलावट
मैदा में सफेद रंग के लिए ब्लीचिंग केमिकल की मिलावट होती है। इस तरह का मैदा पचने में भारी, आंतों में चिपकने वाला होता है। इससे आंतों में सूजन, गैस, कब्ज और अल्सर हो जाता है।
नूडल्स में इस्तेमाल होने वाला मैदा
अल्ट्रा-रिफाइंड मैदा (00 ग्रेड जैसा) यानी बार-बार प्रोसेस किया हुआ होता है। यानी महीनों पुराना स्टाक रखा हुआ होता है जो इस मैदा में मिलाया जाता है। ज्यादा नमक (सोडियम), पाम आयल, रिफाइंड आयल, टेस्ट एंहांसर, रंग और फ्लेवर केमिकल की मिलावट की जाती है।
शरीर में मैदा का यह पड़ता है असर
फिजिशियन डा. सौभाग्य मिश्रा के अनुसार, मैदा आंतों की परत को नुकसान पहुंचाता है। फैटी लिवर का खतरा बढ़ता है। बच्चों में मोटापा और कमजोर पाचन पैदा करता है। यह खराब इसलिए होता है कि इसमें फाइबर, पोषण शून्य होता है। केमिकल युक्त, पाचन तंत्र पर बोझ होता है। इसलिए चिकित्सक इसे खाली कैलोरी वाला और आंतों का दुश्मन कहते हैं। इसके अधिक खाने से आंतों में अल्सर, फैटी लिवर, गैस, कब्ज, एसिडिटी, मोटापा, बच्चों में हार्मोन असंतुलन, लंबे समय तक सेवन करने से हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
खाने में यह करें शामिल, बच्चों को खिलाएं फाइबर युक्त खानपान
जिला अस्पताल डायटीशियन सपना सिंह के अनुसार, मैदा से बने आइटम को छोड़ने में ही भलाई है। बच्चों को चाप की जगह घर की दाल, पनीर, सब्जी, नूडल्स की जगह आटा, मिलेट (ज्वार, बाजरा) नूडल्स, बच्चों को घर का ताजा खाना फाइबर और पानी की मात्रा बढ़ाएं। सस्ते स्वाद के चक्कर में बीमारी को दावत न दें। रोज चाप और नूडल्स खाने से लिवर और आंतें खराब होती हैं।
खोमचे साढ़े तीन हजार, नमूने पांच, दो असुरक्षित
जंकफूड लोगों की सेहत खराब कर रहा है। मैदा से बने उत्पाद और उसके प्रिजरवेटिव और बनाने में लगने वाली सामग्री में क्या मिलाया जा रहा है। इसका कुछ पता नहीं है। खाद्य सुरक्षा विभाग में करीब 17,000 हजार पंजीयन हैं। जिसमें जंकफूड वालों के 1,700 पंजीकृत हैं। इसके अलावा करीब 1,800 के करीब शहर के गली-मुहल्लों में ठेले-रेहड़ी पर जंकफूड बेचा जा रहा है।
खाद्य सुरक्षा विभाग के अनुसार, इस वर्ष मात्र पांच जंकफूड के नमूने लिए गए। इसमें मोमोज में मिलाया जाने वाला मसाला और बर्गर असुरक्षित लैब की रिपोर्ट में पुष्ट हुआ है। जबकि चाऊमीन-मेक्रोनी मिक्स का एक और मोमोज रेडी टू पेस्ट के दो नमूनों की रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है।
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी इंद्र बहादुर यादव ने बताया कि मिलावट और अन्य खाद्य पदार्थ के नमूने लगातार लिए जा रहे हैं। जंकफूड के असुरक्षित रिपोर्ट वाले दो मामलों का वाद सीजेएम न्यायालय में है। अन्य तीन की रिपोर्ट मिलने के बाद उनका भी वाद दायर किया जाएगा।

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