70 किलो वजन, सड़ी हुई आंतें और फिर हार्ट अटैक: इस खबर को हर माता-पिता जरूर पढ़ें
मुरादाबाद में जंक फूड के शौक ने 16 साल की अहाना की जान ले ली। आंतों में संक्रमण और वजन बढ़ने के बाद एम्स में इलाज के दौरान उसे हार्ट अटैक आया। शहर के स ...और पढ़ें

अस्पताल में इलाज के दौरान अहाना
दीपेंद्र प्रताप सिंह, जागरण, मुरादाबाद। फास्ट फूड के बेहिसाब शौक... या यूं कहें कि आदत ने अमरोहा में 16 वर्षीय अहाना की जान ले ली। अधिक फास्ट फूड खाने से वजन बढ़कर 70 किलोग्राम तक पहुंचा गया, आंतें भी संक्रमित हो गईं। मुरादाबाद में आपरेशन के 20 दिन बाद फिर से हालत खराब होने पर स्वजन ने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भर्ती कराया था। जहां उपचाराधीन अहाना को रविवार को हार्ट अटैक आया और कुछ ही पल बाद उसकी मौत हो गई।
शहर में कई स्कूलों-कालेजों के अंदर या आसपास फास्टफूड और जंकफूड की बढ़ती ‘बीमारी’ की दुकानों ने बच्चों और युवाओं की सेहत को खतरे में डाल दिया है। शहर में रामगंगा विहार स्थित एमआइटी कालेज के पास, चटोरी गली, गुरहट्टी रोड, ताड़ीखाना, बुधबाजार, हरथला, दीवान बाजार, गांधीनगर और गोकुलदास कालेज के आसपास अनगिनत जगह जंकफूड की पक्की-कच्ची दुकानें से चल रहीं हैं।
इन दुकानों पर चाउमीन, बर्गर, मोमो, फ्रेंच फ्राइज, समोसा, पिज्जा और कोल्ड ड्रिंक जैसे फास्टफूड आसानी से उपलब्ध हैं। इसके चलते स्कूल और कालेज के हजारों छात्र-छात्राएं इनकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। मानकों को दरिकनार कर स्कूल की कैंटीन में ही बर्गर, चाउमीन आदि कई फास्टफूड बिक रहे। जिससे लंच टाइम और इंटरवल के दौरान बच्चे नियमित रूप से फास्टफूड खा रहे हैं।
जिन शिक्षण संस्थानों में सख्ती है, वहां बाहर ही आसपास फास्ट फूड की दुकानें, ठेले आदि खड़े होते हैं। ऐसे में बीमारी की वजह बने ये अनप्रोसेस्ड फूड, धीरे-धीरे देश के नौनिहालों की आदत बनता जा रहा है। जंकफूड खाने से एक तरफ युवाओं में मोटापा, पाचन संबंधी समस्याएं, कमजोरी और एकाग्रता की कमी जैसी परेशानियां बढ़ रही हैं।
वहीं, अधिकांश ठेलों पर साफ-सफाई और खाद्य सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा, जिससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा और बढ़ जाता है। अभिभावकों का कहना है कि वे बच्चों को घर से पौष्टिक भोजन देकर भेजते हैं, लेकिन स्कूल के बाहर सस्ते और स्वादिष्ट फास्टफूड के कारण बच्चे उनकी बात नहीं मानते। वहीं स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि स्कूल-कालेजों के आसपास जंकफूड की दुकानों पर नियंत्रण लगाया जाए और बच्चों को स्वस्थ खानपान के प्रति जागरूक किया जाए।
लगातार जंक फूड खाने से नहीं मिलता हृदय को पोषण
सिद्ध अस्पताल निदेशक एवं वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा. अनुराग मेहरोत्रा ने बताया कि किशोरी को हार्ट अटैक के कई कारण हो सकते हैं। कई बार फैमिलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया की समस्या होती है। जो खून में अधिक कोलेस्ट्राल की वजह से होती है। फिर अधिक जंकफूड के सेवन की वजह से हार्ट अटैक हो सकता है। वहीं पहले से हृदय की मांसपेशियां कमजोर हों और लगातार जंकफूड के सेवन से पोषण नहीं मिलता है। इस वजह से भी हार्ट अटैक हो सकता है।
जंक फूड में नहीं मिलता फाइबर
डायटीशियन डा. अमिषा सिंह के अनुसार, जंक फूड में मैदा से बना पिज्जा, मोमोज, चटनी, वेनेगर, नूडल्स, सब्जियां आदि बहुत लोग्रेड की होती हैं। इसके लगातार 3-4 साल सेवन की वजह से लिवर और आंत पर बुरा असर पड़ता है। आंत का अल्सर भी इसी से होता है। जंक फूड में फाइबर की मात्रा नहीं होती है।
इस वजह से मल्टी आर्गन फेल्योर तक स्थिति पहुंच जाती है। फूड क्वालिटी लो होने की वजह से सेहत खराब होती है। इसी तरह, समोसे भी अधिकतर लगातार एक ही तेल में बनते हैं। इस वजह से यह तेल भी धीमा जहर बन जाता है। इसलिए लगातार इसका सेवन भी खतरनाक होता है।
न दें बच्चों को
डाक्टरों का कहना है कि फास्ट फूड में पोषक पदार्थ नहीं होते। ऐसे में अपने बच्चों को इससे बचाएं। सप्ताह में एक बार से ज्यादा यह नहीं दिए जाने चाहिए।
एफएसडीए का नहीं नियंत्रण
फास्ट फूड की ठेलों पर घटिया सास और सामग्री मिलती हैं। ज्यादातर ठेलों पर स्वच्छता को लेकर लापरवाही होती है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन (एफएसडीए) इनकी ठीक से जांच नहीं करता।
इसलिए ज्यादा पसंद किया जाता फास्ट फूड
- समय की बचतः ड्राइव थ्रू या मिनटों में डिलीवरी हो जाती है।
- स्वादिष्ट और विविधताः ये खाने में अच्छे लगते हैं। उच्च चीनी, नमक और फैट के चलते।
- यात्रा के दौरान या देर रात को खाने के साथ ही ऊर्जा देते हैं।
भारत में फास्ट फूड का मायाजाल: एक भयावह हकीकत
| विषय | आंकड़े / स्थिति | प्रभाव का दायरा |
| बर्गर की खपत | 4.42 करोड़ ऑर्डर | प्रमुख फूड डिलीवरी ऐप्स के जरिए |
| पिज्जा का क्रेज | 4.01 करोड़ ऑर्डर | दो बड़े फूड ऐप्स के माध्यम से |
| छात्रों की भागीदारी | 72.4 प्रतिशत | देश के विद्यार्थी फास्ट फूड के नियमित उपभोक्ता हैं |
| सेवन की आवृत्ति | 66 प्रतिशत लोग | सप्ताह में कम से कम एक बार जंक फूड खाते हैं |
| बाजार का आकार | ₹3.04 लाख करोड़ | इस वर्ष अब तक का देश का फास्ट फूड मार्केट |
चेतावनी: प्लेट में स्वाद नहीं, 'बीमारी' परोसी जा रही है!
| स्वास्थ्य संकेतक (Health Indicator) | आंकड़ों की भयावहता | मुख्य कारण |
| सालाना मौतें | 4.2 लाख | खराब गुणवत्ता वाला भोजन और जंक फूड |
| हृदय रोग (Heart Disease) | 28% मौतों की वजह | फास्ट फूड में मौजूद ट्रांसफैट और सोडियम |
| बीमारियों का आधार | 56.4% बीमारियां | मैदा, अधिक तेल, चीनी और नमक का मिश्रण |
| डायबिटीज (Diabetes) | 10.1 करोड़ मरीज | अल्ट्रा-प्रोसेस्ड और अत्यधिक तला हुआ खाना |
| बचपन पर खतरा (Obesity) | 2.7 करोड़ बच्चे (2030 तक) | मोटापा, जिससे भविष्य में गंभीर रोगों का खतरा |
(सभी आंकड़े इंटरनेट मीडिया के विभिन्न स्रोतों से। दैनिक जागरण इसकी पुष्टि नहीं करता है)

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