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    1000 का तांबा 1400 के पार! महंगाई की 'आग' में झुलसे करोड़ों के ऑर्डर, साख बचाएं या पूंजी

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 04:05 PM (IST)

    मुरादाबाद का हस्तशिल्प निर्यात उद्योग कच्चे माल की बढ़ती कीमतों से गंभीर संकट में है। तांबे की कीमत 33% बढ़कर ₹1400/किलो हो गई है, जिससे पुराने ऑर्डर ...और पढ़ें

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    तांबे के उत्‍पाद

    जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। विश्व प्रसिद्ध पीतल नगरी मुरादाबाद समेत देशभर का हस्तशिल्प निर्यात उद्योग संकट में है। अमेरिका का टैरिफ लगने के बाद पीतल इंस्डट्री कुछ उबरकर आई थी तो अब कच्चे माल की कीमतों ने निर्यातकों की नींद उड़ा दी है। पुराने आर्डर पूरे करने में सांसे अटक रहीं हैं।

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    जो आर्डर एक हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से माल का आर्डर बुक हुआ था। उसपर करीब 33 प्रतिशत बढ़ने से आर्डर पूरे करने भारी हो गए हैं। इसको लेकर निर्यात जगत में हलचल मची है। कुछ निर्यातक अपनी साख बचाने के चक्कर में पुराने आर्डर पूरे करने में जुटे हैं तो वहीं कुछ ने आर्डर होल्ड पर डाल दिए हैं।

    उन निर्यातकों का तर्क है कि घर से आर्डर पूरा नहीं हो पाएगा। यही हाल कारखानेदारों का भी है। पुराने दाम पर बुक हुए आर्डर के माल की खरीद भारी पड़ी तो उन्होंने भी आर्डर रोक दिए हैं। वहीं कुछ ने तो काम भी रोक दिया है। साथ ही कर्मचारियों को भी कास्ट कटिंग के नाम पर कम किया जा रहा है। निर्यातकों ने भी ईपीसीएच को पत्र भेजकर कच्चे माल की कीमतों को कम कराने की मांग की है।

    तांबे की कीमत करीब 1,050 प्रति किलो से बढ़कर 1,400 प्रति किलो तक पहुंच गई है, यानी लगभग 33 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी। इसी तरह एल्यूमिनियम के दामों में मात्र दो सप्ताह के भीतर करीब 15 प्रतिशत का उछाल आया है। जिंक, पीतल और अन्य मिश्रित धातुओं की कीमतें भी तेजी से बढ़ी हैं।

    कच्चे माल की इस महंगाई ने उत्पादन लागत को बेकाबू कर दिया है, जिससे तय कीमतों पर आर्डर पूरा करना अब घाटे का सौदा बन गया है। निर्यातक मुनव्वर जमाल के अनुसार, निर्यात इंडस्ट्री संकट के दौर से गुजर रही है। टैरिफ के बाद अब कीमतों के उछाल ने आर्डर पूरे करने भारी कर दिए हैं। यह स्थित सभी निर्यातकों के साथ है।

    कुछ निर्यातक अपनी साख की वजह से पहले से बुक आर्डर बुक कर रहे हैं। कच्चे माल की कीमतें स्थिर नहीं हुई तो उसके हिसाब से ही आगे के आर्डर लिए जाएंगे। यस चेयरमैन जेपी सिंह के अनुसार, अब कच्ची धातुओं के दाम बढ़ने से यदि आर्डर पूरे भी किए गए, तो नुकसान की भरपाई उन्हें अपनी जमा पूंजी से करनी पड़ेगी, जो छोटे उद्योगों के लिए लंबे समय तक संभव नहीं है।

    निर्यात मोर्चे पर भी हालात चिंताजनक बने हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खरीदार लंबी अवधि के लिए मूल्य स्थिरता की मांग करते हैं, जबकि देश के भीतर कच्चे माल की कीमतें रोज बदल रही हैं। इस अस्थिरता के चलते निर्यातक एक महीने तक भी अपनी कोटेशन पर टिक नहीं पा रहे हैं। बार-बार कीमतों में संशोधन करने से खरीदारों का भरोसा कमजोर हो रहा है और नए आर्डर मिलने में कठिनाई आ रही है।

    कई सौदे अंतिम समय में टूट जा रहे हैं, जिससे उत्पादन और योजना दोनों प्रभावित हो रहे हैं। इस संकट का सबसे बड़ा असर कारीगरों पर पड़ रहा है। मुरादाबाद के छोटे कारखानों में काम या तो पूरी तरह बंद हो गया है या फिर काफी सीमित कर दिया है। इससे कारीगरों की आमदनी घट रही है और कई परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट हो गया है।

    लंबे उधार की शर्तें रख रहे खरीदार

    यूरोप और मिडिल ईस्ट के कई खरीदार कम कीमत और लंबी क्रेडिट अवधि की शर्तें रख रहे हैं, जिससे निर्यातकों की वित्तीय स्थिति पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा है। कारखानेदारों और निर्यातकों ने सरकार से जल्द हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि यदि कच्ची धातुओं की कीमतों को स्थिर करने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई, तो हस्तशिल्प उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कमजोर पड़ेगी।

     

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