मीरजापुर के सिरसी बांध के गेट में आई दरार, विभाग की लापरवाही से बढ़ सकता है खतरा
मिर्जापुर के सिरसी जलाशय में दरारें आने से ग्रामीणों में चिंता है। जलाशय के आधा दर्जन गेटों की दीवारों में दरारें आई हैं लेकिन विभाग मरम्मत के बजाय बोल्डर निकालने में लगा है जिससे दरारें बढ़ने का खतरा है। ग्रामीणों ने वन विभाग और सिंचाई विभाग पर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का आरोप लगाया है।

जागरण संवाददाता, पटेहरा (मीरजापुर)। विकास खंड अंतर्गत सिरसी जलाशय के आधा दर्जन गेट की दीवार में दरारें आ गई हैं। इसके बावजूद संबंधित विभाग दरारों को ठीक करने के बजाय पोकलैंड मशीन का उपयोग कर गेट के सामने से बोल्डर निकालने में व्यस्त है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस कार्य से दरारें और बढ़ सकती हैं, जिससे जलाशय की सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है।
गांव के निवासी रमेश कुमार, दिनेश कुमार, मनोज कुमार, पंकज यादव, आकाश और नरेश ने बताया कि सिरसी बांध में लगे अधिकांश गेट में दरारें आने के बाद भी बोल्डर निकालने का कार्य जारी है। ग्रामीणों ने जब इस कार्य को रोकने का प्रयास किया, तो वन विभाग और सिंचाई विभाग दोनों ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
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इस संबंध में वन क्षेत्राधिकारी गिरीराज गिरी ने स्पष्ट किया कि सिरसी बांध के दो सौ मीटर आगे वन विभाग का क्षेत्र है और बोल्डर निकालने का कार्य सिंचाई विभाग द्वारा किया जा रहा है। वहीं, सिरसी जलाशय के अवर अभियंता अरविंद कुमार चौहान ने बताया कि डैम में लगे गेट की मरम्मत का कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि 16 गेट में से पांच की मरम्मत पूरी हो चुकी है और जल्द ही सभी गेट की मरम्मत की जाएगी।
ग्रामीणों ने चिंता व्यक्त की है कि यदि दरारों को समय पर ठीक नहीं किया गया, तो यह जलाशय की संरचना के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। उन्होंने मांग की है कि विभाग को इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करनी चाहिए और बोल्डर निकालने का कार्य तुरंत रोका जाना चाहिए।
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सिरसी बांध क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो वे आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। उनका मानना है कि जलाशय की सुरक्षा और ग्रामीणों की सुरक्षा दोनों के लिए यह आवश्यक है कि विभाग अपनी जिम्मेदारियों को समझे और उचित कदम उठाए।
सिरसी बांध की स्थिति गंभीर बनी हुई है और विभाग की लापरवाही से ग्रामीणों में चिंता का माहौल है। सभी की निगाहें अब विभाग की कार्रवाई पर टिकी हुई हैं, ताकि जलाशय की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस मामले में विभाग की ओर से कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि ग्रामीणों की चिंताओं का समाधान किया जा सके और जलाशय की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके।
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