Navratri 2025 : नवरात्र में विंंध्यवासिनी के चरण स्पर्श पर रहेगी रोक, बनी यह विशेष व्यवस्था
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक है। लाखों भक्तों के आने की संभावना है विंध्याचल मंदिर में माँ विंध्यवासिनी के चरण स्पर्श पर प्रतिबंध रहेगा। जिलाधिकारी ने मंदिर परिसर में प्रवेश के लिए ड्रेस कोड और आई.डी. कार्ड अनिवार्य किया है। बाढ़ के कारण गंगा घाटों पर बैरिकेडिंग और प्रकाश व्यवस्था बाधित है।

जागरण संवाददाता, मीरजापुर। इस बार शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से शुरू होकर एक अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। इस दौरान विंध्याचल मंदिर में मां विंध्यवासिनी के चरण स्पर्श पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा।
नवरात्र मेला के दौरान निर्धारित पीले रंग का ड्रेस व विंध्य पंडा समाज तथा विंध्य विकास परिषद द्वारा जारी आइडी कार्डधारक पंडा ही मंदिर परिसर में प्रवेश कर सकेंगे। गर्भ गृह में दोनों गेट पर एक-एक पंडा व पुरोहित बैठ कर व एक-एक पुरोहित श्रद्धालुओं को दर्शन करा सकेंगे। यह निर्णय जिलाधिकारी पवन कुमार गंगवार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में लिया गया।
यह भी पढ़ें : Deepawali 2025 : कार्तिक अमावस्या इस बार दो दिन, 20 या 21 अक्टूबर, कब मनाएं दीपावली? काशी के ज्योतिषियों ने बताई सही तिथि
एसएसपी सोमेन बर्मा ने बताया कि मेला क्षेत्र की निगरानी सीसी कैमरे और ड्रोन से की जाएगी। इसके अलावा, सरकारी और निजी पार्किंग स्थलों पर वाहन के मूल्य और दरों के लिए बोर्ड लगाने का निर्देश दिया गया है। घाटों पर स्नान के लिए बैरिकेडिंग और साइनेज बोर्ड भी लगाए जाएंगे।
वहीं इस बार नवरात्रि मेले के पूर्व बिंध्याचल स्थित गंगा घाटों पर आई बाढ़ ने प्रशासन की तैयारियों पर पानी फेर दिया है। गंगा के जलस्तर में बढ़ोत्तरी के चलते नगर पालिका परिषद न तो घाटों पर बैरिकेडिंग कर पाई है, न ही समुचित प्रकाश व्यवस्था (लाइटिंग) की जा सकी है। इससे नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
यह भी पढ़ें : Navratri 2025 : दस दिनों का होगा शारदीय नवरात्र, हाथी पर मां का आगमन, नवरात्र के दिनों में वृद्धि को माना जा रहा शुभ
हर साल की तरह इस बार भी नवरात्रि में मां विंध्यवासिनी के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचने की उम्मीद है। इनमें से अधिकांश लोग गंगा स्नान कर दर्शन के लिए जाते हैं, लेकिन घाटों पर बढ़े जलस्तर और कीचड़ के कारण स्नान करना जोखिम भरा हो गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को पहले से ही बाढ़ की स्थिति को देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी। वहीं नगरपालिका अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही जलस्तर में कमी आएगी, तुरंत बैरिकेडिंग और लाइटिंग का कार्य शुरू किया जाएगा।
हालांकि सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने आश्वासन दिया है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे सावधानी बरतें, अंधेरे में गंगा घाटों की ओर न जाएं और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।